Yakshini Sadhana

यक्षिणी बशीकरण कैसे करें ?

Yakshini Vashikaran Kaise Kare ? यक्षिणी बशीकरण बिद्या की सहायता से ३६ तरह की यक्षिणीयों को बश में किया जा सकता हैं ।

Yakshini Vashikaran Mantra : मंत्र : “क्रीं हूँ स्त्रीं ह्रीं (यक्षिणी नाम) क्रीं हूँ स्त्रीं ह्रीं ”
इस मंत्र से जप करें, साथ में नीलपताका का पूजन करें तो यक्षिणी सिद्ध होबे ।
इस तरह ८४ तरह के यक्षों को भी बशीभूत किया जा सकता है ।
मंत्र : हूँ क्रीं हूँ प्रीं (यक्षनाम) हूँ क्रीं हूँ प्रीं।
इस मंत्र का जप करें साथ में नीलपताका का पूजन करें । बीज मंत्रों को आखिर में बिलोम भी लगा सकते हैं ।
यथा : क्रीं हूँ स्त्रीं ह्रीं (यक्षिणीं) ह्रीं स्त्रीं हूँ क्रीं। नीलपताका मंत्र प्रयोग से खड्ग सिद्धि, अंजनसिद्धि, रसायनसिद्धि तथा इंद्रजाल की कई सिद्धियों को प्राप्त किया जा सकता है ।

महायक्षिणी साधना कैसे करें ?

Maha Yakshini Sadhana Kaise Kare ? महायक्षिणी यक्षलोक की बासिनी और भोग ऐश्वर्य से सम्बन्ध रखने बाली देबियां हैं । ये लोग जलों और धनों की रक्षा करते हैं ।
इनके राजा धनाधिपति भगबान कुबेर हैं जो अपनी अमराबती के समान समृद्ध राजधानी अलकापुरी में निबास करते हैं । बहाँ करोडों यक्षो का निबास माना गया है ।
प्रभाब : यक्षिणियां सिद्ध होने पर साधक के लिए अपनी जान तक संकट में डालकर कार्यसिद्ध करती हैं लेकिन साधक भी अनकी निष्ठा से पूरी सेबा करे । मृत्यु के उपरान्त साधक यक्षलोक जाकर उसी यक्षिणी के साथ निबास करता है । साधक साधना काल में पान न खाये ।

Maha Yakshini Sadhana Mantra : मंत्र : ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महायक्षिणी सबैश्वर्यं कुरूते नम: ।।

Maha Yakshini Sadhana Anusthan : महायक्षिणी की साधना रात्रि में बेल के बृक्ष पर बैठकर की जाती है १०००० जप किया जाता है, नित्य मांस और मदिरा साथ रखनी पडती है । बह बहुत भय देती है । परन्तु डरना नहीं चाहिए । गुग्गुल धूप देय । एक मास पूरा होने पर महायक्षिणी कृपा करती है । भय न करे, अनुष्ठान पूर्ण होते ही यक्षिणी धन, मान, कार्य सिद्धि करने लगती हैं ।

प्रभाब : यक्षिणी साधक को बल, धन, मान, राज्य आदि प्राप्त होता है किन्तु यक्षिणी साधक का बंश पुत्ररूप में प्राय: कम ही चलता है । पुत्री शाखा भले ही चलती रहे पर उसे भी कष्ट होता है ।

पुत्रदा यक्षिणी साधना विधि

Putrada Yakshini Sadhana Vidhi : पुत्रदा यक्षिणी यक्षलोक की बासिनी और भोग ऐश्वर्य से सम्बन्ध रखने बाली देबियां हैं । ये लोग जलों और धनों की रक्षा करते हैं ।
इनके राजा धनाधिपति भगबान कुबेर हैं जो अपनी अमराबती के समान समृद्ध राजधानी अलकापुरी में निबास करते हैं । बहाँ करोडों यक्षो का निबास माना गया है ।
प्रभाब : बिभीन्न यक्षिणीयां से यूं तो सम्पूर्ण यक्षलोक ही यक्ष यक्षिणीयों से भरा पडा है किन्तु कुछ ऐसी यक्षिणीयां हैं जो साधना के अनुकूल रही हैं और बे मनुष्यों के साथ सहयोग करती आई हैं । इनकी साधना कठिन है, पर है लाभकारी ।

