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अचूक शाबर सर दर्द मंत्र

Achuk Shabar Sir Dard Mantra : सभी प्रकार की सिद्धिओ को प्राप्त करने का सफलसाधन हैं “शाबर मंत्र”। जहाँ शास्रोक्त मंत्रोपासना सरलता व सुलभ पूर्ण नियमो के पालन करने से सफल हो जाती हैं।स्पष्ट हैं कि शब्सर मंत्रो मैं असीम शक्तियां समाहित रहती हैं। सर्व प्रथम आप सबको एक अत्यंत साधारण मन्त्र बता रहा हूँ जो आपको सिरदर्द मैं काम आएगा । आपको ये मंत्र सिर्फ 7 बार एकाग्र मन से कहना हैं जिससे सिरदर्द मैं शांति मिलेगी। मंत्र इस प्रकार हैं ।

पहला सर दर्द मंत्र (Sir Dard Mantra)
“हजार घर घालै । एक घर खाय।।
आगे चले तो। पीछे जाय।।
फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा।।”
दूसरा सर दर्द मंत्र (Sir Dard Mantra) ।। एक ब्राह्मण का सात बेटा, सातों ब्रह्मचारी, कान झारे , कपार झारे, झारे अधकपारी। दोहाई कामरू कामाख्या , नयना योगिनी की ।।
अधकपारी या आधे सर का दर्द दूर करने के लिए विधि :-
1. अपने दोनों हाथों में नमक की एक एक डली ले लें …
2. रोगी के माथे पर दोनों हाथों को रखें।
3. इस मन्त्र का 21 बार जाप करें और जाप के बाद दोनों डलियों को रोगी के ऊपर से 3 बार घुमाकर फेक दें।
4. पंसारी की दूकान से अधकपारी जड़ी ले लें और उसे रोगी को पहना दें । लाभ होगा ।

कैसे करें भद्रकाली की रोग मुक्ति साधना ?

कैसे करें भद्रकाली की रोग मुक्ति साधना ?
भद्रकाली जी प्रचंड शक्तियुक्त देवी मानी जाती है,उनका कोई भी साधना विधान कभी भी खाली नही जाता । अन्य साधनाओं में भले ही सफलता मिले या ना मिले परंतु काली जी के इस रूप के साधना में सफलता अवश्य ही मिलता है । जहां माँ भद्रकाली अपने बच्चो को ममतामयी नजरो से देखती है , ठीक उसी तरहां भक्तो के समस्त शत्रुओं को दंडित करती है । आज जो साधना दे रहा हू इससे समस्त प्रकार के रोगों से मुक्ती प्राप्त होता है । जब तक शरीर रोगों से मुक्त ना हो जाए तब तक जीवन में सब कुछ होकर भी कुछ नही रहेता है । यह साधना विधान आपके समस्त रोगों का स्तंभन करने हेतु आवश्यक है, पहला सुख निरोगी काया -अर्थात स्वस्थ्य शरीर ही जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है और उसी से आप अन्य सुखों का उपभोग कर सकते हैं तथा साधना में आसन की दृढ़ता को प्राप्त कर सकते हैं ।

यह भद्रकाली साधना किसी भी शनिवार से शुरू करे,आसन और वस्त्र लाल रंग के हो,मंत्र जाप के समय उत्तर दिशा में हो,मंत्र जाप करने हेतु रुद्राक्ष का माला उत्तम है । साधना के समय गाय के घी का ही दीपक प्रज्वलित करे,धुपबत्ती कोई भी ले सकते है परंतु गुग्गल का धूपबत्ती जलाया जाये तो अतिउत्तम । यह साधना ग्यारह दिनों तक किया जाए तो आरोग्य प्राप्त होता रहेगा और रोगों से मुक्ति मिलता रहेगा । 11 माला जाप करने का विधान है परंतु आप आवश्यता नुसार 21, 51, 101 माला भी जाप कर सकते है । कोई रोगी व्यक्ति जाप ना कर सके तो किसी योग्य व्यक्ति से स्वयं के लिए जाप करवा सकते हैं । भद्रकाली मंत्र – ।। ॐ क्रीं क्रीं क्रीं भद्रकाली सर्वरोगबाधा स्तंभय स्तंभय स्वाहा ।। 11,21…..दिनों का साधना पूर्ण होने के बाद संभव होतो काले तिल और शुध्द घी से हवन में आहूति देना उचित होगा । हवन करना जरुरी नहीं है फिर भी साधक पूर्ण सिद्धि हेतु चाहे तो हवन कर सकता है ।

लिंगदोष निबारण मंत्र

लिंगदोष निबारण मंत्र :

