Kali Bidya
महाकाली शाबर मंत्र सिद्धि साधना

Shaitaan Chadhaane Hetu Mantra :
शैतान मंत्र : “अल्प गुरु अल्प रहमान । “अमुक” की छाती ना चढे, तो माँ बहन की सेज पे पग धरै। अली की दुहाई ,अली की दुहाई ,अली की दुहाई ।।”
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Mahakaali Shabar Mantra :
आज हम आपको महाकाली शाबर मंत्र (Mahakaali Shabar Mantra) के विषय में बता रहे है जिसके प्रयोग से महाकाली शीघ्र प्रसन्न होती है । आप किसी भी मनोकामना पूर्ती हेतु इस महाकाली शाबर मंत्र को सिद्ध कर सकते है । मंत्र इस प्रकार है : –
“ॐ काली घाटे काली माँ ।
पतित पावनी काली माँ ।
जवा फूले ।
स्थुरी जले ।
सेई जवा फूल में सीआ बेड़ाए ।
देवीर अनुर्बले ।
एहि होत करिवजा होइवे ।
ताही काली धर्मेर ।
वले काहार आज्ञे राठे ।
काली का चंडीर आसे । ।”
Mahakaali Shabar Mantra Siddh Karne Ki Vidhi :
वैसे तो शाबर मंत्र अपने आप में सिद्ध मंत्र होते है किन्तु इन मन्त्रों में प्रबलता लाने के लिए और अपने कार्य को सिद्ध करने के लिए कुछ जाप करने जरुरी होते है ।
शनिवार शाम को 7 से 10 के बीच में कोई एक समय निश्चित कर ले और आसन बिछाकर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाये । अब आप हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प ले ।
अपने साथ में एक गोला (पका हुआ नारियल ) इसे छोटे- छोटे टुकडो में तोड़ ले । एक मिटटी का खुला बर्तन जैसे की मटके का ढक्कन या इससे बड़ा हो तो भी उचित होगा पर मिटटी का होने चाहिए । अब एक गाय के गोबर के उपले (कंडा ) को भी अपने पास में रख ले । थोड़ी मात्रा में जलने वाला कपूर और घी रखे । अब आप अपनी क्षमता अनुसार जितने भी मंत्र जाप कर सकते है उनकी संख्या निश्चित कर उतनी संख्या के बराबर आधे लोंग और आधे इलाइची लेकर रख ले ।
अब आप गोबर के उपलों (कंडो ) द्वारा मिटटी के बर्तन में कपूर की सहायता से अग्नि प्रज्वलित करें । अब आप मंत्र का जाप आरम्भ कर दे और प्रत्येक मंत्र के बाद आप एक लोंग या एक इलाइची अग्नि में डाल दे । थोड़े -थोड़े समय पश्चात् घी और नारियल का गोला जिसके छोटे छोटे टुकड़े किये है उन्हें भी डालते रहे । घी और गोले को आपको प्रत्येक मंत्र के बाद अग्नि में डालने की आवश्यकता नही है , यह सिर्फ इसलिए है कि अग्नि लगातार प्रज्वलित होती रहे ।
इस प्रकार आप प्रत्येक मंत्र के बाद एक लोंग या इलाइची को अग्नि में छोड़ते चले जाये । आपको किसी प्रकार के दीपक जलाने या माला लेने की आवश्यकता नही है । बस आप दी गयी विधि अनुसार मंत्र जाप करते जाये । जैसे ही आप अपने मंत्र जाप पूरे करते है अब आप फिर से हाथ में जल लेकर फिर से संकल्प ले ।
इस क्रिया को आप शनिवार को शुरू कर 7 शनिवार तक प्रतिदिन करें । इस प्रकार 7 शनिवार तक इस प्रकार करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है । अब आप किसी भी मनोकामना पूर्ती हेतु इस मंत्र का प्रयोग कर सकते है । आप अपने कार्य में अवश्य सफल होंगे ।
Mahakaali Shabar Mantra Prayog Vidhi :
