Vedic Mantra
शिवरात्रि स्पेशल – शिव कुबेर मंत्र

Shivratri Special- Shiv Kuber Mantra मंत्र : “ॐ नमः शिबाय श्री कुबेराय मम् धनम में देहि देहि शिबाय नमः ॐ “
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शिवरात्रि में शिबजी के श्री कुबेर जी का भी पूजन किया जाता है ।और उपरोक्त मंत्र का यथा शक्ति जाप किया जाता है ।बाद में रोज एक दो माला का जाप निरंतर करते रहने से अक्षय धन संपदा की प्राप्ति होती है ।
हिन्दू धर्म के 10 चमत्कारिक मंत्र…जो करेंगे हर संकट का अंत :

Hindu Dharm Ke 10 Chamatkaarik Mantra : ‘मंत्र’ का अर्थ होता है मन को एक तंत्र में बांधना। यदि अनावश्यक और अत्यधिक विचार उत्पन्न हो रहे हैं और जिनके कारण चिंता पैदा हो रही है, तो मंत्र सबसे कारगर औषधि है। आप जिस भी ईष्ट की पूजा, प्रार्थना या ध्यान करते हैं उसके नाम का मंत्र जप सकते हैं। मंत्र 3 प्रकार के हैं- सात्विक, तांत्रिक और साबर। सभी मंत्रों का अपना-अलग महत्व है। प्रतिदिन जपने वाले मंत्रों को सात्विक मंत्र माना जाता है। आओ जानते हैं ऐसे कौन से मंत्र हैं जिनमें से किसी एक को प्रतिदिन जपना चाहिए जिससे मन की शक्ति ही नहीं बढ़ती, बल्कि सभी संकटों से मुक्ति भी मिलती है। इन मंत्रों के जप या स्मरण के वक्त सामान्य पवित्रता का ध्यान रखें। जैसे घर में हो तो देवस्थान में बैठकर, कार्यालय में हो तो पैरों से जूते-चप्पल उतारकर इन मंत्र और देवताओं का ध्यान करें। इससे आप मानसिक बल पाएंगे, जो आपकी ऊर्जा को जरूर बढ़ाने वाले साबित होंगे।
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Pehla Chamatkaarik Mantra : क्लेशनाशक मंत्र : “कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥” मंत्र प्रभाव : इस मंत्र का नित्य जप करने से कलह और क्लेशों का अंत होकर परिवार में खुशियां वापस लौट आती हैं। 2nd Chamatkaarik Mantra शांतिदायक मंत्र : “श्री राम, जय राम, जय जय राम” मंत्र प्रभाव : हनुमानजी भी राम नाम का ही जप करते रहते हैं। कहते हैं राम से भी बढ़कर श्रीराम का नाम है। इस मंत्र का निरंतर जप करते रहने से मन में शांति का प्रसार होता है, चिंताओं से छुटकारा मिलता है तथा दिमाग शांत रहता है। राम नाम के जप को सबसे उत्तम माना गया है। यह सभी तरह के नकारात्मक विचारों को समाप्त कर देता है और हृदय को निर्मल बनाकर भक्ति भाव का संचार करता है। 3rd Chamatkaarik Mantra : चिंता मुक्ति मंत्र : “ॐ नम: शिवाय।” मंत्र प्रभाव : इस मंत्र का निरंतर जप करते रहने से चिंतामुक्त जीवन मिलता है। यह मंत्र जीवन में शांति और शीतलता प्रदान करता है। शिवलिंग पर जल व बिल्वपत्र चढ़ाते हुए यह शिव मंत्र बोलें व रुद्राक्ष की माला से जप भी करें। तीन शब्दों का यह मंत्र महामंत्र है। 4th Chamatkaarik Mantra संकटमोचन मंत्र : “ॐ हं हनुमते नम:।” Chamatkaarik Mantra Effects : यदि दिल में किसी भी प्रकार की घबराहट, डर या आशंका है तो निरंतर प्रतिदिन इस मंत्र का जप करें और फिर निश्चिंत हो जाएं। किसी भी कार्य की सफलता और विजयी होने के लिए इसका निरंतर जप करना चाहिए। यह मंत्र आत्मविश्वास बढ़ाता है। हनुमानजी को सिंदूर, गुड़-चना चढ़ाकर इस मंत्र का नित्य स्मरण या जप सफलता व यश देने वाला माना गया है। यदि मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा है, तो इस मंत्र का तुरंत ही जप करना चाहिए। 5th Chamatkaarik Mantra : शांति, सुख और समृद्धि हेतु : भगवान विष्णु के वैसे तो बहुत मंत्र हैं, लेकिन यहां कुछ प्रमुख प्रस्तुत हैं। 1. ॐ नमो नारायण। या श्रीमन नारायण नारायण हरि-हरि। 2. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।। 3. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। 4. त्वमेव माता च पिता त्वमेव। त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव। त्वमेव सर्व मम देवदेव।। 5. शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।। लक्ष्मीकान्तंकमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्। वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।। मंत्र प्रभाव : भगवान विष्णु को जगतपालक माना जाता है। वे ही हम सभी के पालनहार हैं इसलिए पीले फूल व पीला वस्त्र चढ़ाकर उक्त किसी एक मंत्र से उनका स्मरण करते रहेंगे, तो जीवन में सकारात्मक विचारों और घटनाओं का विकास होकर जीवन खुशहाल बन जाएगा। विष्णु और लक्ष्मी की पूजा एवं प्रार्थना करते रहने से सुख और समृद्धि का विकास होता है। 6th Chamatkaarik Mantra मृत्यु पर विजय के लिए महामृंत्युजय मंत्र : मंत्र : “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्द्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धानान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।” मंत्र प्रभाव : शिव का महामृंत्युजय मंत्र मृत्यु व काल को टालने वाला माना जाता है इसलिए शिवलिंग पर दूध मिला जल, धतूरा चढ़ाकर यह मंत्र हर रोज बोलना संकटमोचक होता है। यदि आपके घर का कोई सदस्य अस्पताल में भर्ती है या बहुत ज्यादा बीमार है तो नियमपूर्वक इस मंत्र का सहारा लें। बस शर्त यह है कि इसे जपने वाले को शुद्ध और पवित्र रहना जरूरी है अन्यथा यह मंत्र अपना असर छोड़ देता है। 7th Chamatkaarik Mantra : सिद्धि और मोक्षदायी गायत्री मंत्र : ।।ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।। अर्थ : उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे। मंत्र प्रभाव : यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंत्र है, जो ईश्वर के प्रति, ईश्वर का साक्षी और ईश्वर के लिए है। यह मंत्रों का मंत्र सभी हिन्दू शास्त्रों में प्रथम और ‘महामंत्र’ कहा गया है। हर समस्या के लिए मात्र यह एक ही मंत्र कारगर है। बस शर्त यह है कि इसे जपने वाले को शुद्ध और पवित्र रहना जरूरी है अन्यथा यह मंत्र अपना असर छोड़ देता है। 8th Chamatkaarik Mantra : समृद्धिदायक मंत्र : “ॐ गं गणपते नम:।” मंत्र प्रभाव : भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना गया है। सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत में श्री गणेशाय नम: मंत्र का उत्चारण किया जाता है। उक्त दोनों मंत्रों का गणेशजी को दूर्वा व चुटकीभर सिंदूर व घी चढ़ाकर कम से कम 108 बार जप करें। इससे जीवन में सभी तरह के शुभ और लाभ की शुरुआत होगी। 9th Chamatkaarik Mantra : अचानक आए संकट से मुक्ति हेतु : कालिका का यह अचूक मंत्र है। इसे माता जल्द से सुन लेती हैं, लेकिन आपको इसके लिए सावधान रहने की जरूरत है। आजमाने के लिए मंत्र का इस्तेमाल न करें। यदि आप काली के भक्त हैं तो ही करें। 1 : “ॐ कालिके नम:।” 2 : “ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा।” मंत्र प्रभाव : इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करने से आर्थिक लाभ मिलता है। इससे धन संबंधित परेशानी दूर हो जाती है। माता काली की कृपा से सब काम संभव हो जाते हैं। 15 दिन में एक बार किसी भी मंगलवार या शुक्रवार के दिन काली माता को मीठा पान व मिठाई का भोग लगाते रहें। 10th Chamatkaarik Mantra ; दरिद्रतानाशक मंत्र : “ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।” मंत्र प्रभाव : इस मंत्र की 11 माला सुबह शुद्ध भावना से दीप जलाकर और धूप देकर जपने से धन, सुख, शांति प्राप्त होती है। खासकर धन के अभाव को दूर करने के लिए इस मंत्र का जप करना चाहिए।
सर्व दुःख दर्द विनाशक मन्त्र

