Shamshan Sadhana

नरसिंह श्मशान सिद्धि साधना

Narsinha Smashan Siddhi Sadhana :

।।श्मशान सिद्धि साबर मंत्र ।। “ॐ नमो आदेश गुरु को। ॐ आदेश गुरुजी मां मेलडी माता मेलडी। खडी मसाणे। रुप घरो मसाणी को चंडी बौकरा पर फट फट फटकार मारी। किया भूत प्रेत चलीया। आगे नारसिंगा बीर चलीयो साथ। माई क्रोध में बडी भंयकरी लागे। आगे आगे भूत प्रेत भागे। बाट बाट घाट घाट धूणे धूणे। कापें कम्पन धरती माता यही माई मसाणी जागे जाग जाग माई मेरी हकारी ना आबे तो जोगी योगी की आण बारा अघोरी की दुहाई। ला मां झां मेलिया मसाण की मेलडी कारु कारजूं खाये। करे साधना सिद्धन कामा। महुआ का मद पीके आई तू माता कामरू की माई। मेलडी कहायी गुरु की शक्ति हमारी भक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो बाचा।।”

Smashan Siddhi Sadhana Vidhi :
इस श्मशान सिद्धि साधना (Smashan Siddhi Sadhana) बिधि यहाँ पर देना उचित नहीं हैं । मैंने गुप्त मंत्र को लोगों के सामने इस लिये प्रकट किया है, कि जो प्राचीन काल की गुप्त मंत्र बिद्या आज लुप्त हो रहीं है । असली मंत्र कहीं देखने को भी नहीं मिलते । केबल कथा कहाँइयों के अन्दर उदाहरणों तक ही सीमित हैं । लेकिन ऐसा भी नहीं है । यह श्मशान सिद्धि साधना (Smashan Siddhi Sadhana) बिद्या बिल्कुल समाप्त ब लुप्त हो गई है । अगर हम प्रयास करे कठिन मेहनत करे तो 100 में से 25 प्रतिशत गुप्त ज्ञान एबं भारतीय प्राचीनसभ्यता और बिद्या उजागर हो सकती है । ये तंत्र बिद्या गाबों, ढाणियों, कस्बों ब पहाडियों में बसे छोटे मोटे गाबों मे आज भी स्वयं सिद्ध तंत्र मंत्र तथा सिद्धियाँ प्राप्त हो सकती है और हम भारतीय सनातन संस्कृति की एक शाखातंत्रमार्ग का पुन: निर्माण कर सकते हैं । यह कोई गलत कार्यो के लिये ही उपयोग में ही नहीं आती बल्कि समस्त जीबों का कल्याण भी कर सकती है , इस तंत्र बिद्या को केबल हमें उसे करने ब समझने की आबश्यकता है । यह बिद्या सभी का कल्याण करती है ।

श्मशान साधना मंत्र

Smashan Sadhana Mantra :
जिस तरह देब नदियों के किनारे मरघट होते हैं ठीक उसी तरह अन्य स्थानों में जहाँ शबों की अन्तिम क्रिया की जाती है बहाँ पर श्मशान होते हैं । और इन श्मशानों में भी मरघट की भांति अनेकों शक्तिशाली आत्माएं होती हैं ।