इस महाकाली शाबर मंत्र (Mahakaali Shabar Mantra) को सिद्ध करने के पश्चात आप जिस मनोकामना को माँ काली द्वारा पूर्ण करवाना चाहते है उसे मन ही मन ध्यान में रखते हुए इस महाकाली शाबर मंत्र (Mahakaali Shabar Mantra) को तीन बार जाप करें और अपनी दाहिनी हथेली पर फूंक लगाये । आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूर्ण होगी ।
शाबर महाकाली साधना मंत्र

Shabar Mahakali Sadhana Mantra :
मंत्र सिद्ध है फिर भी मन मे येसा कुछ ना आये के मुज़े अनुभव कैसे मिलेगा ईसलिये किसी भी मंगलवार के दिन शाम को 6:30 से 7:30 के समय मे शाबर महाकाली साधना मंत्र (Shabar Mahakali Sadhana Mantra) का 108 बार जाप कर लिजिये और 21 आहुती घी का दे , साथ मे एक नींबू मंत्र का जाप करके चाकू से काटे तो बलि विधान भी पूर्ण हो जायेगा, नींबू को हवन कुंड मे डालना ना भूले ।
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अब जब भी आपको अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु विधान करना हो तब जमीन पर थोडासा कुछ बुंद जल डाले और हाथ से जमीन को पौछ लिजिये । साफ़ जमीन पर कपूर कि टिकिया रखे और मन ही मन अपनी कामना बोलिये ।
अब तीन बार “ओम नम: शिवाय” बोलकर कपूर जलाये और महाकाली मंत्र का जाप करे, यहा पर मंत्र जाप संख्या का गिनती नही करना है और जाप करते समय ध्यान कपूर के ज्योत मे होना चाहिये इसलिये मंत्र भी पहिले ही याद करना जरुरी है ।
कम से कम 3-4 टिकिया कपूर का इस्तेमाल करे और कपूर इस क्रिया मे बुज़ना नही चाहिये जब तक आपका जाप पूर्ण ना हो और इतने समय तक जाप करे अन्दाज से के आपका 21 बार मंत्र जाप होना चाहिये । अब आपही सोचिये आपको रोज कितना कपूर जलाना है । शाबर महाकाली
साधना मंत्र (Shabar Mahakali Sadhana Mantra) तब तक करना है जब तक आपका इच्छा पूर्ण ना हो और इच्छा पूर्ण होने के बाद कुछ गरिब बच्चो मे कुछ मिठा बाटे क्युके इच्छा पूर्ण होने के खुशी मे…
Shabar Mahakali Sadhana Mantra :
।। ओम नमो आदेश माता-पिता-गुरू को । आदेश कालिका माता को,धरती माता-आकाश पिता को । ज्योत पर ज्योत चढाऊ ज्योत कालिका माता को,मन की इच्छा पुरन कर,सिद्धी कारका । दुहाई माहादेव कि ।।
डाकिनी प्रत्यक्षीकरण साबर मंत्र

Dakini Pratyakshikaran Shabar Mantra :
तंत्र में काली को भी डाकिनी कहा जाता है, यद्यपि डाकिनी काली की शक्ति के अंतर्गत आने वाली एक अति उग्र शक्ति है । यह काली की उग्रता का प्रतिनिधित्व करती हैं और इनका स्थान मूलाधार के ठीक बीच में माना जाता है । यह प्रकृति की सर्वाधिक उग्र शक्ति है । यह समस्त विध्वंश और विनाश की मूल हैं । इन्ही के कारण काली को अति उग्र देवी कहा जाता है । जबकि काली सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति की भी मूल देवी हैं । तंत्र में डाकिनी प्रत्यक्षीकरण (Dakini Pratyakshikaran) की साधना स्वतंत्र रूप से होती है और यदि डाकिनी प्रत्यक्षीकरण (Dakini Pratyakshikaran) सिद्ध हो जाए तो काली की सिद्धि करना आसान हो जाता है ।