Sarv Dukh Dard Vinaashak Mantra : सुख व दु:ख जीवन के दो रंग हैं। कभी सुख आता है तो कभी दु:ख। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके भाग्य में सिर्फ दु:ख ही दु:ख होता है। वे अपना जीवन परेशानी में ही बिताते हैं और हर बात के लिए अपने भाग्य को कोसते रहते हैं लेकिन वे यह नहीं जानते कि मंत्रों के माध्यम से दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदला जा सकता है। जीवन के सभी कष्टों का निवारण करने वाले मंत्रों में से एक अचूक मंत्र इस प्रकार है-
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Dukh Dard Vinaashak Mantra : मंत्र : ।।ॐ रां रां रां रां रां रां रां रां कष्टम स्वाहा।। सर्व दुख विनाशक मंत्र शारीरिक व्याधि दुख तथा मानसिक आजार किसी भी व्यक्ति के पीछे थके हुए हो तो उस व्यक्ति ने हर रोज दो समय सुबह और शाम प्रस्तुत मंत्र का जाप 108 बार कीजिए जिससे कि सभी दुख दर्द शारीरिक व्याधि , मानसिक रोगों से मुक्ति मिल कर पूर्ण रहस्य सिता मिलेगी । Dukh Dard Vinaashak Mantra Jap Vidhi : – प्रतिदिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निपट कर भगवान श्रीराम की पूजा करें। – अब कुश के आसन पर बैठकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके तुलसी की माला से इस मंत्र का जप करें। कम से कम एक माला जप अवश्य करें। – एक समय, स्थान, माला व आसन होने से यह मंत्र शीघ्र ही शुभ फल देता है। – कुछ ही समय में आप देखेंगे कि आपके जीवन में परिवर्तन आने लगा है और दुर्भाग्य, सौभाग्य में बदल रहा है।
सफल जीवन जीने के अचूक मंत्र प्रयोग

Safal Jivan Jine ke Achuk Mantra Prayog : इस ब्लॉग के ज़रिये हम आपको एक मंत्र के बारें में बताएँगे जिसका प्रतिदिन जाप करने भर से आपके अंदर प्रसन्नता और शान्ति का प्रवाह होगा। इसलिए यह परेशान लोगों और डिप्रेशन में घिरे लोगों के लिए भी काफी फायदेमंद रहेगा। केवल एक चीज़ का ध्यान अवश्य रखें की मंत्रोच्चार करते समय पूरी श्रद्धा और विश्वास रखिये। मंत्र: “ॐ प्रसन्न तारे प्रसन्ने प्रसन्न कारिणी ह्रींग स्वाहा ॥ ”
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Safal Jivan Jine Ke Achuk Mantra Prayog Vidhi : • एक लाल रंग के कपड़े/आसन पर पूर्व दिशा की और मुख करके बैठ जाएँ और धूप अगरबत्ती जला लें । • ऊपर दिया हुआ मंत्र पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ रोज़ कम से कम 108 बार ज़रूर करें । जितना ज़्यादा करेंगे उतना ही अच्छा है । • ज़्यादा से ज़्यादा नियमित रहने की कोशिश करें । अगर मंत्र पर श्रद्धा और विश्वास सच्चा है तो फायदा जल्दी मिलेगा ।
श्रीगायत्री मन्त्र से करे सर्व रोग ग्रह शान्ति

