Kamakhya Tantra
तांत्रिक मायाजाल भंग हेतु मंत्र प्रयोग

Tantrik Maaya Jaal Bhang Hetu Mantra Prayog : मंत्र : “ॐ श्री अस्थापन , तामं करहु जामें राम भलाई । गुणियां के जो गुण काटो , तो इसमें नहीं मनाही । दुहाई कामरू कामाक्षा नैना योगिनी की । शव्द सांचा पिंड काँचा । फुरे मंत्र ईश्वरो बाचा ।।”
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Tantrik Maaya Jaal Bhang Vidhi :
इस तांत्रिक मायाजाल भंग मंत्र को सर्ब प्रथम ग्रहण काल में जप कर सिद्ध कर लें । पुन: प्रयोग में किसी के द्वारा फैलाए गए मायाजाल से दुःख पहुँच रहा हो तो इस मंत्र का जप करते हुए रोगी का झाड़ा करने से रोगी रोग मुक्त हो जाता है ।
प्राचीन गुप्त मंत्र साधना सिद्धि प्रयोग

Pracheen Gupt Mantra Sadhana Siddhi Prayog :
मंत्र : ॐ श्री महामायी भगबती अष्ट्भुजी मरमेश्वरी उगती मेलडी मातायै नम: ।
ओम नमो श्री मेलडी मातायै नम: ।। ( आजमाया हुआ गुप्त प्रयोग )
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साधक इस गुप्त मंत्र साधना (Gupt Mantra Sadhana) को चैत्र नबरात्री में नौ दिन सुबह सायं और दोपहर में पांच पांच माला जपे। प्रथम नबरात्री को प्रात:काल में उठ कर स्नान करके स्वछ बस्त्र धारण ले । फिर अपने घर में किसी एक कमरे में आसन लगाबे । आसन ऊनी कम्बल या रूई के गद्दे का लगाबें । साधक पूर्ब की और अपना मुख करके बैठ जाये । इसके बाद अपने ठीक सामने लकडी की चौकी कि स्थापना कर उस पर सबा मीटर का लाल कपडा बिछाबें । फिर उस पर माता मेलडी की तस्बीर स्थापित करें और उसका पूजन धूप दीपक, अगरबती, कपूर, फल , फूल, सुखडी, पानी बाला नारियल, कुम्कुम, चन्दन, सिन्दुर, अबीर, गुलाल आदि से बिधिबत पूजन करें और एक कलश भी रखें । इसके बाद साधक उपरोक्त मंत्र का जाप रक्त चन्दन की माला से करे । पांच माला सुबह, यह पांच माला 12 बजे बाद दोपहर में तथा पांच रात्रि में 9 बजे बाद करें ।इसी भांति नौ दिन नबरात्रि में यह गुप्त मंत्र साधना (Gupt Mantra Sadhana) करें और नौ दिन तक केबल एक बार ही भोजन करें । उपबास रखें और साधक साधना (Gupt Mantra Sadhana) के दिनों में पलंग या खाट पर न बैठे और न ही उस पर शयन करे अर्थात् नौ दिन तक साधक भूमि पर शयन करे और पलंग एबं खाट को अपयोग में नहीं लेबे और तन मन से ब्रह्माचार्य का पालन करे । गुप्त मंत्र साधना (Gupt Mantra Sadhana) के बीच मे मौत मरगत पे जाना पडे तो घर आने से पहले किसी जलाशय या नदी पर रास्ते में ही स्नान आदि करके पबित्र होकर ही अपने घर आये । ऐसे तो जन्म एबं मरण सोच से बचने को कहा गया है । लेकिन अगर जाना जरूरी है तो अबश्य जाये । इस प्रकार नियमों का पालन करते हुये यह साधना (Gupt