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काली की सिद्धि अर्थात मूलाधार की सिद्धि, काली या डाकिनी प्रत्यक्षीकरण सिद्धी (Dakini Pratyakshikaran Siddhi) से अन्य चक्र अथवा अन्य देवी-देवता आसानी से सिद्ध किया जा सकता हैं फीर उसके लीये कठीन साधना करने की जरूरत नही होती । कम प्रयासों में ही डाकिनी प्रत्यक्षीकरण सिद्धी (Dakini Pratyakshikaran Siddhi) प्राप्त हो जाती है, इस प्रकार सर्वाधिक कठिन डाकिनी नामक काली की शक्ति की सिद्धि ही है । डाकिनी नामक देवी की साधना अघोरपंथी तांत्रिकों की प्रसिद्द साधना है, हमारे अन्दर क्रूरता, क्रोध, अतिशय हिंसात्मक भाव, नख और बाल आदि की उत्पत्ति डाकिनी की शक्ति के तरंगों से होती है । डाकिनी प्रत्यक्षीकरण (Dakini Pratyakshikaran) की सिद्धि या शक्ति से भूत-भविष्य-वर्त्तमान जानने की क्षमता आ जाती है । किसी को नियंत्रित करने की क्षमता, वशीभूत करने की क्षमता आ जाती है । यह शक्ति साधक की रक्षा करती है और मार्गदर्शन भी करती है । यह डाकिनी साधक के सामने लगभग काली के ही रूप में अवतरित होती है ।
इसका स्वरुप अति उग्र हो जाता है । इस रूप में माधुर्य, कोमलताका अभाव होता है, डाकिनी प्रत्यक्षीकरण सिद्धि के समय यह पहले साधक की ये बहुत परीक्षा लेती है, साधक को हर तरीके से आजमाती है, उसे डराती भी है । फिर तरह तरह के मोहक रूपों में साधक को भोग के लिए प्रेरित करती है, यद्यपि मूल रूप से यह उग्र और क्रूर शक्ति है इसलिए बिना रक्षा कवच धारण किये डाकिनी प्रत्यक्षीकरण साधना ना करे । इसके भय और प्रलोभन से साधक बच गया तो डाकिनी प्रत्यक्षीकरण सिद्धि (Dakini Pratyakshikaran Siddhi) का मार्ग आसान हो जाता है । मस्तिष्क को शून्य कर के या पूर्ण विवेक को त्यागकर निर्मल भाव में डूबकर ही डाकिनी प्रत्यक्षीकरण साधना पुर्ण किया जा सकता है । डाकिनी और काली में व्यावहारिक अंतर है, जबकि यह शक्ति काली के अंतर्गत ही आती है । इस शक्ति को जगाना अति आवश्यक है , जबकि काली एक जाग्रत देवी शक्ति हैं । डाकिनी प्रत्यक्षीकरण (Dakini Pratyakshikaran) की साधना में कामभाव की पूर्णतया वर्ज होता है । तंत्र में एक और डाकिनी की साधना होती है जो अधिकतर वाममार्ग में साधित होती है ।
यह डाकिनी प्रकृति की ऋणात्मक ऊर्जा से उत्पन्न एक स्थायी गुण है और निश्चित आकृति में दिखाई देती है । इसका स्वरुप सुन्दर और मोहक होता है ,यह पृथ्वी पर स्वतंत्र शक्ति के रूप में पाई जाती है । इसकी साधना अघोरियों और कापालिकों में अति प्रचलित है । यह बहुत शक्तिशाली शक्ति है और सिद्ध हो जाने पर साधक का मार्ग आसान हो जाता है । यद्यपि साधना में थोड़ी सी चूक होने अथवा साधक के साधना समय में थोडा सा भी कमजोर पड़ने पर वह शक्ति साधक को ख़त्म कर देती है , यह भूत-प्रेत- पिशाच-ब्रह्म-जिन्न आदि उन्नत शक्ति होती है । यह कभी-कभी खुद किसी पर कृपा कर सकती है और कभी किसी पर स्वयमेव आसक्त भी हो जाती है । इसके आसक्त होने पर सब काम रुक जाता है और उसका विनास होने लगता है । इसका स्वरुप एक सुन्दर, गौरवर्णीय, तीखे नाकनक्शे वाली युवती की जैसी होती है । जो काले कपडे में ही अधिकतर दिखती है ।
