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माँ दुर्गा की साधना कैसे करें ?

Maa Durga Sadhana Kaise Karein ?
आपके जीवन में खुशियों और सफलता की खोज में, माँ दुर्गा की साधना एक महत्वपूर्ण और अद्वितीय रूप हो सकती है। माँ दुर्गा, शक्ति की देवी, हमारे जीवन में शांति, सुख, और साहस का प्रतीक हैं। इस लेख में, हम आपको माँ दुर्गा के पूजन के महत्व, विभिन्न स्वरूप, और साधना के तरीकों के बारे में जानकारी देंगे।

Maa Durga Sadhana : Devi Ka Rupa
माँ दुर्गा का प्रारूप कुछ भी हो सकता है, लेकिन उनके सबसे प्रमुख रूप नौ हैं, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। ये रूप नवरात्रि के दिनों में पूजे जाते हैं और हर रूप का अपना महत्व होता है। उनके पूजन से हम शक्ति का आभास करते हैं और आत्मा के विकास की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।
Maa Durga Ke Vibhinn Swaroopon : नवरात्रि के दिनों में, लोग माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का पूजन करते हैं। दशहरा पर्व में भी माँ दुर्गा का पूजन किया जाता है, जिसमें वह रावण के खिलाफ लड़कर विजय प्राप्त करती हैं। उनके स्वरूपों का पूजन और उनके माध्यम से आत्मा के साथ जुड़कर हम अपने जीवन में सुख और शांति प्राप्त करते हैं।
Maa Durga Sadhana Ki Aavashyakta : माँ दुर्गा की साधना करने के बहुत सारे कारण हैं। पहले तो, यह हमारे आत्मिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। माँ दुर्गा की साधना करके हम अपनी आत्मा को समझते हैं और उसमें साक्षरता प्राप्त करते हैं। साथ ही, इससे हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होती है।
Maa Durga Sadhana Kaise karein ? माँ दुर्गा की साधना करने के लिए, आपको ध्यान से और श्रद्धापूर्वक उनका पूजन करना होगा। पूजन के लिए आपको उनके प्रिय मन्त्रों का जाप करना चाहिए और उनकी स्तुति करनी चाहिए। यह आपके आत्मा को ऊर्जित करेगा और आपको सफलता की ओर अग्रसर करेगा।
Benefits Of Maa Durga Sadhana : माँ दुर्गा साधना करने से आपके जीवन में कई लाभ हो सकते हैं। इसके माध्यम से आप अपने आत्मा को जान सकते हैं और अपने दर्शकों को एक नई दिशा में ले जा सकते हैं। इसके अलावा, यह आपके परिवार और समाज में भी सुख और शांति का स्रोत बन सकता है।
समापन माँ दुर्गा की साधना हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें शक्ति, सुख, और साहस प्रदान करता है और हमारे आत्मा को ऊर्जित करता है। आप भी माँ दुर्गा के साथ जुड़कर अपने जीवन को खुशियों से भर सकते हैं।
FAQs (पूछे जाने वाले प्रश्न) प्रश्न 1: माँ दुर्गा साधना क्यों महत्वपूर्ण है? माँ दुर्गा साधना हमारे आत्मिक और शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है और शक्ति और सुख का स्रोत है।
प्रश्न 2: साधना के लिए किन-किन उपायों का उपयोग करना चाहिए? साधना के लिए आपको माँ दुर्गा के पूजन के उपायों का उपयोग करना चाहिए, जैसे मन्त्र जाप और स्तुति करना।
प्रश्न 3: क्या माँ दुर्गा साधना सभी के लिए है? हाँ, माँ दुर्गा साधना सभी के लिए है, चाहे वो महिला हो या पुरुष।
प्रश्न 4: साधना के लिए कितना समय निकालना चाहिए? साधना (Maa Durga Sadhana) के लिए आपको नियमित रूप से समय निकालना चाहिए, लेकिन यह आपकी आवश्यकताओं के आधार पर भी बदल सकता है।
प्रश्न 5: माँ दुर्गा की पूजा के लिए कौन-कौन से मन्त्र प्रयोग किए जा सकते हैं? माँ दुर्गा की पूजा के लिए विभिन्न मन्त्र प्रयोग किए जा सकते हैं, जैसे “ॐ दुं दुर्गायै नमः” और “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।”
अब जल्दी से माँ दुर्गा की साधना (Maa Durga Sadhana) करने का समय आया है, जिससे आप अपने जीवन में शक्ति, सुख, और साहस प्राप्त कर सकते हैं। Connect with us on our Facebook Page

