Shakun Apshakun

गहने गायब से संबंधित धार्मिक मान्यताएं

Gahne Gayab Se Sambndhit Dharmik Maanytaye : “शास्त्रों के अनुसार, गहने खो जाएं तो समझो दुर्भाग्य आने वाला है” यह एक प्राचीन और परंपरागत कहावत है जिसमें मान्यता है कि यदि किसीके पास किसी गहने को खो देने का अनुभव होता है, तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण संकेत होता है जो आने वाले कुछ बुरे घटनाओं की भविष्यवाणी कर सकता है । इस कहावत में विश्वास किया जाता है कि ऐसी घटनाएँ आने वाली हैं जो व्यक्ति के जीवन में अच्छाने वाली घटनाओं की बजाय कुछ बुरा होने की संभावना बढ़ाती हैं ।

यह कहावत समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति के प्रतीक के रूप में भी देखा जा सकता है, क्योंकि गहने आमतौर पर समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माने जाते हैं । इसके अलावा, यह कहावत मानव चिन्तन की दिशा में भी एक सामाजिक संदेश देता है कि दुःख और परेशानी के समय में भी उन्हें आत्मविश्वास और संघर्षशीलता बनाए रखना चाहिए ।
इसका अर्थ यह नहीं है कि आपके गहनों की हानि होने पर स्वयं को बेहतर समझने की कोई आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह एक पुरानी मान्यता है जिसमें विश्वास किया जाता है कि जीवन के अच्छे और बुरे समय हमारे कर्मों और भाग्य के साथ आते हैं ।
धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार किसी भी तरह का गहने गायब (gahne gayab) होना दुर्भाग्य लाता है । इसके एक नहीं कई प्रमाण हैं । आइए जानें किस Gahne Gayab से क्या नुकसान होने की आशंका हो सकती है ।
Gahne Gayab Hone Ka Asubh Sanket : शास्त्रों में कहा गया है कि नाक का गहने गायब (gahne gayab) या खो जाने का अर्थ है भविष्य में बदनामी अथवा अपमान होगा । अगर सिर का कोई गहने गायब या खो जाए तो आने वाले समय में टेंशन-परेशानियों का सामना करना पड़ेगा ।
कानों में डालने वाला कोई गहने गायब हो जाए तो किसी बुरे और दुखद समाचार प्राप्त होता है । गले का हार गुम हो जाए तो वैभव में कमी आती है । बाजू बंद के गुमने से आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है । कंगन का खोना प्रतिष्ठा में कमी लाता है ।
अंगूठी के गुमने से सेहत संबंधित परेशानियां होती हैं ।
दाएं पैर की पायल गुमने से सामाज में बदनामी सहनी पड़ती है ।
बाएं पैर की पायल गुमना ऐक्सीडेंट अथवा महाविपदा का संकेत है ।
बिछुआ गुम हो जाए तो पति की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है ।
सोना खोने पर गुरु के अशुभ प्रभावों का सामना करना पड़ता है । कहा जाता है कि गुरु के नाराज हो जाने यानी रुठ जाने पर परिवारिक कलह का सामना करना पड़ता है । साथ ही दांपत्य सुख में भी कमी आती है । अगर किसी को सोना मिलता है और वह जब तक घर में रखा होता है । तब तक परिवार का कोई न कोई सदस्य बीमार रहता है या घर में हमेशा कलह बना रहता है । यदि किसी को सोना मिलता है तो उस सोने को बेचकर उसका कुछ भाग दान कर देने से उसका अशुभ प्रभाव खत्म हो जाता है ।
अगर घर में किसी महिला या बच्चे से सोना या गहने गायब (gahne gayab) हो जाता है तो इसे अशुभ संकेत माना जाता है कहा जाता है कि सोना गुम होने पर घर में कलह होता है और दांपत्य जीवन में कड़वाहट आने लगती है ।

क्या है सूतक काल और पातक काल ?