काशी के तंत्र जगत में इसकी साधना, विचरण और प्रभाव का विवरण ग्रंथो में मिलता है । इस शक्ति को केवल वशीभूत किया जा सकता है । इसको नष्ट नहीं किया जा सकता, यह सदैव व्याप्त रहने वाली शक्ति है । जो व्यक्ति विशेष के लिए लाभप्रद भी हो सकती है और हानिकारक भी , इसे नकारात्मक नहीं कहा जा सकता , अपितु यह ऋणात्मक शक्ति ही होती है । सामान्यतया यह नदी-सरोवर के किनारों, घाटों, शमशानों, तंत्र पीठों, एकांत साधना स्थलों आदि पर विचरण कर हैं ।
इस में मंत्र जाप हेतु रुद्राक्ष माला का प्रयोग करे,काला आसन हो और मुख दक्षिण दिशा में होना चाहिए ।
Dakini Pratyakshikaran Shabar Mantra :
मन्त्र: ।। ॐ नमो आदेश गुरु को स्यार की ख़वासिनी समंदर पार धाइ आव, बैठी हो तो आव-ठाडी हो तो ठाडी आव-जलती आ-उछलती आ न आये डाकनी,तो जालंधर बाबा कि आन शब्द साँचा पिंड कांचा फुरे मन्त्र ईश्वरो वाचा छू ।।
Dakini Pratyakshikaran Vidhi :
यह एक प्रत्यक्षीकरण की साधना है ,किसी एकांत स्थान पर जहां चौराहा हो वहां पर रात के समय कुछ मास मदिरा व मिट्टी क दीपक, सरसों का तेल व सरसों लेकर जाय । काले आसन पर बैठकर नग्न होकर मन्त्र का ११ माला जप करें, सरसों के तेल का दीपक जला कर रख लें । अब हाथ में सरसों लेकर मन्त्र पढ़कर चारोँ दिशाओं में फेंक दें और दोबारा से मन्त्र जपना आरम्भ करें, मन में संकल्प रखें कि डाकिनी शीघ्र आकर दर्शन दे तो कुछ हि देर में दौडती-चिल्लाती और उछलती डाकनियां आ जायेँगी,उनको शराब और मास प्रदान करना है और जो भी मन मे हो वह मनोवांछित कार्य उनको बोल देना है,कार्य तुरंत पूर्ण होता है ।
कार्य सिद्धि हेतु कालिका मंत्र कैसे करें ?

Karya Siddhi Hetu Kaalika Mantra :
किसी भी कार्य की कामना करने तथा उसमें निशिचत रूप से सिद्धि प्राप्त हो इसके लिये की कहा गया है कि कालिका साधना करना चाहिए। कालिका मंत्र (Kaalika Mantra) इस प्रकार है –
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Kaalika Mantra (Shabari Bhasa me) :
“श्री कालिका एलक मेलक,
अठंत देब देबाने सैयद् मसाने ,
ऐते बाँध बशकर हाथ हथकड़ी ,
पांब पैकड़ी सबा मन का तंग ,
ऊपर बज्र पयान ,
तेरी शक्ति गुरु की भक्ति ,
फुरो मंत्र ईश्वरो बाचा ।”
उपरोक्त मंत्र बीस हजार जाप करने पर तीस दिन में सिद्ध होता है ।मंत्र जप केबल सोमबार से आरम्भ करना चाहिए ।यह साधना घर रहकर भी हो सकती है ।
साधक रात्री में दस बजे के बाद ऊन के आसन पर दक्षिण दिशा की और मुँह करके बैठे ।सामने तेल का दीपक लगाये और मदिरा का प्याला रखे ।इसके बाद जाप शुरू करे ।जाप के बाद दशांश होम करें और मदिरा की धार दें ।मंत्र जाप को ही मंत्र की सिद्धि समझें ।
प्रयोग के लिये कहीं भी जाते समय कार्य सिद्धि मंत्र जाप करते हुये अपने ऊपर जल के छीटे मारें ।भभूत का तिलक लगायें, तो कार्य पूरा होगा ।
कन्कालिनी साधन