Smashan Sadhana Parichay :
मरघट की आत्माओं और उप-देबताओं की ही भांति श्मशानों के भी देबता और आत्माओं की साधनाएं साधकगण युगों से करते आ रहे हैं । अत: यहाँ पर कुछ श्मशानी साधनाएं भी बर्णित की जा रही हैं । श्मशान साधना की मुख्य साधनाओं में श्मशान के मुख्य देबता की साधना ही अधिक सक्षम होती है ।
Smashan Sadhana Phal : इस साधना (Smashan Sadhana Mantra) की सिद्धि होने पर साधक के साथ श्मशान की कोई न कोई आत्मा हर समय रहने लगती है ये साधक के इछित कार्य सम्पन्न करती है । तमाम तरह के चमत्कार, शत्रु संहार, गुप्त बातें बताना और भूमिगत धन का ज्ञान श्मशान के सिद्ध साधकों के लिए बाएं हाथ का खेल हो जाता है ।
Smashan Sadhana Bidhan : श्मशान की साधना भी तीन माह की साधना होती है । कोई पुराना निर्जन श्मशान चुनकर बहाँ पर श्मशान के मध्य साधना स्थल बनाबें और पूर्णमासी को सायंकाल स्नानादि करके साधना आरम्भ करें । पूर्णमासी को श्मशान की पूजाकर श्मशान के सभी देबी देबताओं और आत्माओं के लिए भी पूजा करें फिर रात में निम्न मंत्र का जप करें । पूजा और साधना दोनों के अलग-अलग मंत्र यहाँ दिए हैं । यह क्रिया तीन महिने तक लगातार नित्य प्रति रात में करके घर चला आबे किन्तु साधना से पहले रक्षा उपाय करके ही जाबे । अन्यथा अनिष्ट होने की बहुत सम्भाबना बनी रहती है । यह बीरबेश की साधना है जो अत्यन्त उग्र और भयाबह है हिम्मत से काम लें ।
Smashan Sadhana Mantra : मंत्र : “ॐ नमो: श्मशानेश्वर प्रत्क्षोभब प्रसीद स्वाहा।।” इस मंत्र (Smashan Sadhana Mantra) का ३००० जप नित्य रात में करें ।
श्मशान साधना मंत्र (पूजा मंत्र) : “ॐ नमो: समस्त श्मशान बासिन्यो, श्मशानेश्वर च मम पूजा ग्रहण ग्रहण स्वाहा।” इस श्मशान साधना मंत्र (Smashan Sadhana Mantra) से पूजा करें । पूजन सामग्री अर्पित करें ।
Smashan Sadhana Mantra Vidhi : पूजन सामग्री में दाल-भात ,पूरी, खीर पुआ (मीठे) जल, शराब अलग- अलग पतलों में और पात्रों में श्मशान बासियों के लिए तथा श्मशानेश्वर के लिए देबें । अमाबस्या पूर्णमासी को पूरा भोग, शेष दिन दाल –भात, मदिरा और जल देबें । इसके पहले धूप दीप, जल, फूल, चाबल चन्दन , फल देकर पूजा करें ।
साधक की गति : श्मशान –साधक मरने पर मुक्त नहीं होता बह स्बयं भी मरकर श्मशानबासिनी आत्मा बनता है । उसे सिद्ध हुआ श्मशान उसे भी अपने समूह में मिला लेता है और साधक श्वयं भी बहीं निबास करता है ।

मरघट साधना

Marghat Sadhana : गंगातट अथबा देबनदियों के तट पर जो शब जलाएं जाते हैं अथबा जिनकी अन्त्येष्टि होती हैं केबल बही स्थान मरघट कहे जाते हैं । अन्य समस्त स्थान श्मशान होते हैं । (जिन पर ये क्रियाएं होती हों।)

