Danab Sadhana

शैतान चढाने हेतु मंत्र :

Shaitaan Chadhaane Hetu Mantra :
शैतान मंत्र : “अल्प गुरु अल्प रहमान । “अमुक” की छाती ना चढे, तो माँ बहन की सेज पे पग धरै। अली की दुहाई ,अली की दुहाई ,अली की दुहाई ।।”

Shaitaan Chadhaane Hetu Mantra Vidhi :

इस मंत्र के अनुष्ठान हेतु शुक्रबार की रात्री को किसी निर्जन स्थान पर पिली मिट्टी का गोला चौका बनाकर , उस पर तिल तेल का दीपक रखें, दीपक का मुख उत्तर की तरफ रखें स्वयं दक्षिण मुख होकर इस मंत्र का जप करें । मुस्लिम क्रिया की तरह सम्पूर्ण बिधि बिधान की तरह पूजा अनुष्ठान करे । इसके बाद आप बताया गया मंत्र को सतरह हजार जप करने से शत्रु के ऊपर शैतान चढ़ जाएगा ।शत्रु ने उचित समय पर उसका प्रबंध न किया तो कुछ ही दिनों में शत्रु की मृतु हो जाएगी ।

नोट : इस प्रयोग को सोच समझकर प्रयोग करें, असाबधानी होने पर स्वयं को भी खतरा हो सकता है

जिन सिद्धि साधना

Jin Siddhi Sadhana :

जीबन की सफ़र में , हम सभी कुछ ना कुछ हासिल करने की चाहत रखते हैं , और यही कारण है की हम अपनी साधना की और बढ़ते हैं ।”जिन सिद्धि साधना “एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे हम अपने आपको आध्यत्मिक और शारीरिक रूप से संजीबन करने केलिए अद्भुत साधनाओ को पालन करते हैं ।

Jin Siddhi Kaise Kiya Jata Hai ?
यह साधना हमारे आत्मा के बिकास की और एक पथ खोलता है , और यह आत्मा के अद्दितीय गुणों का खोजने और बिकसित करने में मदद करती है । इसके माध्यम से हम अपने जीबन के उदेश्यों की प्राप्ति करने के लिए आबश्यक सामर्थ और धैर्य का बिकास करते हैं । जिन साधना का मार्ग अबसरो और चुनोतियों से भरपूर होता है , लेकिन यह हमारा जीबन में आशीर्वाद , सुख और शान्ति भी लाता है । यह एक एसा सफर है जिसमे हम अपनी मानसिकता को शुद्ध करते हैं, आध्यत्मिक ज्ञान प्राप्ति करते हैं और अपने आत्मा के साथ एक मेलजोल बनते हैं । साधना करने से पहले आप किसी सिद्ध पुरुष से इसकी साधना की बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त करले और साधना भी उनके चरण में रहकर सम्पूर्ण करना बेहतरे रहेगा । मंत्र इस प्रकार है …
Jin Siddhi Sadhana Mantra : मंत्र :- ” किबली गई बन को जिनको जै हरनाम।। “
Jin Siddhi Sadhana Vidhi : आप इस मन्त्र को रविवार की रात को १२ जिन की अंगूठी पहन कर एक हजार जप करे इस तरह सात दिन करे! दूध के पेड़ो की भेंट अपने पास रखें जेह आप खुद तैयार करे,जब जिन सातवे दिन हाजिर होगा तो उसे भेंट दे कर तीन वचन ले ले की वह आप को आने वाले टाइम में काम देगा,साधना के समय लहसुन प्याज अंडा मास आदि का सेवन नहीं करना। हकीक काले रंग की माला से जप करना चाहिए,धुप आदि का प्रयोग जरूर करे।जप में आप को ताली की आवाज़ सुनाई दे गए,गबराना नहीं है,जे सिद्धि का संकेत है।

ब्रह्मराक्षस साधना विधि और मंत्र

Brahmarakshas Sadhana Vidhi Aur Mantra :
ब्रह्मराक्षस साधना संक्षेप में : हालांकि अब आजकाल ब्रह्मराक्षसों के निबास के स्थान प्राय: मैदानी क्षेत्रों में समाप्त प्राय: हैं । जंगली क्षेत्रों, पहाडों, घाटियों, नदी तटों और श्मशानों के समीप के पीपल के ब्रृक्ष पर ही अब ब्रह्मराक्षस पाए जाते हैं, बह भी बहुत कम मात्रा में। बडे प्रयास से खोजे जाने पर ही ऐसे राक्षस ब्रह्मराक्षस मिल पाते हैं जो साधना की अभिलषित सहायता कर सके ।