Mantra Sadhana) नौ दिन में पूर्ण करके फिर अन्तिम दिन एक पानी बाला नारियल और पाब घी की सुखडी अपने हाथों से बनाकर माता को नैबेद्य के रूप में अर्पण करे और प्रसाद छोटे बच्चों को बांट दें। अगर सम्भब हो तो नौकन्याओं को अपनी शक्ति के अनुसार भोजन एबं दान दखिणा आदि करबायें और देबें तो उत्तम लाभ प्राप्त होगा । फिर साधक उपरोक्त मंत्र को अपने कार्यो की पूर्ति के लिये उपयोग में ले सकता है यह मंत्र सभी कार्यो में लाभ देता है । जब किसी कार्य को करना हो और उसमें किसी कारण बश कोई बाधा या रूकाबट आ रही हो तो इसका 1000 जाप पूर्ण कर लेने से रूकाबट दूर होगी और कार्य पूर्ण होगा यह प्रयोग (Gupt Mantra Sadhana Prayog) रबिबार को ही करें ।
अगर आपके घर मे किसी बाहरी बाधा या शत्रुओं का भय हो एबं किसी भी प्रकार की समस्या से बचने के लिये आप इस प्रयोग को रबिबार के दिन करें। प्रात: काल स्नान करके पबित्र होकर माता का पूजन करलें जो ऊपर साधना बिधि में बताया गया है । फिर साधक उडद के दाने हाथ में लेकर अपनी समस्या का चिन्तन करे और माता से प्रार्थना करे की हमारे घर की और हमारे पूरे परिबार की रख्या करना ऐसा कह कर माता के आगे उडदों को रख दे फिर उस पर चुटकीभर कुम्कुम चडाबे और उपरोक्त मंत्र की एक माला जप कर ले तथा धूप जलाबे और उडदों को धूप की धूनी लगाबे। फिर पांच अगरबती जलाबें और उडदों को पुन: अपने दाहिने हाथ में लेकर उस अगरबती के धूप पर घुमायें। इसके बाद अपने मकान एबं दुकान के चारों कोणों मे ये अडद के दाने डाल दें जिससे आपका घर और आपका पूरा परिबार सुरखित रहेगा। साधना साबधानी से करे। किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं होनी चाहिये, नहीं तो परिणाम उल्टा भी हो सकता है। साधक साधना से पहले किसी योग्य ब्यक्ति से सलाह अबश्य लें।
साधक इस गुप्त मंत्र साधना (Gupt Mantra Sadhana) को चैत्र नबरात्री में नौ दिन सुबह सायं और दोपहर में पांच पांच माला जपे। प्रथम नबरात्री को प्रात:काल में उठ कर स्नान करके स्वछ बस्त्र धारण ले । फिर अपने घर में किसी एक कमरे में आसन लगाबे । आसन ऊनी कम्बल या रूई के गद्दे का लगाबें । साधक पूर्ब की और अपना मुख करके बैठ जाये । इसके बाद अपने ठीक सामने लकडी की चौकी कि स्थापना कर उस पर सबा मीटर का लाल कपडा बिछाबें । फिर उस पर माता मेलडी की तस्बीर स्थापित करें और उसका पूजन धूप दीपक, अगरबती, कपूर, फल , फूल, सुखडी, पानी बाला नारियल, कुम्कुम, चन्दन, सिन्दुर, अबीर, गुलाल आदि से बिधिबत पूजन करें और एक कलश भी रखें । इसके बाद साधक उपरोक्त मंत्र का जाप रक्त चन्दन की माला से करे । पांच माला सुबह, यह पांच माला 12 बजे बाद दोपहर में तथा पांच रात्रि में 9 बजे बाद करें ।