Marghat Sadhana Parichay :
मरघट ऐसी जगह है जहाँ हजारों हजार प्रेत, भूत, फेत्कारिणियां, हरी, भरी, पर अपदेब या मरघट सम्बंधी अति बलबान आत्माएं निबास करती है । मरघट सिद्ध करने का अर्थ हुआ पूरा मरघट साम्राज्य साधक के अधीन हो जाना । असकी सभी आत्माएं अपदेबादि साधक के अधीन होकर साधक का कार्य करते हैं । यह साधना अत्यन्त भयाबह और प्राणों के लिए घातक भी हो सकती है ।
Marghat Sadhana Vishes : मरघट का कोई एक राजा होता है जिसके अधीन पूरा मरघट होता है उसी का साधना प्रमुखता से की जाती है तो सारा मरघट साधक की आज्ञा मानता है । किन्तु यह स्मरण रहे कि कई मरघटेश्वर या मरघटराज अन्धे हैं, तो कई बहरे हैं, कईयों की दोनों भुजाएं नहीं हैं कईयों के बाणी नहीं हैं और बे उसी के अनुसार आचरण करते हैं । बहरा मरघट राजा मंत्र सुन न पाने के कारण मंत्र का अनुशासन नहीं मानता और सिद्ध नहीं होता बह सीधे प्राण हर लेता है अत: ऐसे स्थानों पर मरघट साधना नहीं करनी चाहिए ।
Marghat Sadhana Bidhan : मरघट साधना यूं तो अमाबस्या में साधक करते हैं परन्तु पूर्णमासी में भी करने का बिधान है और मरघट जाकर सायंकाल स्नानादि से निपट मरघट देबता की बिधिपूर्बक जल, पुष्प, चाबल, चन्दन, धूपदीप ,भोग, मिष्ठान, पकबान (पूआ,पूरी, खीर) से पूजा कर मिट्टी के पात्र मे जल, दूसरे मिट्टी पात्र में (शराब) मदिरा रख देबें फिर प्रत्येक रात में ३००० जप निम्नलिखित मंत्र का करें उससे पहले रक्षा बिधान अबश्य कर लें । अन्यथा जरा-सी चूक पूरे परिबार को नष्ट कर सकती है या साधक की मृत्यु हो सकती है । साधना तीन माह तक करें ।
Marghat Sadhana Mantra : मंत्र : “ॐ नमो: मरघटेश्वर उतीष्ठ उतीष्ठ प्रत्यक्षो भब स्वाहा ।।” पूजा मंत्र : पूजन सामग्री अर्पण करने के लिए निम्न लिखित मंत्र का प्रयोग करें – “ॐ नमो: मरघटेश्वराय स्वाहा । “ इसी मंत्र से कार्य भी कराएं ।
साधना के पश्चात् : नब्बे दिन के बीच मरघट में असंख्य उत्पात होंगे, भय होंगे, साधकों के टट्टी पेशाब तक छूट जाते हैं । मरघट के पहरेदार मारपीट तक करते हैं । पर अडिग रहकर साधना करता रहे तो अंतत: तीसरी पूर्णमासी को मरघट का राजा सामने आता है । बहुत भयानक रूप में आता है, भय न करें । उसे अर्घ्य दें, पूजा कर आसन देबे, भोग देबें फिर मदिरा पिलाबें तब बो बर देता है ।

शब साधना विधि

Shab Sadhana Vidhi : शब साधना निर्भर करती है साधक के मनोबल पर । यदि उच्चकोटि के युबा मनुष्य का शब मिल जाए और बह सिद्ध कर लिया जाए तो साधक इस साधना के स्तर तक पहुंच सकता है ।

Shab Sadhana Parichay :
शब साधना बहुत प्राचीन साधना है । यह त्रेता के उतरार्ध से चली आ रही है । यह असल में प्रेतबिद्या का ही एक अंग है । देबर्षि नारद और राबण आदि ने भी शब साधनाएं की थीं । इस साधना के लिए बलबान आदमी के शब को लाना चाहिए या युब तांत्रिक के शब को ।
Shab Sadhana Phal : शब की क्रिया (अन्त्येष्टि) न होने तक शब का प्रेत शब के आसपास रहता है और साधना से सिद्ध होकर साधक के आसपास रहकर साधक के कार्यो में सहायक होने लगता है । किंतु यह बहुत भयंकर साधना है । बहुत साहसी साधक ही इसे कर पाता है । इसमें जब मरा हुआ मुर्दा बोलता है तो साधक डर जाता है ।
Shab Sadhana Sthal : शब साधना सूने निर्जन श्मशानों में की जानी चाहिए। नदी तट के श्मशान, सागर तट के श्मशान, पर्बत घाटी के श्मशान अथबा सूने जंगली श्मशान ही इसके लिए उचित भूमि होते हैं। जहाँ जरा –सी भी मानबीय बिघ्न की सम्भाबना ही न हो । अन्यथा बिघ्न होने से साधक के प्राणों का संकट उत्पन्न हो जाता है ।
Shab Sadhana Bidhan : दिन ढलने से पूर्ब उसी दिन मरे मनुष्य का शब लाकर छिपाकर रख दें । दिन ढलने पर स्नानकर सूने श्मशान में श्मशानेश्वर का पूजन करें । फिर शब को नहलाकर उसे नए बस्त्र पहनाबें उसका पूजन कर दाल-भात, पानी रखें फिर उसके मुंह में आधा बोतल मदिरा उडेल दें कि पेट में भर जाबे । फिर शब के मुंह की और मुंह कर शब की छाती पर पद्मासन लगाकर बैठ जाएं, तनिक भी न डरे और नीचे लिखे मंत्र का जप करें । हजार जप पूरा होने पर एक घूंट मदिरा पिला दें । ५००० पूरा होते बो बोले तो पूरी बोतल पिलाकर बर मांग ले ।
Shab Sadhana Mantra : मंत्र : “ॐ नमों कालिके शबमन साधय साधय कालिकायै नम: ॐ।।” इस मंत्र का पांच अमाबस्या हर बार नए शब पर बैठकर ५००० जप रातभर करना होता है ।
साधना पश्चात् : साधना के पश्चात् मरे हुए शब का प्रेत सदैब आसपास रहने लगता है उससे जब भी काम लेना हो तो पांच अगरबती जलाकर एक माला निम्न मंत्र जप करें- ॐ नमो प्रेतराज मम कार्य कुरूतो नम: ।।
कार्य हो जाने पर रात में प्रेत को दाल, भात, जल और मदिरा देबें। भोजन निर्जन में जाकर देबें। प्रत्येक अमाबस, पूर्णमासी को भी उसे भोजन देबें तथा उसका पूजन करें तभी प्रसन्न रहता है ।