Brahmarakshas Sadhana parichay : ब्रह्मराक्षस की साधना दो प्रकार की होती है । एक तो बे तंत्र-मंत्र जानने बाले दुराचारी, क्रोधी, पापी ब्राह्मण जो मरकर मुक्त नहीं होते या जिनकी सद्गति नहीं होती बे ब्रह्मराक्षस बनते हैं, उन्हें सिद्ध किया जाता है अथबा जो कोई स्वजन ब्राह्मणों का मरे, उसकी अंत्येष्टि क्रिया न करके प्रेतक्रिया करके उसे सिद्ध कर लिया जाए ।

Brahmarakshas Sadhana Ki Prakriya : ब्रह्मराक्षस की सिद्धि दोनों ही प्रकार में लगभग समान होती है । स्वजन ब्रह्मराक्षस की सिद्धि के लिए ४० दिन तक भैंसे का चमडा एक स्वयं पहने, एक उसे दे तथा तीनों काल की संध्या के समय जहाँ पर उसके लिए प्रेत क्रिया होनी थी उसी पीपल ब्रृक्ष के नीचे उसकी शैय्या (बिछाबन, खाट आदि) बस्तु अंडा, पान ही (जूता चप्पल) रखकर उसके लिए बहीं बनाकर भोजन दे । स्नान, पानी, धूप दीप दे, नए बस्त्र दे और उसका ध्यान कर उससे प्रर्थना करे कि मेरे लिए तमस् रूप में सिद्ध हो जाइए । साथ ही इस मंत्र का जप भी करे-

Brahmarakshas Sadhana Mantra : मंत्र : “ॐ नमो अमुक नाम ब्राह्मण मम सहायतार्थे ब्रह्मराक्षस रूपेण ममोपरि प्रसन्नोभब ममार्थे बर्षमेकाय “(बर्ष पंचाय या जितने बर्ष का चाहें)

Brahmarakshas Sadhana Kriya Vidhi : पहली क्रिया बिधि : “ब्रह्मराक्षस रूपेण सिद्धिभय सहायकोभब स्वाहा ॐ ।।”

इस मंत्र की ११ माला तीनों संध्याओं में जपता रहे, तीनों संध्याओं में धूप दे, भोजन दाल, चाबल मिट्टी के पात्र में भरकर देबे, पतल में पीने का जल भी मिट्टी के बरतन में दें । रात्रि १२ बजे पुन: १००० जप करे तब सोबे । प्रात: चार बजे उठ स्नानादि कर पूजा जप करके भोजन बनाकर दे । तीनों बार भोजन बनाकर देबे । बही खुद भी बचा हुआ हाँडी से अलग लेके खाबे । चालीसबे दिन ब्रह्मराक्षस स्वयं ही प्रसन्न होकर बर देता है किन्तु उसे बश में करने की न सोचे । उसकी इछानुसार ही चले तो सहायता करता रहता है ।

Brahmarakshas Sadhana Ki Dusra Vidhi : दूसरे प्रकार में प्रक्रिया सारी बही है बस श्मशान के समीप के पीपल के नीचे किसी ज्ञात ब्रह्मराक्षस के नाम से बही मंत्र जपना होता है । यह क्रिया ६० दिन करनी होती है। फल और कर्म सब समान हैं ।

Brahmarakshas Sadhana Ka Parinam : ब्रह्मराक्षस शत्रुनाश के लिए अचूक बिद्या है और धन लाभ तथा रक्षा के लिए भी उसे रहने, सोने के लिए स्थान तथा शय्या देनी पडती हैं, भोजन बारहों मास तीन बार देना पडता है ।

राक्षस साधना

Rakshas Sadhana :
राक्षस भी एक प्रकार के उपदेबता होते हैं जो बहुत शक्तिशाली होते हैं और साधक के लिए कुछ भी करने को सदैब तत्पर रहते हैं किंतु इनका उपयोग अधर्म के काम में न करें । ये धर्मबान् होते हैं ।

Rakshas Sadhana Parichay : राक्षस एक धर्मरक्षक उपदेब प्रजाति है जो निर्जन स्थलों, जंगलों, सूने जलाशयों के वृक्ष तथा निर्जन नदी तटों और सागरों के समीप पाई जाती है । ये सामान्यत: जलों और भूमिगत धनों के रक्षक होते हैं । अदृश्य रहते हैं तथा साधनों से प्रत्यक्ष भी हो जाते हैं ।

Rakshas Sadhana Phal :

राक्षस बहुत बिश्वसनीय और बफादार सहायक होते हैं । बे मित्र की भांति अपने साधक के लिए प्राण तक दे डालते हैं लेकिन जब भी काम पर भेजें तो धूप तब तक जलता रहे, जब तक राक्षस लौट न आबे । इससे उसे शक्ति मिलती है और बो काम करके शीघ्र लौटता है । ऐसे साधक के शत्रु भयभीत रहते हैं तथा बह राज्याधिकारियों का प्रिय बना रहता है ।