इसी भांति नौ दिन नबरात्रि में यह गुप्त मंत्र साधना (Gupt Mantra Sadhana) करें और नौ दिन तक केबल एक बार ही भोजन करें । उपबास रखें और साधक साधना (Gupt Mantra Sadhana) के दिनों में पलंग या खाट पर न बैठे और न ही उस पर शयन करे अर्थात् नौ दिन तक साधक भूमि पर शयन करे और पलंग एबं खाट को अपयोग में नहीं लेबे और तन मन से ब्रह्माचार्य का पालन करे । गुप्त मंत्र साधना (Gupt Mantra Sadhana) के बीच मे मौत मरगत पे जाना पडे तो घर आने से पहले किसी जलाशय या नदी पर रास्ते में ही स्नान आदि करके पबित्र होकर ही अपने घर आये । ऐसे तो जन्म एबं मरण सोच से बचने को कहा गया है । लेकिन अगर जाना जरूरी है तो अबश्य जाये । इस प्रकार नियमों का पालन करते हुये यह साधना (Gupt Mantra Sadhana) नौ दिन में पूर्ण करके फिर अन्तिम दिन एक पानी बाला नारियल और पाब घी की सुखडी अपने हाथों से बनाकर माता को नैबेद्य के रूप में अर्पण करे और प्रसाद छोटे बच्चों को बांट दें। अगर सम्भब हो तो नौकन्याओं को अपनी शक्ति के अनुसार भोजन एबं दान दखिणा आदि करबायें और देबें तो उत्तम लाभ प्राप्त होगा । फिर साधक उपरोक्त मंत्र को अपने कार्यो की पूर्ति के लिये उपयोग में ले सकता है यह मंत्र सभी कार्यो में लाभ देता है । जब किसी कार्य को करना हो और उसमें किसी कारण बश कोई बाधा या रूकाबट आ रही हो तो इसका 1000 जाप पूर्ण कर लेने से रूकाबट दूर होगी और कार्य पूर्ण होगा यह प्रयोग (Gupt Mantra Sadhana Prayog) रबिबार को ही करें ।
अगर आपके घर मे किसी बाहरी बाधा या शत्रुओं का भय हो एबं किसी भी प्रकार की समस्या से बचने के लिये आप इस प्रयोग को रबिबार के दिन करें। प्रात: काल स्नान करके पबित्र होकर माता का पूजन करलें जो ऊपर साधना बिधि में बताया गया है । फिर साधक उडद के दाने हाथ में लेकर अपनी समस्या का चिन्तन करे और माता से प्रार्थना करे की हमारे घर की और हमारे पूरे परिबार की रख्या करना ऐसा कह कर माता के आगे उडदों को रख दे फिर उस पर चुटकीभर कुम्कुम चडाबे और उपरोक्त मंत्र की एक माला जप कर ले तथा धूप जलाबे और उडदों को धूप की धूनी लगाबे। फिर पांच अगरबती जलाबें और उडदों को पुन: अपने दाहिने हाथ में लेकर उस अगरबती के धूप पर घुमायें। इसके बाद अपने मकान एबं दुकान के चारों कोणों मे ये अडद के दाने डाल दें जिससे आपका घर और आपका पूरा परिबार सुरखित रहेगा। साधना साबधानी से करे। किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं होनी चाहिये, नहीं तो परिणाम उल्टा भी हो सकता है। साधक साधना से पहले किसी योग्य ब्यक्ति से सलाह अबश्य लें।
कामख्या साधना क्यों और कैसे की जाती है?

Kamakhya Sadhana Kyun Aur Kaise Ki Jaati Hai ?