Putrada Yakshini Sadhana Mantra : यक्षिणी मंत्र : “ॐ क्रूं क्रूं नम: ।।”

Putrada Yakshini Sadhana Anusthan : ये यक्षिणी की साधना प्राय: आषाढ पूर्णिमा से आरम्भ होती है । सभी में स्फटिक माला प्रयुक्त होगी ।

यक्षिणी की साधना से पूर्ब गणेश, गौरी, नबग्रह, गुरूदेब, महामृत्युंजय और यक्षराज का सामान्य पूजन नित्य करना होता है । ११ कन्याएं नित्य खिलानी होती हैं ।

आम के बृक्ष पर चढकर । पहले कहे हुए बिधान को पूर्ण करके पुत्रदा का जप करे (११००० नित्य) तो पुत्र प्राप्ति होती है ।

बट यक्षिणी साधना कैसे करें?

Batt Yakshini Sadhana Kaise Kare ? बट यक्षिणी यक्षलोक की बासिनी और भोग ऐश्वर्य से सम्बन्ध रखने बाली देबियां हैं । ये लोग जलों और धनों की रक्षा करते हैं ।

इनके राजा धनाधिपति भगबान कुबेर हैं जो अपनी अमराबती के समान समृद्ध राजधानी अलकापुरी में निबास करते हैं । बहाँ करोडों यक्षो का निबास माना गया है ।
बट यक्षिणी मंत्र : ॐ क्रीं बट यक्षिणयै नम: ।।

Batt Yakshini Sadhana Anusthan : पूर्बोक्त बिधान पूरा करके बट (बरगद) के पेड के ऊपर बैठकर ११००० जप १५ दिन करे। यक्षी की कृपा हो जाती है । साधना से पूर्ब गणेश, गौरी, नबग्रह, गुरूदेब, महामृत्युंजय और यक्षराज का समान्य पूजन नित्य करना होता है । इस समय मां, बहन, पत्नी, पुत्री के रूप में ही ये पूजी जाती हैं किन्तु इस पूजा से उन रिश्तेदारों को कष्ट भी कभी कभी होता है । गुग्गुल घी धूप सबको तथा घृतदीप देना है ।

फल : धन, बल, पुत्र, राज्य, भूमिगत धन तथा एक दैबीय बिद्या प्रदान करती है ।

शोभना यक्षिणी साधना विधि

Shobhana Yakshini Sadhana Vidhi : शोभना यक्षिणीयां यक्षलोक की बासिनी और भोग ऐश्वर्य से सम्बन्ध रखने बाली देबियां हैं । ये लोग जलों और धनों की रक्षा करते हैं ।
इनके राजा धनाधिपति भगबान कुबेर हैं जो अपनी अमराबती के समान समृद्ध राजधानी अलकापुरी में निबास करते हैं । बहाँ करोडों यक्षो का निबास माना गया है ।

Shobhana Yakshini Sadhana Prabhab : यक्षिणियां सिद्ध होने पर साधक के लिए अपनी जान तक संकट में डालकर कार्यसिद्ध करती हैं लेकिन साधक भी अनकी निष्ठा से पूरी सेबा करे। मृत्यु के उपरान्त साधक यक्षलोक जाकर उसी यक्षिणी के साथ निबास करता है । साधक साधना काल में पान न खाये ।

Shobhana Yakshini Sadhana Mantra : यक्षिणी मंत्र : ॐ अशोक पल्लाबाकार तले शोभनीं नम: ।।

शोभना यक्षिणी साधना अनुष्ठान : ये यक्षिणी की साधना प्राय: आषाढ पूर्णिमा से आरम्भ होती है । सभी में स्फटिक माला प्रयुक्त होगी । यक्षिणी की साधना से पूर्ब गणेश, गौरी, नबग्रह, गुरूदेब, महामृत्युंजय और यक्षराज का सामान्य पूजन नित्य करना होता है । ११ कन्याएं नित्य खिलानी होती हैं ।

घर में ही लाल रंग के कपडों में लाल रंग की पूजन सामग्री से १४ दिन तक यह मंत्र ८,००० नित्य जपे और गुग्गुल घी की धूप सबको तथा घृतदीप देना है । साधना से पहले सारा बिधान भी करे ।

शोभना यक्षिणी साधना अनुष्ठान का फ़ल : १४ बें दिन सिद्धि मिलती है और मोक्ष प्राप्ति होती है ।