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र और बीसा यन्त्र का अनुभूत प्रयोग

Siddh Kunjika Stotra Aur Beesa Yantra Ka Anubhoot Prayog : चन्द्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण, दीपावली के तीन दिन (धन तेरस, चर्तुदशी, अमावस्या), रवि-पुष्य योग, रवि-मूल योग तथा महानवमी के दिन ‘रजत-यन्त्र’ की प्राण प्रतिष्ठा, पूजादि विधान करें । इनमे से जो समय आपको मिले, सिद्ध कुंजिका स्तोत्र साधना (Siddh Kunjika Stotra sadhana) प्रारम्भ करें । 41 दिन तक विधि-पूर्वक पूजादि करने से सिद्धि होती है । 42 वें दिन नहा-धोकर अष्टगन्ध (चन्दन, अगर, केशर, कुंकुम, गोरोचन, शिलारस, जटामांसी तथा कपूर) से स्वच्छ 41 सिद्ध कुंजिका स्तोत्र यन्त्र (Siddh Kunjika Stotra Yantra) बनाएँ । पहला यन्त्र अपने गले में धारण करें । बाकी आवश्यकतानुसार बाँट दें ।

Siddh Kunjika Stotra Aur Prana Pratishtha Vidhi :


सर्व-प्रथम किसी स्वर्णकार से 15 ग्राम का तीन इंच का चौकोर चाँदी का पत्र (यन्त्र) बनवाएँ। अनुष्ठान प्रारम्भ करने के दिन ब्राह्म-मुहूर्त्त में उठकर, स्नान करके सफेद धोती-कुरता पहनें । कुशा का आसन बिछाकर उसके ऊपर मृग-छाला बिछाएँ। यदि मृग छाला न मिले, तो कम्बल बिछाएँ, उसके ऊपर पूर्व को मुख कर बैठ जाएँ ।

अपने सामने लकड़ी का पाटा रखें। पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर एक थाली (स्टील की नहीं) रखें। थाली में पहले से बनवाए हुए चौकोर रजत-पत्र को रखें । रजत-पत्र पर अष्ट-गन्ध की स्याही से अनार या बिल्व-वृक्ष की टहनी की लेखनी के द्वारा “यन्त्र ” लिखें ।

पहले यन्त्र की रेखाएँ बनाएँ । रेखाएँ बनाकर बीच में ॐ लिखें । फिर मध्य में क्रमानुसार 7, 2, 3 व 8 लिखें । इसके बाद पहले खाने में 1, दूसरे में 9, तीसरे में 10, चैथे में 14, छठे में 6, सावें में 5, आठवें में 11 नवें में 4 लिखें। फिर यन्त्र के ऊपरी भाग पर ‘ॐ ऐं ॐ’ लिखें। तब यन्त्र की निचली तरफ ‘ॐ क्लीं ॐ’ लिखें। यन्त्र के उत्तर तरफ ‘ॐ श्रीं ॐ’ तथा दक्षिण की तरफ ‘ॐ क्लीं ॐ’ लिखें ।

प्राण-प्रतिष्ठा : अब ‘सिद्ध कुंजिका स्तोत्र यन्त्र (Siddh Kunjika Stotra Yantra’ की प्राण-प्रतिष्ठा करें । यथा- बाँयाँ हाथ हृदय पर रखें और दाएँ हाथ में पुष्प लेकर उससे ‘सिद्ध कुंजिका स्तोत्र यन्त्र (Siddh Kunjika Stotra Yantra’ को छुएँ और निम्न प्राण-प्रतिष्ठा मन्त्र को पढ़े –

“ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं हंसः सोऽहं मम प्राणाः इह प्राणाः, ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं हंसः सोऽहं मम सर्व इन्द्रियाणि इह सर्व इन्द्रयाणि, ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं हंसः सोऽहं मम वाङ्-मनश्चक्षु-श्रोत्र जिह्वा घ्राण प्राण इहागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा।”
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddh Kunjika Stotra) का ‘यन्त्र’ पूजन : इसके बाद ‘रजत-यन्त्र’ के नीचे थाली पर एक पुष्प आसन के रूप में रखकर ‘यन्त्र’ को साक्षात् भगवती चण्डी स्वरूप मानकर पाद्यादि उपचारों से उनकी पूजा करें। प्रत्येक उपचार के साथ ‘समर्पयामि चन्डी यन्त्रे नमः’ वाक्य का उच्चारण करें। यथा-
1. पाद्यं (जल) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
2. अध्र्यं (जल) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
3. आचमनं (जल) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
4. गंगाजलं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
5. दुग्धं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
6. घृतं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
7. तरू-पुष्पं (शहद) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
8. इक्षु-क्षारं (चीनी) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
9. पंचामृतं (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः। 10. गन्धम् (चन्दन) समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
11. अक्षतान् समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
12 पुष्प-माला समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
13. मिष्ठान्न-द्रव्यं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
14. धूपं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
15. दीपं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
16. पूगी फलं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
17 फलं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
18. दक्षिणा समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
19. आरतीं समर्पयामि चण्डी-यन्त्रे नमो नमः।
तदन्तर यन्त्र पर पुष्प चढ़ाकर निम्न मन्त्र बोलें-
पुष्पे देवा प्रसीदन्ति, पुष्पे देवाश्च संस्थिताः।।
अब ‘सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddh Kunjika Stotra)’ का पाठ कर यन्त्र को जागृत करें। यथा- ।।शिव उवाच।।
श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्र प्रभावेण, चण्डी जापः शुभो भवेत।।
न कवचं नार्गला-स्तोत्रं, कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च, न न्यासो न च वार्चनम्।।
कुंजिका पाठ मात्रेण, दुर्गा पाठ फलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।
मारणं मोहनं वष्यं स्तम्भनोव्च्चाटनादिकम्।
पाठ मात्रेण संसिद्धयेत् कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।।
मन्त्र – “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।”
नमस्ते रूद्र रूपायै, नमस्ते मधु-मर्दिनि।
नमः कैटभ हारिण्यै, नमस्ते महिषार्दिनि।।1
नमस्ते शुम्भ हन्त्र्यै च, निशुम्भासुर घातिनि।
जाग्रतं हि महादेवि जप ! सिद्धिं कुरूष्व मे।।2
ऐं-कारी सृष्टि-रूपायै, ह्रींकारी प्रतिपालिका।
क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।3
चामुण्डा चण्डघाती च, यैकारी वरदायिनी।
विच्चे नोऽभयदा नित्यं, नमस्ते मन्त्ररूपिणि।।4
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागेश्वरी तथा।
क्रां क्रीं श्रीं में शुभं कुरू, ऐं ॐ ऐं रक्ष सर्वदा।।5
ॐॐॐ कार-रूपायै, ज्रां ज्रां ज्रम्भाल-नादिनी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिकादेवि ! शां शीं शूं में शुभं कुरू।।6