कामाख्या साधना (Kamakhya Sadhana) एक अद्दितीय धार्मिक अनुभब है , जिसे अक्सर तांत्रिक तंत्रोक्त प्रक्रिया के साथ जोड़ा जाता है । यह एक प्राचीन भारतीय साधना प्रथा है जिसमे योगी , साधक और तांत्रिक किसी बिशेष उदेश्य को प्राप्त करने केलिए बिशेष ध्यान और उपासना करते हैं । इस लेख में , हम कामाख्या साधना (Kamakhya Sadhana) के महत्व , तरीके और उसके प्रभाब पर चर्चा करेंगे ।
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Kamakhya Sadhana Ka Mahatw :
कामाख्या साधना (Kamakhya Sadhana) का महत्व धार्मिक और आध्यत्मिक दृष्टिकोण से बहुत ऊँच है । इसे कामाख्या देबी के पूजन और साधना के रूप में जाना जाता है , जो शक्ति और उपासना की प्रतीक है ।कामख्या साधना से ब्यक्ति अपने आंतरिक स्वरुप को समझते है और आत्मा की उर्जा को जागरूक करते हैं ।
Kamakhya Sadhana Ke Tarike :
ध्यान और मनन : साधक कामाख्या मंदिर में जाते है और वंहा ध्यान और मनन करते है ।इसके माध्यम से देबी के प्रति अपने भक्ति और समर्पण की भाबना बिकसित करते है ।
जप और पूजा : साधक बिशेष मंत्रों का जप करते है और पूजा करते है , जिससे देबी के संग जुड़ सकते हैं ।
ब्रत और उपासना : कुछ साधक बिशेष ब्रत और उपासना करते है , जो अनेक आंतरीक साधना को समर्थन देते हैं ।
Kamakhya Sadhana Ke Prabhav :
कामख्या साधना से साधक आत्मा के साथ गहरा जुडाब अनुभब करते है । यह ऊनके जीबन में आंतरिक शान्ति ,सकारत्मक दृष्टिकोण और समृद्धि लाता है ।
Benefits Of Kamakhya Sadhana :
आंतरिक शान्ति : साधक अपने मानसिक स्तिथि को सुधारते हैं और आंतरिक शांति प्राप्त करते हैं ।
स्वयं में समर्पण : यह साधक को अपने उद्देश्य के प्रति समर्पित बनाता है और सकारत्मक दृष्टिकोण बिकसित करता है ।
आत्मा की ऊर्जा : साधक अपनी आत्मा की ऊर्जा को जागरूक करते हैं , जिससे उनकी जीबन शक्ति में बृद्धि होती है ।
यह मंत्र वेदोक्त है और पुर्णता प्रभवि भि है, सिर्फ 3 हि दिन मे इस मंत्रा कि अनुभुतिया हमारे सामने आती है,इस साधनासे कइ अपुर्ण इच्याये त्वरित पूर्ण हो जाति है,परंतु मन मे अविश्वास जाग्रत हो तो साधना कि अनुभुतिया नहीं मिल पाति है, और ये साधना कम से कम 11 दिन तो करनि हि चहिये.साधना किसी भि नवरात्रि मे कर सक्ते है, रोज मंत्र कि 108 बार पाठ मतलब 1 माला करनि है, आप चाहे तो अपनी अनुकुलता के नुसार 3, 5, या 11 मालाये भि कर सक्ते है,आसन लाल रंग कि हो वस्त्र कोइ भि हो सक्ति है,माला लाल हकिक या रुद्राक्ष कि.मा भगवति या कामाख्या जि का चित्र स्थापित किजिये और चमेलि कि तेल का दिपक आवश्यक है,साथ मे साधना से पुर्व हि गुरुपूजन और गुरुमंत्रा कि जाप भि आवश्यक है,फिर कालभैरव मंत्रा कि 21 ,51 या 108 बार जाप भि आवश्यक है,और सद्गुरुजि से अपनि कामनापुर्ति हेतुप्रार्थना किजिये और कालभैरव जि से आज्ञा मांगिये.
॥ ॐ ह्रीम कालभैरवाय ह्रीम ॐ ॥ अपनी मनोकामना का उच्यारन करते हुये एक लाल कनेर का फूल भगवति जि कि चरणोमे समर्पित किजिये और मंत्र जाप प्रारम्भ किजिये.
मंत्र : – “ॐ कामाख्याम कामसम्पन्नाम कामेश्वरिम हरप्रियाम ।कामनाम देहि मे नित्यम कामेश्वरि नमोस्तुते “॥
निष्कर्षण :
कामख्या साधना एक अत्यधिक महत्वपूर्ण अनुभब है जो ब्यक्ति को आत्मा की उर्जा की और आग्रहाण करने का मार्ग प्रदान करता है । यह एक ब्यक्ति के जीबन में आंतरिक बदलाब और सकारत्मकता लाता है , जिससे उन्हें अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद मिलते है।
अकसर पूछे जाने बाले प्रश्न : (FAQs)
1. कामख्या साधना कितने समय तक की जाने चाहिए ?