श्रीगायत्री मन्त्र से करे सर्व रोग ग्रह शान्ति
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Shree Gayatri Mantra Se Kare Sarv Rog Grah Shanti :
१) क्रूर से क्रूर ग्रह-शान्ति में, शमी-वृक्ष की लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े कर, गूलर-पाकर-पीपर-बरगद की समिधा के साथ ‘गायत्री-मन्त्र से १०८ आहुतियाँ देने से शान्ति मिलती है।
२) महान प्राण-संकट में कण्ठ-भर या जाँघ-भर जल में खड़े होकर नित्य १०८ बार गायत्री मन्त्र (Gayatri Mantra) जपने से प्राण-रक्षा होती है।
३) घर के आँगन में चतुस्र यन्त्र बनाकर १ हजार बार गायत्री मन्त्र (Gayatri Mantra) का जप कर यन्त्र के बीचो-बीच भूमि में शूल गाड़ने से भूत-पिशाच से रक्षा होती है।
४) शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे गायत्री मन्त्र जपने से सभी प्रकार की ग्रह-बाधा से रक्षा होती है।
५) ‘गुरुचि’ के छोटे-छोटे टुकड़े कर गो-दुग्ध में डुबोकर नित्य १०८ बार गायत्री मन्त्र (Gayatri Mantra) पढ़कर हवन करने से ‘मृत्यु-योग’ का निवारण होता है। यह मृत्युंजय-हवन’ है।
६) आम के पत्तों को गो-दुग्ध में डुबोकर ‘हवन’ करने से सभी प्रकार के ज्वर में लाभ होता है।
७) मीठा वच, गो-दुग्ध में मिलाकर हवन करने से ‘राज-रोग’ नष्ट होता है।
८) शंख-पुष्पी के पुष्पों से हवन करने से कुष्ठ-रोग का निवारण होता है।
९) गूलर की लकड़ी और फल से नित्य १०८ बार हवन करने से ‘उन्माद-रोग’ का निवारण होता है।
१०) ईख के रस में मधु मिलाकर हवन करने से ‘मधुमेह-रोग’ में लाभ होता है।
११) गाय के दही, दूध व घी से हवन करने से ‘बवासीर-रोग’ में लाभ होता है।
१२) बेंत की लकड़ी से हवन करने से विद्युत्पात और राष्ट्र-विप्लव की बाधाएँ दुर होती हैं।
१३) कुछ दिन नित्य १०८ बार गायत्री मन्त्र (Gayatri Mantra) जपने के बाद जिस तरफ मिट्टी का ढेला फेंका जाएगा, उस तरफ से शत्रु, वायु, अग्नि-दोष दूर हो जाएगा।
१४) दुःखी होकर, आर्त्त भाव से मन्त्र जप कर कुशा पर फूँक मार कर शरीर का स्पर्श करने से सभी प्रकार के रोग, विष, भूत-भय नष्ट हो जाते हैं।
१५) १०८ बार गायत्री मन्त्र का जप कर जल का फूँक लगाने से भूतादि-दोष दूर होता है।
१६) गायत्री जपते हुए फूल का हवन करने से सर्व-सुख-प्राप्ति होती है।
१७) लाल कमल या चमेली फुल एवं शालि चावल से हवन करने से लक्ष्मी-प्राप्ति होती है।
१८) बिल्व -पुष्प, फल, घी, खीर की हवन-सामग्री बनाकर बेल के छोटे-छोटे टुकड़े कर, बिल्व की लकड़ी से हवन करने से भी लक्ष्मी-प्राप्ति होती है।
१९) शमी की लकड़ी में गो-घृत, जौ, गो-दुग्ध मिलाकर १०८ बार एक सप्ताह तक हवन करने से अकाल-मृत्यु योग दूर होता है।
२०) दूध-मधु-गाय के घी से ७ दिन तक १०८ बार हवन करने से अकाल-मृत्यु योग दूर होता है।
२१) बरगद की समिधा में बरगद की हरी टहनी पर गो-घृत, गो-दुग्ध से बनी खीर रखकर ७ दिन तक १०८ बार हवन करने से अकाल-मृत्यु योग दूर होता है।
२२) दिन-रात उपवास करते गुए गायत्री मन्त्र जप से यम पाश से मुक्ति मिलती है।
२३) मदार की लकड़ी में मदार का कोमल पत्र व गो-घृत मिलाकर हवन करने से विजय-प्राप्ति होती है।
२४) अपामार्ग, गाय का घी मिलाकर हवन करने से दमा रोग का निवारण होता है।
श्री हनुमत शक्ति मंत्र प्रयोग