Kya Hai Sootak Kaal aur Paatak Kaal? सूतक काल और पातक काल (Sootak Kaal Aur Paatak Kaal) दोनों का ही हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है । सूतक लगने के बाद मंदिर में जाना वर्जित हो जाता है । घर के मंदिर में भी पूजा नहीं होती है । ये प्रक्रिया सभी हिंदू घरों में अपनाई जाती है । मन में यही प्रश्न उठता है कि ये सूतक काल और पातक काल (sootak kaal aur paatak kaal) क्या होते हैं । निचे इस सूतक काल और पातक काल (sootak kaal aur paatak kaal) की बिस्तार से जानकारी के लिए आगे बढ़ते हैं …

Sootak kaal aur Paatak kaal ki jankari :- क्या है सूतक :-
जब भी परिवार में किसी का जन्म होता है तो परिवार पर दस दिन के लिए सूतक लग जाता है । इस दौरान परिवार का कोई भी सदस्य ना तो किसी धार्मिक कार्य में भाग ले सकता है और ना ही मंदिर जा सकता है । उन्हें इन दस दिनों के लिए पूजा-पाठ से दूर रहना होता है । इसके अलावा बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री का रसोईघर में जाना या घर का कोई काम करना तब तक वर्जित होता है जब तक कि घर में हवन ना हो जाए । Kitne dino tak rahta hai Sootak kaal aur Paatak kaal ka Asar : सूतक का संबंध ‘जन्म के’ निमित्त से हुई अशुद्धि से है । जन्म के अवसर पर जो नाल काटा जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया में अन्य प्रकार की जो हिंसा होती है, उसमें लगने वाले दोष पाप के प्रायश्चित स्वरूप ‘सूतक’ माना जाता है ।
10 दिन का सूतक माना है । प्रसूति (नवजात की मां) का 45 दिन का सूतक रहता है । प्रसूति स्थान 1 माह तक अशुद्ध रहता है । इसीलिए कई लोग जब भी अस्पताल से घर आते हैं तो स्नान करते हैं। वैज्ञानिक कारण :-
जब बच्चे का जन्म होता है तो उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास भी नहीं हुआ होता। वह बहुत ही जल्द संक्रमण के दायरे में आ सकता है, इसलिए 10-30 दिनों की समयावधि में उसे बाहरी लोगों से दूर रखा जाता था, उसे घर से बाहर नहीं लेकर जाया जाता। यह कोई अंधविश्वास नहीं है बल्कि इसका मौलिक उद्देश्य स्त्री के शरीर को आराम देना और शिशु के स्वास्थ्य का ख्याल रखना है ।

रजस्वला स्त्री जब तक मासिक रजस्राव होता रहे तब तक माला जप न करे एवं मानसिक जप भी प्रणव (ॐ) के बिना करे । जब तक मासिक स्राव जारी हो, तब तक दीक्षा भी नहीं ली जा सकती । अगर अज्ञानतावश पाँचवें छठे दिन भी मासिक स्राव जारी रहने पर दीक्षा ले ली गयी हो अथवा संतदर्शन कर लिया हो या इसी प्रकार की और कोई गलती हो गयी हो तो उसके प्रायश्चित के ‘ऋषि पंचमी’ (गुरु पंचमी) का व्रत करना चाहिए । क्या है पातक :-

पातक का संबंध ‘मरण के’ निमित्त हुई अशुद्धि से है । मरण के अवसर पर दाह संस्कार में जो हिंसा होती है, उसमें लगने वाले दोष पाप के प्रायश्चित स्वरूप ‘पातक’ माना जाता है । वैज्ञानिक कारण :-

किसी लंबी और घातक बीमारी, एक्सिडेंट की वजह से या फिर वृद्धावस्था के कारण व्यक्ति की मृत्यु होती है । कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन इन सभी की वजह से संक्रमण फैलने की संभावनाएं बहुत हद तक बढ़ जाती हैं । इसलिए ऐसा कहा जाता है कि दाह-संस्कार के पश्चात स्नान आवश्यक है ताकि श्मशान घाट और घर के भीतर मौजूद कीटाणुओं से मुक्ति मिल सके । Sootak kaal aur Paatak kaal (पालतू पशुओं का) सूतक का असर केवल किसी इंसान के जन्म पर ही नहीं होता है बल्कि अगर घर में पालतू पशु या जानवर हो तो उनके जन्म और मृत्यु पर भी इसका असर होता है ।
घर के पालतू गाय, भैंस, घोड़ी, बकरी इत्यादि को घर में बच्चा होने पर 1 दिन का सूतक रहता है किन्तु घर से दूर-बाहर जन्म होने पर कोई सूतक नहीं रहता ।