Ans: इस साधना की समय साधक की नियति पर निर्भर करता है , कुछ साधक सालों तक अभ्यास करते रहते है ।
2. कामख्या साधना के लिए कौन कौन से उपकरण चाहिए ?
Ans: साधारणत: जो भी धार्मिक उपकरण होता है वो ही चाहिए , और कुछ जरुरत नहीं ।
3. क्या कामख्या साधना से स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है ?
Ans: यह साधना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है , लेकिन इसका परिणाम साधक के अभ्यास पर निर्भर करता है ।
4. क्या कामख्या साधना सामजिक रूप से स्वीकृत है ?
Ans: कामख्या साधना का समाज में प्राप्त किया जा सकता है और यह एक आध्यत्मिक प्रक्रिया के रूप में मान्यता प्राप्त है ।
5. क्या कामख्या साधना हर किसी के लिए है ?
Ans: नही , कामख्या साधना केबल बिशेषधिकारीत और ध्यान्शील ब्यक्ति के लिए हो सकती है , जो इसे समझते है और समर्थन देते हैं ।
कामाक्षा पुष्प वशीकरण मंत्र प्रयोग कैसे करें ?

Kamakhya Pushp Vashikaran Mantra Prayog Kaise Karein ?
कामाख्या पुष्प बशीकरण मंत्र (Kamakhya Pushp Vashikaran Mantra) एक प्राचीन बिधि है जिसका उपयोग बिभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है , जैसे की प्रेम में सफलता , रिश्तों की मजबूती और जीबन में शुख शांति की प्राप्ति ।यह मंत्र ध्यान , श्रद्धा और समर्पण के साथ किया जाता है और सही तरीके से किये जाने पर इसका प्रभाब भी देखने को मिलता है । इस लेख में हम आपको कामाख्या पुष्प बशीकरण मंत्र प्रयोग (Kamakhya Pushp Vashikaran Mantra Prayog) कैसे करना है उसके बारे में चर्चा करेंगे ।। कामाख्या पुष्प बशीकरण मंत्र प्रयोग (Kamakhya Pushp Vashikaran Mantra Prayog) करने से पहले आपको निम्नलिखित कुछ चरण पर ध्यान देना चाहिए …
मंत्र अनुष्ठान केलिए एक शांत कमरा का चयन :- प्रथम बात ये है की एक शांत पबित्र बाताबरण स्थान का चयन करना चाहिए , जांह आप मंत्र अनुष्ठान कर सकते हो , जिसमे कोई बाधा ना आये ।
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मंत्र जाप : कामाख्या पुष्प बशीकरण मंत्र (Kamakhya Pushp Vashikaran Mantra) का जाप आपको सिद्ध किया गया कामाख्या सफटिक माला से करना चाहिए और अनुष्ठान के बाद दशांश हवन भी करना चाहिए । मंत्र जब सिद्धि हो जाएगा तब निम्नवत मंत्र को 108 बार जप कर किसी पुष्प को अभिमंत्रित करके जिस स्त्री पर फेंका जाएगा, वह मोहित हो जाएगी ।
नियमितता : एक समय पर ही मंत्र जप अनुष्ठान ४१ दिन तक करना चाहिए और पूजा अनुष्ठान में कामाख्या माँ के सभी पूजा नियम निर्देश का पालन होना चाहिए ।
आशिर्बाद प्राप्ति : सही नियम निर्देश से पूजा अनुष्ठान करने के बाद अंतिम दिन माँ से अशिर्बाद प्राप्त करके मंत्र का प्रयोग कर सकते हो ।
Kamakhya Pushp Vashikaran Mantra Ka Mahatw :