ह्रूं ह्रूं ह्रूंकार रूपिण्यै, ज्रं ज्रं ज्रम्भाल नादिनी। भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे ! भवानि ते नमो नमः।।7
अं कं चं टं तं पं यं शं बिन्दुराविर्भव।
आविर्भव हं सं लं क्षं मयि जाग्रय जाग्रय
त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरू कुरू स्वाहा।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा, खां खीं खूं खेचरी तथा।।8
म्लां म्लीं म्लूं दीव्यती पूर्णा, कुंजिकायै नमो नमः।
सां सीं सप्तशती सिद्धिं, कुरूश्व जप-मात्रतः।।9
।।फल श्रुति।।
इदं तु कुंजिका स्तोत्रं मन्त्र-जागर्ति हेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं, गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देवि ! हीनां सप्तशती पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
फिर यन्त्र की तीन बार प्रदक्षिणा करते हुए यह मन्त्र बोलें-
यानि कानि च पापानि, जन्मान्तर-कृतानि च।
तानि तानि प्रणश्यन्ति, प्रदक्षिणं पदे पदे।।
प्रदक्षिणा करने के बाद यन्त्र को पुनः नमस्कार करते हुए यह मन्त्र पढ़े- एतस्यास्त्वं प्रसादन, सर्व मान्यो भविष्यसि।
सर्व रूप मयी देवी, सर्वदेवीमयं जगत्।।
अतोऽहं विश्वरूपां तां, नमामि परमेश्वरीम्।।
अन्त में हाथ जोड़कर क्षमा-प्रार्थना करें। यथा-
अपराध सहस्त्राणि, क्रियन्तेऽहर्निषं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा, क्षमस्व परमेश्वरि।।
आवाहनं न जानामि, न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि, क्षम्यतां परमेश्वरि।।
मन्त्र-हीनं क्रिया-हीनं, भक्ति-हीनं सुरेश्वरि !
यत् पूजितम् मया देवि ! परिपूर्णं तदस्तु मे।।
अपराध शतं कृत्वा, जगदम्बेति चोच्चरेत्।
या गतिः समवाप्नोति, न तां ब्रह्मादयः सुराः।।
सापराधोऽस्मि शरणं, प्राप्यस्त्वां जगदम्बिके !
इदानीमनुकम्प्योऽहं, यथेच्छसि तथा कुरू।।
अज्ञानाद् विस्मृतेर्भ्रान्त्या, यन्न्यूनमधिकं कृतम्।
तत् सर्वं क्षम्यतां देवि ! प्रसीद परमेश्वरि !
कामेश्वरि जगन्मातः, सच्चिदानन्द-विग्रहे !
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या, प्रसीद परमेश्वरि !
गुह्याति-गुह्य-गोप्त्री त्वं, गुहाणास्मत् कृतं जपम्।
सिद्धिर्भवतु मे देवि ! त्वत् प्रसादात् सुरेश्वरि।।
Benefits Of Siddh Kunjika Stotra :
यह सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddh Kunjika Stotra) अनुष्ठान सफलता पूर्वक पूर्ण करने के उपरांत विद्या प्राप्ति सहज हो जाती है धन का आभाव, गृह अरिष्ट, भूमि-मकान की हीनता, मुकदमे के संकट, विवाह में रुकावट, तलाक-समस्या, घरेलु अशांति, पुत्र का अभाव, रोजगार की कमी, दरिद्रता, कारोबार में अवनति, आदि दूर होकर पूर्ण अनुकूल फल मिलता है।आर्थिक दृष्टि से आनेवाली कठिनाइय तो इसे (Siddh Kunjika Stotra) प्रारंभ करते ही समाप्त हो जाती है ।
नोट:- अगर आप स्वयं सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddh Kunjika Stotra) न कर सके तो हमारे यहाँ पर ब्राह्मणो द्वारा करवाया जाता है ।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025: जानिए राशि के अनुसार मां दुर्गा के कैसे करें पूजा …

Aashadh Gupt Navratri 2025 :
आषाढ़ मास में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि (Aashadh Gupt Navratri) के नाम से जाना जाता है इस साल यह आषाढ़ गुप्त नवरात्रि (Aashadh Gupt Navratri) 26 जून गुरुबार से शुरू होकर 4 जुलाई 2025 शुक्रबार को समाप्त हो रही हैं। नवरात्रि को साल भर में दो बार उत्साह और खुशी के साथ मनाते हैं । नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है । मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान माता रानी की विधि-विधान से पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं ।