Shree Hanuman Shakti Mantra Prayog : हमारे सनातन धर्म मे रुद्रा अवतार हनुमान सदैव विराजमान है, मनुष्य हो या देवी, देवता सभी के कार्य को सम्पन्न करते है हनुमान जी। राम भक्त, दुर्गा भक्त हो या शिव भक्त, सभी मार्गो मे परम सहायक होते है हनुमान। ये शिव अंश भी, शिव पुत्र भी है राम के भक्त भी वही सीता के पुत्र हैं। ये कपि मुख है, वही पंचमुख, सप्तमुख, और ग्यारहमुख धारण करने वाले है। ये सभी जगह सूपूजित है कारण ये संकटमोचन है। माता, पिता के लिए अपने संतान से प्यारा कोई नही होता, जैसै गौरी पुत्र गणेश है, वही शिवांश देवी पुत्र बटुक भैरव है वही शिवांश राम भक्त हनुमान जी है।
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कहा गया है कि बिना गुरु ज्ञान नही होता है वही बिना कुल देवता के कृपा बिना किसी अन्य देव की कृपा प्राप्त नहीं होती है। प्रथम श्री गणेश को स्मरण पूजन किए बिना पूजा प्रारम्भ नहीं होता हैं। महाविद्या की साधना करनी हो, वहाँ बिना बटुक कृपा आगे बढ़ना कठिन है। असली माता पिता के पास ये पुत्र ही पहुँचा सकते है, परन्तु अपने इस जीवन के माता पिता की सेवा तथा आदर किए बिना यह संभव ही नहीं है।
जीवन के बाधा, संकट का निवारण न हो तो धर्म मार्ग में बढ़ना दुष्कर है। मूर्ति पूजा हो या निंरकार, परन्तु सत्य यही है कि परमात्मा एक हैं, तभी तो कहा गया है कि सत्यम, शिवम , सुन्दरम। सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है बाकी सब गौण। एक शिव ही सृष्टि में सत्य है, वही क्रिया शक्ति, चित शक्ति एवं इच्छा शक्ति के रुप में अर्धनारीश्वर है, शिव के बायें भाग में शक्ति हैं, वही शिव के एक रुप है हरि हरात्मक आधा शिव आधा विष्णु, ये शिव की अलग अलग लीला एंव रुप है। शिव सुन्दर है वही उनकी शक्ति सुन्दरी के नाम से विख्यात है, फिर तो शिव के द्वारा रचित श्री
रामायण का हनुमत कान्ड को उन्होंने सुन्दर कान्ड का नाम रखा, यह विशेष रहस्यपूर्ण है। सुन्दर कान्ड के प्रत्येक श्लोक का अर्थ समझेगे तो उस शिव के सुन्दर रुप का मर्म समझ में आ जायेगा। सुन्दर कान्ड का पाठ जहाँ होता है सारे अभाव, पाप, रोग विकार स्वतःनष्ट होने लगता है, हमे सिर्फ पूर्ण श्रद्धा से होकर पाठ करना चाहिए। पाठ से पूर्व हमें क्या करना चाहिए यह भी महत्वपूर्ण है।
सुन्दर कान्ड मे शिवशक्ति, सीताराम, वरदान, बल, धन, शुभ, दमन, अहंकार का विसर्जन, भक्ति की परकाष्टा, प्रेम, मिलन विश्वास, धैर्य, बौद्धिक विकास क्यों नहीं प्राप्त किया जा सकता हैं। हमारे हनुमान जी वे सत्यम शिव के सुन्दर, लीलाधर हैं, सभी उनके कृपा से प्राप्त हो जाता है। हनुमत उपासना व्यापक है, हर कार्य सुलभ है। प्रथम गुरु, गणेश का पूजन कर राम परिवार ऋषि पूजन कर हनुमत उपासना करने से ही पूर्ण सफलता प्राप्त होती है। मैं हनुमत का विशेष पाठ प्रयोग लिख रहा हूँ, जो चमत्कारिक है और पूर्ण फल प्रदान करनें मे सक्षम। श्री रामायण के प्रथम रचनाकार शिव है फिर ऋषि बाल्मिकी, फिर गोस्वामी तुलसीदास जी है। मंत्र कवच के ऋषि देवता भिन्न भिन्न है। बजरंग बाण जो प्राप्त होता है वह भी अधुरा हैं। फिर भी लोगों को लाभ मिलता है। एक एक अक्षर शक्ति सम्पन्न है। श्री हनुमान जी शिवांश है परन्तु वैष्णव परिवार से है इस कारण इनके पूजा में मांस, मदिरा, स्त्री भोग वर्जित है। गृहस्थ आश्रम के भक्त इन्हें अधिक प्रिय है परन्तु साधना काल में नियम का पालन अवश्य करे। स्त्री भक्त मासिक धर्म में इनकी साधना न करें। श्री हनुमान चालीसा बहुत प्रभावी एवं प्रचलित हैं, शनिग्रह से प्रभावित हो या राहुकेतु से भूत पिशाच हो या रोग व्याधि नित्य 1,3,7,11,21,31,51,108 बार पाठ करने से कामना पूर्ण होती है, यह परिक्षित है। श्री शिव पार्वती सहित गणेश नमस्कार कर, सीताराम, सपरिवार का ध्यान कर श्री गोस्वामी तुलसीदास जी को प्रणाम करे। विशेष लाभ के लिए तिल का तेल और चमेली का तेल मिलाकर लाल बती का दीपक लगा लें , पूर्व, उतर मुख करके थोड़ा गुड़, का लड्डू या किशमिश का प्रसाद अर्पण कर पाठ आरम्भ करें। कुछ विशेष मंत्र (Hanuman Shakti Mantra) का विधि प्रयोग दे रहा हूँ, इससे अवश्य कामना या संकट का निवारण होता है।
1. भयंकर, आपति आने पर हनुमान जी का ध्यान करके रूद्राक्ष माला पर 108 बार जप करने से कुछ ही दिनों में सब कुछ सामान्य हो जाता है।
Hanuman Shakti Mantra (1) :
मंत्र : “त्वमस्मिन् कार्य निर्वाहे प्रमाणं हरि सतम.
तस्य चिन्तयतो यत्नों दुःख क्षय करो भवेत्।।”
2. शत्रु, रोग हो या दरिद्रता, बंधन हो या भय निम्न मंत्र (Hanuman Shakti Mantra) का जप बेजोड़ है, इनसे छुटकारा दिलाने में यह (Hanuman Shakti Mantra) प्रयोग अनूभुत है। नित्य पाँच लौंग, सिनदुर, तुलसी पत्र के साथ अर्पण कर सामान्य मे एक माला, विशेष में पाँच या ग्यारह माला का जप करें। कार्य पूर्ण होने पर 108 बार, गूगूल, तिल धूप, गुड़ का हवन कर लें। आपद काल में मानसिक जप से भी संकट का निवारण होता है।
Hanuman Shakti Mantra (2) :
मंत्र : “मर्कटेश महोत्साह सर्व शोक विनाशनं, शत्रु संहार माम रक्ष श्रियम दापय में प्रभो.”
3. अनेकानेक रोग से भी लोग परेशान रहते है, इस कारण श्री हनुमान जी का तीव्र रोग हर मंत्र (Hanuman Shakti Mantra) का जप करनें, जल, दवा अभिमंत्रित कर पीने से असाध्य रोग भी दूर होता है। तांबा के पात्र में जल भरकर सामने रख श्री हनुमान जी का ध्यान कर मंत्र (Hanuman shakti Mantra) जप कर जलपान करने से शीघ्र रोग दूर होता है।श्री हनुमान जी का सप्तमुखी ध्यान कर मंत्र (Hanuman Shakti Mantra) जप करें।
Hanuman Shakti Mantra (3) :
मंत्र : “नमो भगवते सप्त वदनाय षष्ट गोमुखाय, सूर्य रुपाय सर्व रोग हराय मुक्तिदात्रे.”
रंक को भी राजा बना सकता है ये अचूक मंत्र