कामाख्या पुष्प बशीकरण मंत्र (Kamakhya Pushp Vashikaran Mantra) का महत्व है क्योंकि यह प्रेम और संबोंधो को सुखमय और समृद्ध कर सकता है । यह मंत्र एक ऊर्जा और आत्मा के साथ काम करता है और आपको अपने लक्षो की प्राप्ति में मदद करता है । यह मंत्र प्रयोग से किसीको हानि पहंचाने की कोसिस ना करे अन्यथा मंत्र का उल्टा प्रयोग आपके ऊपर होने लगता है । इस मंत्र का प्रयोग करते समय आपका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ सकारत्मक और नैतिक होना चाहिए तब आपको 100% सफलता मिल सकता है ।
Kamakhya Pushp Vashikaran Mantra :
मंत्र : “ॐ नमो आदेश गुरु को, कामरूप देश कामाक्षा देवी तहां ठैठैइस्माइल जोगी, जोगी के गन फूल-क्यारी, फल चुन-चुन लावै लोना चमारी, फूल चल फूल-फूल बिगसे, फूल पर बीर नरसिंह बसे, जो नहीं फूल का विष, कबहुं न छोड़े मेरी आस। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।”
मंत्र जप के लिए स्फटिक की माल का प्रयोग करना अधिक लाभकारी है। चमेली के पुष्प का प्रयोग करने से स्त्री तुरंत आप के वश मे हो जाएगी । पुष्प को अभिमंत्रित से पहले गंगाजल से शुद्ध कर ले,41 दिन लगातार जाप के बाद ही मंत्र सिद्ध होगा। पुष्प अभिमंत्रित करते समय आप को कोई देख न ले इस बात के अवश्य ध्यान रखे अन्यथा वशीकरण विफल हो जाएगा ।
{{ स्त्री पर पुष्प फेंकते समय आप ने लाल रंग के वस्त्र पहने होने चाहिए ,इस कामाक्षा पुष्प वशीकरण मंत्र का बुधवार को प्रयोग करने से स्त्री तुरंत आप के वश मे हो जाती है।}}
5 अनूठे सबाल (FAQs)
1. क्या कामाक्षा पुष्प वशीकरण मंत्र के प्रयोग से बाकई मेरे जीबन में परिबर्तन हो सकता है ?
Ans: हाँ , मंत्र की सही और नियमित जप से आपके जीबन में सकारत्मक परिबर्तन देखने को मिलेगा ।
2. क्या कोई बिशेष समय पर कामाक्षा पुष्प वशीकरण मंत्र प्रयोग करना चाहिए ?
Ans: मंत्र प्रयोग केलिए सुबह और शाम के समय उचित माना जाता है ।
3. क्या कामाक्षा पुष्प वशीकरण मंत्र का जाप केबल प्रेम में सहायक होता है ?
Ans: नहीं , कामाख्या पुष्प बशिकरण मंत्र का प्रयोग आप रिश्तों में समृद्धि , घर के सदस्यों में अनबन होतो सुधार , ऑफिस कर्मचारी में संपर्क में सुधार में उपयोग कर सकते हो , साथ साथ आपके स्वास्थ्य में सुधार जैसे बाणी में मिठास भरना और मानसिक शांति प्राप्ति में सहायक होता है ।
4. क्या कामाक्षा पुष्प वशीकरण मंत्र का जाप सिर्फ धार्मिक लोग कर सकते हैं ?
Ans: नही , मंत्र का जाप किसी भी धर्म या जाति के ब्यक्ति द्वारा किया जा सकता है ।
5. क्या कामाक्षा पुष्प वशीकरण मंत्र के जाप के बाद कुछ साबधानियों का पालन करना चाहिए ?
Ans: हाँ , मंत्र के जाप के बाद आपको सच्चे मन से गरीब असहाय लोग को मदद, सत्य बोलना ,अधर्म से दूर रहना चाहिए ।
कामाक्षी यन्त्र क्या है ?