कुते का शकुन

Kutte ka Shakun : कुते का शकुन (kutte ka shakun) का यह पहला शकुन देखा जाये तो ,यात्रा के समय यदि कुत्ता मनुष्य, घोडा, हाथी, घडा, दुधारा बृक्षों, ईंटो का ढेर, छत्र, सेज, आसन, उल्लू, खल, ध्वज, चामर अन्न का खेत फुलबारी बाले स्थान पर मूत्रत्याग करे अथबा आगे जाए तो कार्य की सिद्धि होती है ।

Kutte ka shakun की बात करे तो ,यदि कुत्ता गीले गोबर पर मूत्र का त्याग करके चला जाए तो यात्री को मीठा भोजन प्राप्त होता है । यदि सूखी बस्तु पर मूत्र त्याग कर चला जाए तो लड्डू अथबा गुड खाने को मिलता है ।
Kutte ka shakun में ये भि है , यदि कुत्ता काँटेदार बृक्ष, पत्थर, काष्ठ तथा श्मशान पर मूत्रत्याग कर लौटकर यात्री के आगे चले तो यात्री का अनिष्ट होता है ।
यदि कुत्ता बस्त्र लेकर आबे तो शुभ समझना चाहिए ।
यदि यात्रा के समय कुत्ता यात्री के पांब चाटे, कान फडफडाये अथबा उस पर दौड़े तो यात्रा करने बाले को बिघ्नों का सामना करना पड़ता है ।
यात्रा के समय यदि कुत्ता अपने शरीर को खुजलाता हुआ दिखाई दे तो यात्री को समझ लेना चाहिए कि कुत्ता यात्रा का बिरोध कर रहा है । ऐसी स्थिति में यात्रा करना हानिकारक सिद्ध होता है ।
यदि यात्रा के समय कुत्ता ऊपर की और पांब करके सोता हुआ दिखाई दे तो यात्रा नहीं करनी चाहिए । ऐसी यात्रा दोषपूर्ण होती है ।
यदि किसी गांब के बीच में सूर्योदय के समय सूर्य की और मुँह करके एक अथबा अधिक कुत्ते इकट्ठे होकर रोएँ तो उस गांब के प्रधान ब्यक्ति पर संकट आता है । या तो बह अपदस्थ हो जाता है अथबा उसकी मृत्यु हो जाती है ।
यदि यात्रा करते समय कुत्ते परस्पर लड़ते हुए दिखाई दें तो यात्राकारी की यात्रा में बिघ्न अपस्थित होते हैं । यदि कुत्ते रोते हुए दिखाई दें तो अनिष्ट होता है । ऐसी स्थिति में यात्रा नहीं करनी चाहिए ।

कौए से जानिए शुभ अशुभ संकेत

Kaue Se Jaaniye Shubh Ashubh Sanket :
वैसे तो भारतीय संस्कृति सर्प, बिल्ली, कुत्ता, गिद्ध, गाय और अन्यान्य प्राणियों की संवेदन शीलता एंव पूर्वाभासों की सूचना देने की प्रवृत्ति है लेकिन विश्लेषनात्मक अनुसंधान कर हमारे ऋषियों ने सामाजिक जीवन में इन्हें उपयुक्त मान्यातायें दी है । आज हम बात कर रहें है कौआ पक्षी की शुभ अशुभ संकेत (shubh ashubh sanket) , जिसकी हमारे लोक गीतों में भी काफी मान्यता है…

‘मोरी अटरिया पै कागा बोले। मेरा जियरा डोले, कोई आ रहा है।।

इसका मतलब यह है कि कौआ पक्षी का छत की मुडेंर पर बैठकर कांव-कांव करना , बार-बार बैठना और उड़ जाना किसी प्रियसी-पत्नी के लिए इशारा है , उसके प्रेमी पति प्रियतम के आने का और वह अधीरता से गुन-गुनाती है । यदि आप यात्रा प्रारम्भ करने जा रहे है, उस समय कौआ पक्षी आपको शुभ अशुभ संकेत (shubh ashubh sanket) देता है ।