Rank Ko Bhi Raja Bana Sakta hai Ye Achuk Mantra
धन प्राप्ति की कामना किसे नहीं होती, वर्तमान में हर व्यक्ति अतिरिक्त धन प्राप्ति की कामना करता है। लेकिन कई बार अथक प्रयासों के बावजूद धन की प्राप्ति नहीं हो पाती। जब धन के सभ रास्ते बंद हो जाएं और दरिद्रता आपको घेरने लगे, तो उपाय करना आवश्यक है। इसलिए हम बता रहे हैं धन प्राप्ति हेतु मंत्र, जिसे आपको मात्र 3 शुक्रवार तक पढ़ना है। जानिए मंत्र और विधि –
आर्थिक संपन्नता के लिए किसी भी माह के प्रथम शुक्ल पक्ष को यह प्रयोग आरंभ करें और नियमित 3 शुक्रवार को यह उपाय करें। प्रत्येक दिन नित्य क्रम से स्नानोंपरांत अपने घर के पूजा स्थान में घी का दीपक जलाकर मां लक्ष्मी को मिश्री और खीर का भोग लगाएं।
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Achuk Mantra : “ॐ श्रीं श्रीये नम:” इस मंत्र (Achuk Mantra) का मात्र 108 बार जप करें। तत्पश्चात 7 वर्ष की आयु से कम की कन्याओं को श्रद्धापूर्वक भोजन कराएं। भोजन में खीर और मिश्री जरूर खिलाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी अवश्य प्रसन्न होगीं। आर्थिक परेशानी खत्म होगी। टिप्स : हर शुक्रवार लाल या सफेद परिधान पहनें। हाथ में चांदी की अंगूठी या छल्ला धारण कर उसी समय चावल और शकर का किसी योग्य ब्राह्मण को दान करें।
भाग्य जगाने का मन्त्र

Bhagya Jagane Ka Mantra :
मन्त्रः-
“मन्त्र महामनि विषय ब्याल के ।
मेटत कठिन कुअंग भाल के ।।”
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Bhagya Jagane Ka Mantra Vidhi Aur Labh : हल्दी की गाँठों की माला बना करके इस मन्त्र के 1000 जप नित्यप्रति ६ मास तक करते रहने से भाग्य अनुकूल हो जाता है । इस मन्त्र के प्रयोग से भाग्य की विडम्बनाओं का नाश किया जाता है ।
ब्रह्मचर्य रक्षा मंत्र साधना

Brahmacharya Raksha Mantra Sadhna :
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Brahmacharya Raksha
Mantra Sadhna :
वासनाक्षय, मनोनाश और बोध-ये तीन चीजें जिसने सिद्ध कर ली वह पुरुष जीवन्मुक्त हो जाता है।
वासनाक्षय के लिये ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है। कैसा भी योगाभ्यास करने वाला साधक हो, धारणा, ध्यान, त्राटक आदि करता हो लेकिन यदि वह ब्रह्मचर्य का आदर नहीं करता, संयम नहीं
करता तो उसका योग सिद्ध नहीं होगा। साधना से लाभ तो होता ही है लेकिन ब्रह्मचर्य के बिना उसमें पूर्ण सफलता नहीं मिलती। जो लोग ‘संभोग से समाधि‘ वाली बातों में आ गये हैं वे सब रोये हैं। संभोग से समाधि नहीं होती, संभोग से सत्यानाश होता है साधना का। बड़े-बड़े योगी भी संभोग की ओर गये हैं तो उनका पतन हुआ है फिर भोगी की क्या बात करें? संभोग से यदि समाधि उपलब्ध होती तो करोड़ों मनुष्य कर ही रहे हैं, कीट-पतंग जैसा जीवन बिता रहे हैं। समाधि किसकी लगी? आज तक इस प्रकार किसी को समाधि न लगी है न कभी लगेगी।
राम के सुख के बाद संसार में यदि अधिक-से-अधिक आकर्षण का केन्द्र है तो वह काम का सुख है। शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गन्ध इन पाँचों विषयों में स्पर्श का आकर्षण बहुत खतरनाक है। व्यक्ति को कामसुख बहुत जल्दी नीचे ले आता है। बड़े-बड़े राजा-महाराजा-सत्ताधारी उस काम-विकार के आगे तुच्छ हो जाते हैं। काम-सुख के लिये लोग अन्य सब सुख, धन, वैभव, पद-प्रतिष्ठा कुर्बान करने के लिये तैयार हो जाते हैं। इतना आकर्षण है काम-सुख का। राम के सुख को प्राप्त करने के लिए साधक को इस आकर्षण से अपने चित्त को दृढ़ पुरुषार्थ करके बचाना चाहिये।
जिस व्यक्ति में थोड़ा-बहुत भी संयम है, ब्रह्मचर्य का पालन करता है वह धारणा-ध्यान के मार्ग में जल्दी आगे बढ़ जायेगा। लेकिन जिसके ब्रह्मचर्य का कोई ठिकाना नहीं ऐसे व्यक्ति के आगे साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण आ जायें, भगवान विष्णु आ जायें, ब्रह्माजी आ जायें, माँ अम्बाजी आ जायें, सब मिलकर उपदेश करें फिर भी उसके विक्षिप्त चित्त में आत्मज्ञान का अमृत ठहरेगा नहीं। जैसे धन कमाने के लिए भी धन चाहिये, शांति पाने के लिये भी शांति चाहिये, अक्ल बढ़ाने के लिये भी अक्ल चाहिये, वैसे ही आत्म-खजाना पाने के लिये भी आत्मसंयम चाहिये। ब्रह्मचर्य पूरे साधना-भवन की नींव है। नींव कच्ची तो भवन टिकेगा कैसे?
Brahmacharya Raksha Mantra Prayog Vidhi :
एक कटोरी दूध में निहारते हुए इस ब्रह्मचर्य रक्षा मंत्र (Brahmacharya Raksha Mantra) का इक्कीस बार जप करें । तदपश्चात उस दूध को पी लें, ब्रह्मचर्य रक्षा में सहायता मिलती है ।
यह ब्रह्मचर्य रक्षा मंत्र (Brahmacharya Raksha Mantra) सदैव मन में धारण करने योग्य है :
Brahmacharya Raksha Mantra :
मंत्र : “ॐ नमो भगवते महाबले पराक्रमाय
मनोभिलाषितं मनः स्तंभ कुरु कुरु स्वाहा ।।”
“ॐ अर्यमाय नमः” ये ब्रह्मचर्य रक्षा मन्त्र (Brahmacharya Raksha Mantra ) जपने से ब्रम्हचर्य पालने में मदद मिलती है
“जब कभी भी आपके मन में अशुद्ध विचारों के साथ किसी स्त्री के स्वरूप की कल्पना उठे तो आप ‘ॐ दुर्गा देव्यै नमः’ मंत्र का बार-बार उच्चारण करें और मानसिक प्रणाम करें ।
बुद्धि बढ़ाने और पढ़ा हुआ न भूलने का मंत्र