प्रतिपदा तिथि के दिन प्रात: स्नानादि के बाद होकर संकल्प किया जाता है । व्रत का संकल्प लेने के पश्चात मिट्टी की वेदी बनाकर जौं बोया जाता है। इसमें घट स्थापित किया जाता है । घट के ऊपर कुलदेवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन किया जाता है । साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ श्रद्धालु करते हैं ।
ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के अनुसार भक्तों को अपनी राशि के अनुसार मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए । आइये आषाढ़ गुप्त नवरात्रि (Aashadh Gupt Navratri) 2025 के दौरान राशि के अनुसार पूजा कैसे करें, जानिए इसके बारे में !!!
Worship According To Your Zodiac Sign On Aashadh Gupt Navratri :
मेष – भगवान शिव की आराधना करने के साथ {ॐ अं अंगारकाय नम:} मंत्र का जप करें।
वृषभ – भगवान गणेश की करते हुए { ॐ गं गणपतये नम: } का जप करें।
मिथुन – भगवान विष्णु-माता लक्ष्मी की आराधना करते हुए श्रीसूक्तम का पाठ करें।
कर्क – भगवान शिव और भगवान गणेश की आराधना करते हुए { ॐ नम: शिवाय और श्रीगणेश चालीसा } का पाठ करें।
सिंह – भगवान सूर्य की पूजा करते हुए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
कन्या – मां दुर्गा की आराधना करते हुए श्रीदुर्गा चालीसा का पाठ करें।
तुला – रामरक्षा स्तोत्र, ध्यायेदाजानुबाहुं ध्रुतशरधनुषं बदधपद्मासनस्तं, पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्, वामाङ्कारुढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं, नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचन्द्रम्, का पाठ करें।
वृश्चिक – “ ॐ नम: शिवाय ” का जप करें।
धनु – गुरु चरित्र का पाठ करें।
मकर – गायत्री मंत्र {{ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् }} का जप करें।
कुंभ – भगवान श्रीराम और श्री हनुमान की पूजा करते हुए सुंदरकांड का पाठ करें।
मीन – भगवान विष्णु की पूजा करते हुए {{ॐ विष्णवे नम: या ॐ नमो भगवते वासुदेवाय}} का जप करें।

कुंजिका स्तोत्र के आवश्यक नियम

Kunjika Stotra Ke Aavashyak Niyam :
कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotra) दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ की एक अद्भुत साधना मंत्र है ।जिसके चलते हुए साधना अनुष्ठान करने की पश्चात साधक को उसके अनुरूप इच्छा की हिसाब से साधना में सिद्धि प्राप्ति करता है। कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotra) को छोड़कर कुछ करना संभब नही है ।
१. साधना काल मे ब्रह्मचर्य का पालन करना आवशयक है। शारीरिक और मानसिक रूप से भी ।
२. साधक भूमि शयन करे ।

३. कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotra) के समय मुख मे पान ऱखा जाएं तो इससे माँ प्रसन्न होती है। इस पान मे चुना, कत्था और ईलायची के अतिरिक्त और कुछ ना ड़ाले। कई साधक सुपारी और लौंग भी डालतें है पर इतनी देर पान मुख मे रहेगा तो सुपाऱी से जिव्हा कट सकती है तथा लौंग अधिक समय मुख मे रहे तो छाले कर देति है। अतः ये दो वस्तु ना ड़ाले।

४ अगर नित्य कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotra) समाप्त करने के बाद एक अनार काटकर माँ को अर्पित किया जाये तो इससे साधना का प्रभाव और अधिक हो जाता है। परन्तु ये अनार साधक को नहीं ख़ाना चाहिए ये नित्य प्रातः गाय को दे देना चाहिए।

५. कुंजिका (Kunjika Stotra) अनुष्ठान के समय नित्य प्रातः पूजन के समय किसी भी माला से ३ माला नवार्ण मंत्र करे। इससे यदि साधना काल मे आपसे कोइ त्रुटि हो रही होंगी तो वो समाप्त हो जायेगी। वैसे ये आवश्यक अंग नहीं है फ़िर भी साधक चाहे तो कर सकते है।

6. जहा तक सम्भव हो साधना मे सभी वस्तुए लाल प्रयोग करे। जब साधक उपरोक्त विधान के अनुसार कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotra) को जागृत कर ले, तब इस माध्यम से कई प्रकार के काम्य प्रयोग किये जा सकते है।

धन प्राप्ति केलिए कुंजिका प्रयोग : किसी भी शुक्रवार कि रात्रि मे माँ का सामान्य पुजन करे। इसके बाद कुंजिका के ९ पाठ करे इसके पश्चात, नवार्ण मन्त्र से अग्नि मे २१ आहुति सफ़ेद तील से प्रदान करे। नवार्ण मंत्र में श्रीं बीज आवश्य जोड़ें। ।।श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः स्वाहा।। आहुति के बाद पुनः ९ पाठ करे। इस प्रकार ९ दिनों तक करने से धनागमन के मार्ग खुलने लगतें है।