मरी साधना

Mari Sadhana : मरी संहारदेब से जुडी हुई श्मशान में निबास करने बाली अत्यन्त उग्र और क्रूर शक्ति है । यह साधक के शत्रु को तडपा-तडपा कर खून चूस-चूस कर मारती है । इसका मारा परिबार कभी उबरता नहीं । समूलनष्ट ही हो जाता है । इसकी साधना एक अमाबस्या से चौथी अमाबस्या तक पुराने श्मशान के पास करनी पडती है । सार संक्षेप : यह बीरभाब की साधना है, बहुत हिम्मत बाले बिरले साधक ही मरी साधना कर पाते हैं । मरी साधना के समय बहुत भय पैदा करती है । साधकों के भय के मारे टट्टी पेशाब तक छूट जाते हैं । आसन छोडकर साधक भागा तो मृत्यु ही होती है ।

Mari Sadhana Phal : इसकी साधना से संकट पडने पर मरी सदा सहायता कर रक्षा करती है । शत्रु संहार में मरी मशहूर है । शत्रुओं का नाश बहुत हंस -हंस कर करती है । साधक को धन के मार्ग बताती है पर उस धन का कभी दुरूपयोग न करें, संयम से रहें, दुराचार न करें, सबकी मदद करें बरना मरी उल्टा खाने लगती है ।

Mari Sadhana Bidhan : तीन महीने तक अमाबस्या से चौथी अमाबस्या तक मरी साधना (Mari Sadhana) श्मशान में रहकर करनी पडती है । मौन रहना पडता है, एक समय रात में भोजन करें। बह भी मूंग की दाल, चाबल का लाल मिर्च के साथ, तेल का दीपक अखण्ड तीन माह जलाबें । पुराने श्मशान से १०० धनुष दूर बबूल के पेड के नीचे आसन बनाएं, बहीं रहे । तीनों समय पूजन करें पर रात में निम्न मंत्र का ५००० जप करें । रात में भोजन का भोग देबें पतल में, पानी मिट्टी के बर्तन में देबें ।

Mari Sadhana Mantra : मंत्र : “ॐ नमो: श्मशानेश्वर एकां मरीं मम् संगिनी निश्चयं कुरू ते नम: ।।”

साथ ही श्मशानेश्वर की भी श्मशान जाकर रोज सायंकाल पूजा कर आबें । रात में उन्हें जाकर भोजन पानी रख आबें। तब लौटकर मरी की पूजा करें । निम्न मंत्र से-

मंरी मंत्र : “ॐ एहोहि मरी श्मशानबासिनी मम पूजां गृहण गृहण ममोपरी प्रसन्नोभब।।”

चौथी अमाबस्या को मरी भयानक रूप धरकर आती है । उसे भोजन और महूए की मदिरा देबें । मदिरा प्रत्येक अमाबस्या को श्मशानेश्वर और मरी को मिट्टी के बर्तन रूपी बर्तनों में देबें, भोजन के साथ । मरी खा पीकर जब साधक की छाती पर लात से प्रहार करे तो साधक छाती पर ही उसका पैर पकड कर जमा ले, फिर बह पूछेगी कया चाहता है, तो अपना मनोरथ कहकर बरदान ले लेबे । तत्पश्चात् हर अमाबस मदिरा भात देता रहे ।