Buddhi Badhane Aur Padha Hua Na Bhulne Ka Mantra : मंत्र :: “ॐ नमो भगवती सरस्वती परमेश्वरी वाक्य वादिनी है विद्या देही भगवती हंसवाहिनी बुद्धि में देही प्रज्ञा देही,देही विद्या देही,देही परमेश्वरी सरस्वती स्वाहा।”
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Padha Hua Na Bhulne Ka Mantra Vidhi – यह मंत्र अत्यन्त तीव्र एवं प्रभावी होता है। बसंत पंचमी के दिन या किसी भी रविवार को सरस्वती माता के चित्र के समक्ष दूध से बना प्रसाद चढ़ाकर उक्त मंत्र का विधि पूर्वक 108 बार जप करें तथा खीर का भोजन करें तो यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। फिर जब भी पढ़ने बैठे इस मंत्र का 7 बार जप करें तो पढ़ा हुआ तुरंत याद हो जाता है और बुद्धि तीव्र हो जाती है।
नवग्रह शांति और दुर्भाग्य नाशक अमोघ मंत्र

Navagrah Shanti Aur Durbhagya Naashak Mantra : नवग्रह की शांति के लिए राम चरित मानस में एक अचूक मंत्र है, जिसके जप का विश्ोष फल प्राप्त होता है। नवग्रह शांत होते हैं और जीव की बाधाएं समाप्त होती हैं। कहते हैंं कि जिस जीव पर नवग्रह की कृपा हो जाती है, उसे इस लोक सभी सुख और सौभाग्य की प्राप्ति हो जाती है, इसलिए प्रत्येक जीव का नवग्रह की शांति के लिए प्रयास करना चाहिए। विश्ोषतौर पर इस मंत्र का जप सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यदि आपके भाग्य में दुर्भाग्य का साया है तो इस मंत्र का आवश्य जप करना चाहिए। इससे आपको सौभाग्य की प्राप्ति श्री राम की कृपा से आवश्य ही होगी।
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Navagrah Shanti Mantra – “मोहि अनुचर कर केतिक बाता। तेहि महॅँ कुसमउ बाम बिधाता।। ” Navagrah Shanti Mantra Prayog Vidhi : राम नवमी के दिन रुद्राक्ष की माला पर 1100 जप नित्य करते हुए इसे चालीस दिन पूर्ण करें। 41 वें दिन अखंड रामायण का पाठ करवाएं। इस अवसर पात्रों और गरीबों का भोजन भी करवाया जाए। इन्हें वस्त्र भी बांटे जाएं। इस मंत्र के प्रयोग से दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है। इस मंत्र का जप करने वाले को नवग्रह नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। प्रभु राम की असीम कृपा भी जप करने वाले को प्राप्त हो जाती है। इस मंत्र के जप में भाव की प्रधानता का विश्ोष महत्व है, इसलिए मंत्र के जप के दौरान भाव की प्रधानता रखी जाए, क्योंकि ईश्वर भाव को ही देखता है।
राम मन्त्र साधना विधि बिधान

Ram Mantra Sadhna Vidhi Bidhan : यज्ञ सामग्री : श्री राम बिष्णु का एक रूप ही है अत: अग्नि साधना एब बिष्णु साधना की यज्ञ सामाग्री प्रयुक्त करें । मंत्र : “राम” स्वयं में मंत्र रूप शव्द है । इसका उचारण “राउम” होना चाहिए । जैसे “ओउम” का उचारण होता है । याद रहे , इसमें एक बिशेष कंपन होता है । अत: इसके तांत्रिक उचारण में इसका सदैब ध्यान रखना चाहिए ।
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Ram Mantra Sadhna Siddhi Vidhi :
चन्दन की चौकी पर तुलसी की कलम से और चन्दन से एक सौ आठ बार राम का नाम लिखे । उपरोक्त बिधि से भूमि का पूजन बंधन करके या किसी निर्जन कक्ष में पबित्रता बनाकर ईशान कोण पर बिष्णु साधना के अनुरूप राम साधना के लिए आसन लगायें । कक्ष हबादार होने के साथ ईशान की तरफ खिड़की खुली रहनी चाहिए । पुर्बबत अग्नि प्रज्वलित करके राम का ध्यान करे तथा एक सौ आठ बार हबि देने के बाद नेत्र बंद करके त्राटक में राम की प्रतिमा का ध्यान करते हुए राम नाम का जाप आरम्भ करें ।
यह राम साधना जाप ब्राह्ममुहूर्त से आरम्भ करके अगले दिन सूर्योदय तक किया जाता है । कक्ष के किसी कोने में मूत्र आदि की नाली होनी चाहिए या बाथरूम स्थित होना चाहिए । यह जाप अखंड चलता है ,अत: कोई रोक टोक , बातचीत करना सदैब मना । टहलने घुमाने –फिरने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता , परन्तु जाप का क्रम टूटता नहीं चाहिए । एक सौ आठ दिन में सिद्धि प्राप्त होती है परन्तु ब्रह्मचर्य पालन करने पर ।
Ram Mantra Sadhna Siddhi Phal :
कार्य सिद्धि , इष्ट प्राप्ति , मनोकामना पूर्ति , रोग मुक्ति आदि राम मंत्र साधना (Ram Mantra Sadhna) से साधक को प्राप्त होता है । यह जाप निरंतर प्रत्येक तीसरे दिन एक सौ आठ दिन तक कर लेने पर रामजी के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं ।
श्री बिष्णु साधना मंत्र विधान

