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शत्रु बिनाशक मंत्र

शत्रु बिनाशक मंत्र :
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मंत्र : “मन मना गुरु रतना, छ्पक देब हरताल, जगर-बगर तेंदुआ होय, बिजली चमके कोई घरी, कोई समय के बेर में । कोई हंसा ला हर बन्दन दे । जय चण्डी माता ।।”
बिधि : साधना एक दिन की है । साधना अमाबास्या की रात 11 बजे से लेकर 3 बजे के बिच मे साबर मंत्र बिधान से पुजा अनुष्ठान करते हुए चिता की राख, हरताल और सरसों से मंत्र जपते हुए 1188 बार उक्त मंत्र से “हबन” करें तथा एक मुर्गे की बली दें । “हबन” की राख शत्रु के सिर पर डालने से उसका नाश होगा ।
{शत्रु बिनाशक मंत्र आप किसी सिद्ध गुरु की मुख से प्राप्त करके उंनके सानिध्य मे रहते हुए सम्पन्न करे । बिना गुरु से किया हुआ कार्य ओर लालच मे आकर किया हुआ साधना कभि भी सफल नहि होता है ।}
शत्रु नाश हेतु शाबर मंत्र

शत्रु नाश हेतु शाबर मंत्र :
मंत्र : “ॐ नमो कलुबा । जबरदस्त हनुमत बीर ! धर-धराय, कर-कराय, परपराय, शत्रु को तडतडाय । मूठ मारि दे पछारि । नाडि तोडि, रक्त सोखि, कलेजा चाबि, शत्रु सन्मुख हाँक मारो । टांग पकरि, ले उठाय । फिर बायु मे घुमाए, प्रुथिवी पर दे पछाडि । न पछाडे, तो तोहि गुरु गोरखनाथ की दुहाई ।।”
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शत्रु नाश हेतु शाबर मंत्र बिधान – किसी भी ग्रहण, होली या दीपाबली की रत्रि मे उक्त मंत्र को सिद्ध करने के लिए ११०० की संख्या मे जप करने होते है ।
सर्बप्रथम एक कांसे की थाली लेकर उसमे लाल चंन्दन की स्याही से उक्त मंत्र को लिखकर अख्य्त् (बिना टुटे चाबल ), धूप-दीप ब मिठाई से मंत्र का पूजन करे । दीपक सरसो के तेल का जलाए । इसके उपरांन्त मंत्र का ११०० की संख्या मे जप करे । इस प्रक्रिया से शत्रु नाश हेतु शाबर मंत्र सिद्ध हो जाता है ।
प्रयोग के समय अपनी दाहिनी मुट्ठि मे थोडे से उडद (साबुत) के दाने लेकर उन्हे १०८ बार उक्त मंत्र पढकर अभिमन्त्रित करके शत्रु की छाती पर मार दे । इससे शत्रु पछाड खाकर भुमि पर गिरकर तड्पने लगेगा । जब शत्रु को ठीक करना हो तो सात प्रकार की मिठाई लेकर भैरब या हनुमान जी के मंन्दिर मे चढा दे । मिठाई अर्पण करते समय शत्रु के ठीक होने की भाबना ह्रुदय से करनी चाहिए ।
शत्रु नाश के लिए भैरव प्रयोग

शत्रु नाश के लिए भैरव प्रयोग :
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मंत्र : “ओम लाल भैरव लाली लसै, कलुबा भैरब दे दुहाई । बैरी ईश्वर महादेव का, अमुक पुत्र न रहे ।” बिधान : सर्बप्रथम किसी शुभ पर्ब मे उक्त मंत्र को ग्यारह हजार बार जप करके सिद्ध कर लें । फिर प्रयोग के समय रात्रि में श्मशान में जाकर सरसों के तेल तथा राई से किसी चिता में १०८ बार उक्त मंत्र से आहुतियां दें । इस भैरव प्रयोग को तीन रात तक प्रतिदिन करने से शत्रु-नाश हो जाता है । साधना पुर्ण बिश्वास तथा धैर्य के साथ सम्पन्न करने से निश्चय ही शत्रु का नाश होता है ।
शत्रु को दण्ड देना प्रयोग

शत्रु को दण्ड देना प्रयोग : मंत्र : काला भैरव किल-किल करे, गौरा भैरव हंसै । दोहाई मोह्म्म्दा पीर की । मेरा बैरी (अमुक) नसै ।। शत्रु को दण्ड देना बिधान :
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उक्त मंत्र का प्रयोग शत्रु को दण्डित करने के लिये किया जाता है । मंत्र को सिद्ध करने के लिये साधक को सर्बप्रथम पूर्ब दिशा की और मुंह करके बैठना चाहिए । समय रात्रि को होना चाहिए । अपने सामने दीबार पर साफ-सुथरा सफेद कपडा लगाकर उस पर तीन कील गाड दें । कील पर माला टांग दें । फिर माला के नीचे किसी चौकी आदि को आधार बनाकर उस पर लाल फूल, चाबल, तीर्थ (मदिरा) चर्बण (चबाने जोग्य पदार्थ) तथा एक नई चिलम में गांजा भर कर रख दें । इसके उपरान्त उक्त शत्रु को दण्ड देना मंत्र की 13 माला नित्यप्रति जप करे ।
चर्बण सामग्री प्रतिदिन बदलते रहें । जिस दिन तीर्थ कम अथबा उसका पात्र खाली मिले तो समझ जाना चाहिये कि मंत्र सिद्ध हो गय है । इसके उपरान्त ही मंत्र-प्रयोग करें । इस क्रिया से बिपखी का उचाटन हो जाता है ।
सत्रु विनासक धूमावती प्रयोग