मंत्र : “ओम नम: सूर्यदेबा, नम: इंद्रदेबा ।
नम: नम: हे महादेबा ।
हे महादेबा काली के जनकदेबा ।
दूर करो ब्याधि मोरी हे मोरे बिश्बदेबा ।
ओम नम: क्रीं क्रीं क्रीं फट् स्वाहा ।”
सरसों के तेल में भंग के बीज, पीपर, सौंठ, बैंगन के बीज, बबूल की गौंद को पीसकर डालें और बोतल में बन्द करके 21 दिन धूप में रखें । बोतल लाल होनी चाहिए । 21 केंचुआ पकडकर आधा सेर (लिटर) पानी एब यह मिश्रण डालकर तेल सहित धीमी आंच पर उबालें ।
इसे छानकर बोतल में बन्द करके फिर 21 दिन धूप में रखें । प्रत्येक दिन सूर्य को प्रणाम करके 21 बार लिंगदोष निबारण मंत्र का जाप करें ।
इस तेल को चौथाई चम्म्च लेकर लिंग पर रात्रि में मालिश करने पर टेढापन, नस बिकार, ढीलापन दूर हो जाता है । 21 दिन में ।

योनि संकोचन मंत्र

योनि संकोचन मंत्र :
मंत्र : “ हे माता डाकिनी काम शक्ति दायिनी । भैरबनाथ-प्रिया काम नाडी बाहिनी । योनि द्वार रखिका, महाश्क्ति कालिका । शक्ति दिखा मालिका, बना मुझे बालिका । ओम क्रं क्रं क्रं क्रां लिं फट् स्वाहा।”

इस योनि संकोचन मंत्र की आज की युबतियों को बहुत आबश्यकता है । बिबाह पूर्ब यौनाचार और गर्भपात आज की प्रब्रूति बन गयी है । बिबाह अधिक उम्र में होता है । इससे कामज्वाला का नियन्त्रण असम्भब हो जाता है । यौनाचार या अन्य यौन कारणों से योनि में फैलाब आ जाता है ।
इससे बे प्रथम रात्रि ही पति की दृष्टि में हीन हो जाती है और कलह, विद्वेष, घृणा, निराशा, दाम्प्त्य जीबन का सत्यानाश कर देती है ।
इस योनि संकोचन मंत्र की क्रिया करने पर 41 दिन में योनि कसाब और योनि छिद्र कुंबारी कन्या की भांति हो जाति है ।
भांग के बीज,पीपर, सौंठ और कुम्हार के चाक की मिट्टी को सिद्ध करबा लें । इसे काले कपडे में लपेटकर बबूल की जड में दबा दें । एक हपते तक रात्रि में सोते समय मंत्र जाप करते रहें । इसके बाद इसे ले आयें । यह कार्य शनिबार को करें । बबूल की छाल (उसी पेड का) भी लायें ।
इस छाल का रस कपडे से निचोडें । भांग के बीज, पीपर, सौंठ को कूट-पीसकर छान लें । इसमें दो गुणा कुम्हार के चाक की मिट्टी मिलायें । इस मिश्रण को बबूल की छाल के रस में लेप बनाकर 21 रात सोते समय योनि पर लगाये और सुख जाने पर ही सोयें । योनि में इस मिश्रण को पोटली में बांधकर डालें ।

बख्यों की कठोरता का मंत्र

बख्यों की कठोरता का मंत्र :
मंत्र : “ओम काममालिनी लक्ष्मीस्खी मधुयामिनी । ओम ही ही ही पी पी फट् स्वाहा ।” बहुत-सी स्त्रियों के स्तन धिले हो जाते है । यह रक्त की कमी, असमय गर्भपात आदि से भी होता है और अन्य कारणों से भी । इससे बे असमय ही ब्रूधा-सी लगने लगती है । यह क्रिया उनके लिए है ।

इस बख्यों की कठोरता का मंत्र में सिद्धि की नहीं, नाद के उच्चारण को भी समझना आबश्यक है । केबल इस मंत्र के पाठ से भी 108 दिन में बख्यों की सुडौलता बन जाती है, तथापि इसके साथ निम्न प्रयोग करें- रात्रि में पीपर , लौंग, सौंठ और कुम्हार के चाक की मिट्टी को कूट-पीसकर-छानकर एरण्ड के पतों में लेपकर बख्यों पर बांधें । इसके बाद प्रात: स्नान के समय जैतून के तेल की मालिश करें । 21 दिन में बख्य कठोर एब पुष्ट हो जाते है ।

दांत एब कान दर्द का मंत्रe

दांत एब कान दर्द का मंत्र :
मंत्र :”ओम कनक प्रहार । धन्धर छार। प्रबेश कर डार-डार। पात-पात,झार-झार। मार-मार। हुंकार-हुंकार। श्वद सांचा, पिण्ड कांचा ओम क्रीं क्रीं।”

कान के दर्द का मंत्र: बिधि : आक के पते पर सात बार मंत्र पढकर उसमें गाय के घी को चुपडकर इसका रस निचोडें और दोनों कान में डालें। दो पल मे दर्द चला जायेगा।