Vishnu Sadhna Mantra Vidhan : मंत्र : “ॐ नमो नारायनाम ।”
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Vishnu Sadhna Yagna Samagri :
पीला आसन ,पीले बस्त्र, पीले पुष्प, सफ़ेद चन्दन , चन्दन की चौकी , तुलसी के पत्ते , जल ,अग्नि , साधना में प्रयुक्त (घृत ,शुभ ब्रुक्ष की लकडिया –आक , चिडचिड़ि ,आम ,बेल ,अनार ,शमी ,दूब, तिल, जौ, चाबल ,धूप , गुग्गुल , चन्दन ,तांबे के पात्र में रखा जल ,लाल रंग के आसन और पुष्प आदि ।
Vishnu Sadhna Siddhi Vidhan :
चन्दन की चौकी पर तुलसी की कलम से सफ़ेद चन्दन द्वारा उपरोक्त मंत्र को लिखे । प्रथमे भूमि को पबित्र करके बांधित करके ईशान कोण पर नोबर्ग हाथ भूमि पर आसन बिछाये और सामने अग्नि बेदी बनायें । अग्नि मंत्र पढ़ते हुए पूर्ब दिशा की तरफ मुख करके अग्नि प्रज्वलित करे तथा फिर भगबान बिष्णु की साकार छाबिया “ॐ” को ध्यान में लाकर मंत्र पढ़ते हुए अग्नि में हबि दें । इस मौके पर सहस्त्र नाम का पाठ भी किया जाता है यदि यह पाठ करना हो तो ,प्रत्येक श्लोक के आरम्भ और समापन में उपरोक्त मंत्र को जपना चाहिए ।निरंतर एक सौ आठ दिन में जाप करने पर सिद्धि प्राप्त होती है, परन्तु पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना आबश्यक है ।
अग्नि साधना कैसे करें ?

Agni Sadhna Kaise Kare ? अग्नि मीले पुरोहित यज्ञस्य देबमृत्विजम ।होतारं रत्नधात्म्म्। अग्नि पुर्बोमि ऋषिमिरीडयो नुतनैरुत ।स देबो सह बक्षति। अग्निनां रयियशनबत् पोषमेब दिबेदिबे। यशस बीरबत्मम्। अग्नेय यझमध्वरं बिश्वत: परिभूरासि । स इदेबेशु गछति । अग्निर्होता कबिक्रतु: सत्यशिच्चत्रश्रबस्तम:। देबो देबेभिरागतम् ।।
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Agni Sadhna yagna Samagri :
शुद्ध घृत, शुभ ब्रुक्ष्यो की लकडिया (आक ,बेल,चिडचिड़ि ,अनार ,आम ,शमी आदि ,दूब, तिल, जौ ,चाबल (आखा), धूप ,दही ,गुग्गुल ,चन्दन , रक्त , जल (ताम्रपात्र में) अग्नि बर्न के आसन एबं बस्त्र , फूल आदि ।
Agni Sadhna Yagna Vidhi :
संध्या से पहले ही इक्क्यासी बर्ग हाथ को स्वच्छ करके उसे गोबर ,मिट्टी की चारों तरफ छह फुट उंची , चार फुट चौड़ी मेढ बनाकर घेर दे ।इसे गाय के गोबर से लीप कर आग्नेय कोण में सबा हाथ भुजा बाली (बर्गाकार) बेदी कोण पर पूरब दिशा की तरफ इस प्रकार से बनायें की उसके पशिचम आसन बिछाने और पूजा /यज्ञ सामग्री रखने के बाद भी सब कुछ नो बर्ग हाथ में समाप्त हो जाये। बेदी को भूमि पर ही निर्मित करें। अन्य उपाय श्रेयस्कर नहीं है । भूमि की मेढ़ पर चाबल या जौ के आटे, सिन्दूर ,तुलसी , जल को पढ़ते हुए छिड़के ।
अब प्रात: काल ब्रह्ममुहूर्त (तीन बजे) में सभी प्रकार से पबित्र होकर बेदी के निकट आसन को बिछाकर सभी यज्ञ सामग्री रख लें तथा पूरब दिशा की तरफ मुख करके सुखासन में बैठ जायें । त्तपश्चात गाय के कंडे चिंगारी से सुलगाये । इस समय मंत्र को पढ़ते रहे । जब अग्नि सुलग जाये तब उसे ध्यान लगाकर प्रणाम करें और थोड़ी लकड़ी डालकर त्राटक में ध्यान लगाकर अग्निशिखा पर ध्यान केन्द्रित करें और मंत्र जाप करते हुए हबन /यन्त्र सामग्री थोडा थोड़ा हबन कुण्ड (बेदी में) डालते जायें । यह क्रिया एक सौ आठ बार होनी आबश्यक है, फिर अग्नि देब को प्रणाम करके शेष बची यज्ञ सामग्री को बेदी में डाल दे । इस क्रिया के मध्य आबश्यकता के अनुरूप डालते जाये । यह साधना एक सौ आठ दिन में सिद्धि हो जाती है ।
यज्ञ सामग्री में चिडचिडी, आक, बेल ,औषधिया ,अनार ,आम ,शमी आदि की लकड़ियां भी डाली जाती है । ये सभी उपलब्ध हो , तो सही है । यदि उपलब्ध न हों तो एक ही प्रकार की लकड़ी से बिधि करनी चाहिए । ध्यान को अग्नि की लपटों को तेज पर केन्द्रित करके एकाग्रचित रखना चाहिए । इसकी सिद्धि में यही प्रमुख त्वत होते हैं।
Agni Sadhna Siddhi Phal :
अग्निसिद्धि एक सौ आठ दिन में होती है । समय अधिक भी लग सकता है । अग्नि साधना (Agni Sadhna) का फल अबर्णनीय है । कांति, पराक्रम ,तेज ,दृष्टिबल ,आभा ,चेतना की सबलता तो पहले दिन ही अनुभब में आने लगती है । इसकी सिद्धि प्राप्त हो जाने के पश्चात दिब्य सम्मोहन शक्ति और भबिष्यदर्शन की शक्ति प्राप्त होती है ।
ध्यान केंद्र : त्राटक
चमत्कारी सर्बोंनती साधना विधि