शत्रु मुक्ति हेतु कुंजिका प्रयोग : शनिवार रात्रि मे काले वस्त्र पर एक निंबू स्थापित करे तथा इस पर शत्रु का नाम काजल से लिख दे और इस नींबू के समक्ष ही सर्व प्रथम ११ बार कुंजिका का पाठ करे। इसके बाद ।।हूं शत्रुनाशिनी हूँ फट।। मन्त्र के ५ मिनट तक निम्बू पर त्राटक करते हुए जाप करे. फिर पुनः ११ पाठ करे। इसके बाद निम्बू कही भूमि मे गाङ दे। शत्रु बाधा समाप्त हो जायेगी।

रोग नाश हेतु कुंजिका प्रयोग : नित्य कुंजिका के ११ पाठ करके काली मिर्च अभिमंत्रित कर ले। इसके बाद रोगी पर से इसे ७ बार घुमाकर घर के बहार फैक़ दे। कुछ दिन प्रयोग करने से सभी रोग शांत हो जाते है।

आकर्षण के लिए कुंजिका स्तोत्र का अनोखा प्रयोग : कुंजिका स्तोत्र का ९ बार पाठ करे तत्पश्चात ।।क्लीं ह्रीं क्लीं ।। मन्त्र के १०८ बार जाप करे तथा पुनः ९ पाठ कुंजिका स्तोत्र के करे और जल अभीमंत्रित कर ले। इस जल को थोड़ा पी जाएं और थोड़े से मुख धो ले। सतत करते रहने से साधक मे आकर्षण शक्ति का विकास होता है ।

सभी साधना प्रयोग में विश्वास और लगन सबसे महत्वपूर्ण है । वहीं सार्थक होता है । प्रयोग शुरू करने से पूर्व गुरु आज्ञा, गुरु सानिध्य, उनके मार्ग दर्शन में किए गए प्रयोग जल्दी सिद्ध होते है । निर्विघ्न सम्प्पन भी होते हैं । गुरु का अनुभव और आशीष बड़ा कारगर होता है ।

अतुल्य वैभव प्रदाता भगवती दुर्गा मंत्र

Atulya Vaibhav Pradata Bhagwati Durga Mantra :
भगवती दुर्गा की कृपा जिस जीव पर हो जाती है, वह जन्म मरण के चक्र से मुक्ति पा लेता है । ऐसी भगवती दुर्गा प्रसन्न होने पर भक्तों के संकटों को नष्ट कर देती हैं और क्रुद्ध होने पर सम्पूर्ण वैभवों का नाश कर देती हैं । भगवती दुर्गा के अनेकानेक रूप हैं, नाम हैं, जिनके स्मरण मात्र से जीव के संकट दूर हो जाते हैं । आज हम आपको ऐसा ही शक्तिशाली दुर्गा मंत्र बताने जा रहे हैं, जिसके जप से भक्त को अर्थ-धर्म-काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है । उनकी कृपा से जीव का हमेशा ही कल्याण होता है, यह बात शास्त्रोक्त है और अनुभव में भी आई है ।
भगवती दुर्गा का श्रद्धा व भक्ति से नमन किया जाए तो जीव को अतुल्य सुख व आनंद की प्राप्ति होती है । उसे आलौकित अनुभूतियां भी होती हैं, जिनका वर्णन संभव नहीं है ।

Powerful Durga Mantra

श्री दुर्गा जी के अष्टाक्षर जप मंत्र : {{ ऊॅँ ह्रीं दुं दुर्गायै नम:।। }} इस दुर्गा मंत्र (Durga Mantra) का प्रतिदिन 11 माला जप करना चाहिए । इसके बाद एक माला मंत्र जप करते हुए घी से भीगे रक्त पुष्प यानी लाल फूल से होम करें । जवाकुसुम यानी गुड़हल का फूल देवी जी को अतिप्रिय है। ऐसा करने से भक्त को धन-सम्पत्ति और यश- मान की प्राप्ति होती है । उसकी कीर्ति दसों दिशाओं में फैलती है ।