Kaue se janiye Shubh Ashubh Sanket 1-यदि कोई व्यक्ति यात्रा के लिए जा रहा है और उसी समय कौआ आकर आपके घर पर बोले तो समझो यात्रा लाभदायक है ।
2-अगर कौआ पक्षी यात्री के घर की तरफ मुंह करके मीठी बोली बोले तो यात्री की किसी मित्र से भेंट होती है ।
3-यदि यात्रा के समय या अन्य किसी समय पर कोई कौअे को संभोग करते हुये देख ले तो मृत्यु तुल्य कष्ट या मृत्यु का समाचार मिलता है ।
4-यदि कोई जातक शासकीय या व्यक्तिगत कार्य से जा रहा हो और घर से निकलते समय कौआ बोले या बोलकर उड़ जाये तथा उड़कर पश्चिम दिशा की ओर चला जाये तो कार्य में निश्चित सफलता मिलती है । 5-उपरोक्त स्थिति में यदि कौआ पश्चिम से उत्तर दिशा की ओर जाये तो कार्य देरी से बनता है ।
6-यदि कौआ उड़कर दक्षिण दिशा की ओर चला जाये तो कार्य में असफलता मिलती है ।
7-यदि कौआ पक्षी यात्रा करते वक्त उपर से नीचे की ओर उतरता दिखाई दे तो समझो कार्य में बाधायें आयेंगी ।
8-अगर यात्रा के समय कौअे की चोंच में गोश्त या हड्डी का टुकड़ा हो तो कार्य में अड़चने आयेंगी और यात्रा करते समय सावधानी भी बरतनी होगी ।

मृत्यु काल ज्ञान क्या है?

Mrityu Kaal Gyan Kya Hai ?
मृत्यु काल ज्ञान (Mrityu Kaal Gyaan) के इस लेख में यंहा एसा कुछ लक्ष्ण दे रहे है , जो आप इस लक्ष्ण को देखकर मृत्यु कब होगा आप आसानी से पता कर सकते हो । बहुत तद्बीरो से मृत्यु के बहुत पहले भी मृत्यु का समय जाना जा सकता है । यह सब बाते लक्षण के उपर मुनहसिर है । निचे निम्न लिखित मृत्यु काल ज्ञान (mrityu kaal gyaan) के आधार पर आप लक्ष्ण को पता करके मृत्यु का पता लगा सकते हो , तो चलिए निम्न लिखित मृत्यु काल ज्ञान (mrityu kaal gyaan) लक्षण पर दृष्टि गोचर करते हैं …

Mrityu Kaal Gyaan Lakshan :
(क) अगर कोइ पुरुष उतर दिशा को जाते 2 रास्ता भुलकर दक्षिण दिशा को चला जाय तो एक बर्ष के भीतर उसकी मृत्यु होगी ।
(ख) अगर किसी पुरुष को दर्पण मे चंद्र सुर्य और संसार मे छेद नजर मे आबे तो एक बर्ष मे उसकी मृत्यु होगी ।
(ग) स्नान करते ही जिस पुरुषका ह्रुदय सुखजाय और धुआंसा निकलना आरम्भ हो ,सात महिने के बीच मे उसकी मृत्यु हो जाय ।
(घ) जो पुरुष अपनी परछाइ छाती तक देखे, बह छ: महीने के बीच मे मर जायगा ।
(ङ) केबल जिसके माथे और भौमे पसीना आबै उसकी मृत्यु एक महीने मे हो जाय ।
(च) अगर किसी पुरुष के दोनो होठ और तालुआ सुष्क हो जायै उसकी मृत्यु, जिन्द्गी छ: महीने की जानो ।
(छ) जिसकी नाक के दाहिने स्वर मे दिनरात सांस चलता रहे, उसकी मौत तीन दिन के अन्दर हो जाती है ।
(ज) जिसके सांस दोनो नथनो से बराबर निकलते हुए दश दिनतक चलते हैं, बह केवल दो दिनतक जियेगा ।
(झ) जिसका सांस नाक को छोडकर केवल मुख के द्वारा निकले बह सिर्फ एक दिन तक जीता है ।
(ञ) जिसकी देह अचानक कांपे ,चार महीने के भीतर ही उसकी जिन्दगी खतम हो जाय ।
मंत्र विद्या के बल से जो अजायब ताकते पैदा हो जाती है, उनको हमने लिखा । जब एक ही उपाय से कार्य सिद्ध हो जाय तो बहुत से तरीको के सीखने की क्या जरुरत है ? लेकिन तंत्रो मे और भी बहुत तदबीरे लिखि है ।