Chamatkari Sarvonnati Sadhana Vidhi : चमत्कारी सर्बोंनती साधना कर्जा उतारने, अचानक धन प्राप्त करने ,ब्यापार –बृद्धि ,नौकरी ,पदोन्नति आर्थिक उन्नति ,रोग मुक्ति आदि सभी कार्यो में लाभदायक हैं । सामग्री :गंगाजल का पात्र ,अगरबती ,शुद्ध घी का दीपक , धूप ,कुंकुम , फूल साधक को चाहिए की बह उत्तर दिशा की और मुख कर बैठ जाय और सामने दीपक , अगरबती जला ले ,फिर रुद्राक्ष की माला से निम्नलिखित मंत्र की सात मालाएँ फेरे ।
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Chamatkari Sarvonnati Sadhana Mantra : मंत्र : “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्बदुःख बिनाश्य सर्बउन्नति कारणाय मम् नमस्काराय स्वीकार्य कुरु कुरु फट स्वाहा।” ऐसा करने पर साधक के जीबन में सभी दृष्टियों से उन्नति होती है ।
सर्वकार्य सिद्धि हेतु मंत्र उपाय

Sarvkarya Siddhi Hetu Mantra Upay : उल्लू की जीभ, चोंच, नख, गुदा ,आँखें तथा छोटे पंख इन सब बस्तुओं को चन्दन की समिधा में जलाकर भस्म तैयार कर लें । फिर उस भस्म को किसी पात्र में भरकर रख दें । फिर सोमबती अमाबस्या को आधी रात के समय उस भस्म को लेकर किसी तालाब के किनारे पर जाएं और भस्म को अपने दायें हाथ में लेकर उस तालाब के जल में स्नान करें । स्नानोपरान्त भस्म को तालाब पर रखकर स्वयं उसके सामने सुखासन लगाकर बैठ जाएँ । आपका मुंह उत्तर दिशा की और ही रहे । इसके बाद निम्नलिखित सर्वकार्य सिद्धि मंत्र (Sarvkarya Siddhi Mantra) का 7008 बार जप करें तथा प्रत्येक बार मंत्र पाठ पूरा होने पर भस्मपात्र पर एक –एक फूंक मारते जायें । इस बिधि से पात्र में रखी हुई भस्म अभिमंत्रित बन जायेगी ।
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Sarvkarya Siddhi Mantra : मंत्र : “ॐ नमो भूतनाथाय ,उद्दायेश्वराये ,पक्षिराजाय, काकारि कमलासनाय, लक्ष्मीबाहनाय , मम सर्बकार्य सिद्धि कुरु कुरु डां डीं डूं डं डौं स्वाहा ।” मंत्र जप पूरा हो जाने पर भस्म को लेकर घर लौट जाएं । दुसरे दिन प्रात: स्नानादि से निबृत हो, अपने मस्तक पर भस्म लगाएं । इस प्रकार 31 दिन तक नित्य नियमपुर्बक तिलक लगाते रहें । तत्पश्चात जब किसी कार्य को सिद्ध करना हो, उस दिन ललाट पर भस्म का तिलक लगाकर बाहर निकलें तो कार्य स्वयं सिद्ध होते जायेंगें ।
प्रचण्ड चंडिका मंत्र साधना

Prachand Chandika Mantra Sadhana : मंत्र : “ॐ ह्रीं ह्रीं बज्रेबेरोचनीये हुं फट स्वाहा ।” इस मंत्र का ध्यान, पूजन आदि भी सब षोडशी पद्धति के अनुसार ही करना चाहिए ।
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Prachand Chandika Mantra 2 मंत्र : “हुं” (यह एकाक्षर मंत्र तीनों लोकों को बश में करने बाला है ।) Prachand Chandika Mantra 3 : मंत्र : “हुं स्वाहा” इस मंत्र से आराधना करने पर तीनों लोकों को मोहित किया जा सकता है । इसे जपने का अधिकार शुद्र को नहीं है ।शेष मन्त्रों का जप कोई भी कर सकता है । यदि कोई स्त्री इस मंत्र को ग्रहण करे तो बह डाकिनीगणों के सहित डाकिनी होती है तथा पति- पुत्र बिहीन होकर सिद्धयोगिनी की भाँति बिचरण करती है । इन सब मन्त्रों का ध्यान तथा पुजादि षोडशी प्रकरणोंक्त पद्धति के अनुसार करना चाहिए । Prachand Chandika Mantra 4 : मंत्र : “ॐ हुं स्वाहा ।” इस महामंत्र का जाप करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्षजन्य चतुर्बर्ग लाभ होता है । Prachand Chandika Mantra 5 : मंत्र : “ॐ बज्रबेरोचनीये हुं हुं फट स्वाहा ।” यह मंत्र सबका तेजोपहारक है । इस मंत्र द्वारा देबी की आराधना करने पर त्रिभुबन आकर्षित होता है। इससे धर्म, अर्थ और काम तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है ।इन सब मन्त्रों का ध्यान तथा पुजनादि षोडशप्रकरण में बर्णित बिधि से करना चाहिए ।
बालग्रह दोष निवारण मंत्र