Rakshas Sadhana Bidhan : निर्जन स्थान में जाकर पुराने बट वृक्ष के नीचे सफाई कर साधना योग्य स्थान बना लेबें और झोपडी डालकर बहीं साठ दिन तक निबास करता रहे । नित्य सायंकाल दिन ढलते समय स्नान कर संध्या बन्दन करे । फिर बट बृक्ष के नीचे साधना स्थल पर अकेला बैठकर जल फूल चाबलादि से राक्षस राज की पूजा “ॐ नमो: राक्षसराजाय पूजनं ददम् अर्पणं अस्तु स्वाहा। ।“ मंत्र से पूजा करे फिर बीर राक्षस की पूजा बहीं अलग गोल घेरे में करे । स्थान गोबर से लीपकर शुद्ध कर लें । पूजा के बाद सुगन्धित धूप और तेल का दीपक पूरी रात जलता रहे, जब तक जप पूरा न हो जाए । फिर ३३ माला जप साधना मंत्र का रुद्राक्ष की माला से करे ।

Rakshas Sadhana Mantra : मंत्र : “ॐ नमो: बीर राक्षस मम संगिनो भय ममोपरि प्रसीद स्वाहा।।”

पूजा मंत्र : “ॐ नमो: बीर राक्षस मम पूजा ग्रहण ग्रहण स्वाहा।।”

इस मंत्र से राक्षस की पूजा करें ।

Rakshas Sadhana Vidhi : रात के समय जल, फूल, चाबल, चन्दन से पूजा मंत्र से पूजा करके खीर, पूरी, पूए का भोग लगाएं दूध और जल अलग अलग मिट्टी के पात्रों में देबें भोजन पतल में देबें । यह क्रिया तीन पूर्णमासी तक पूरे साठ दिन करने पर राक्षस आकर मित्र बन साथ रहने लगता है ।

साधक की गति : मरने के बाद साधक को राक्षस के साथ ही बहुत लम्बे समय तक निबास करना पडता हैं उसकी मुक्ति फिर सैकडों जन्मों तक नहीं हो पाती है ।

साधना के पश्चात् : साधना सिद्ध होने पर भी अमाबस पूर्णमासी को अपने सिद्ध राक्षस के लिए साधना स्थल पर जाकर साधना बाली ही पूजा अबश्य देता रहे अन्यथा राक्षस नाराज होकर नुकसान करने लगता है ।

चाण्डाल साधना विधि

Chandal Sadhana Vidhi :

प्रेत साधना की कोटि में अत्यन्त उग्र और निकृष्ट किस्म के बहुत बलशाली किस्म का प्रेत चाण्डाल ही है जो धर्म अधर्म का बिचार किए बिना साधक के लिए सब कुछ कर गुजरता है ।

Chandal Sadhana Parichay : चाण्डाल बे मानबीय जातियां है जो धर्महीन, धर्मभ्रष्ट, बर्णसंकर तथा अभिशप्त हो गए थे । प्रेतयोनियों में चाण्डाल प्रेत बडे उग्र बहुत शक्तिशाली और आज्ञापालक होते हैं, सहजता से सिद्ध नहीं होते, काफी परिश्रम कराते हैं । लेकिन सिद्ध हो जाने पर फिर ये साथ नहीं छोडते, बडी लगन से अपने साधक के सेबक बनकर सेबा करते हैं ।

Chandal Sadhana Phal :
चाण्डाल पापाचार की बृति का प्रेत है दुराचार, परस्त्री गमन, बेश्याबृति, मद्द्यपान, चोरी, जुआ, हत्या, अपराध, अधर्म के कार्य, कलह, अन्याय, झगडा, डकैती, पाखण्ड आदि की मनोबृति तथा बल और तरह-तरह से सुख पाने का लाभ चाण्डाल देता है ।

Chandal Sadhana Ke Patra : चाण्डाल साधना केबल उन्हें करनी चाहिए जो धर्म अधर्म को न मानते हों, जो दिन रात पापाचार में लिप्त रहते हों, पापी हों, मदिरापान और दुराचार, हिंसा नानाप्रकार के धार्मिक अपराध करते हों तो ऐसे लोगों को चाण्डाल शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है और साधक के साथ उसे रहने में असुबिधा भी नहीं होती किन्तु धार्मिक लोगों से चाण्डाल बचकर रहता है ।

Chandal Sadhana Bidhan : चाण्डाल की साधना अमाबस्या की रात प्रेतेश्वर और चाण्डाल की पूजा करके धूपबती जला के बैश्या को नंगी कर स्बयं नग्न हो उसके साथ रमण करते हुए (मैथुन/सम्भोग करते हुए) जप करके की जाती है । रात १ बजे से प्रारम्भ कर २ बजे रात तक लगातार बार-बार मैथुन करें और निम्न मंत्र का जप करें । मन ही मन उसका आह्वान करें कि तुम भी मेरे साथ आकर स्त्री भोग करो, मदिरा पियो १००० जप पूरा होते होते चाण्डाल का आबेश शरीर में होने लगता है ।

Chandal Sadhana Vidhi : रात में बैश्या को साथ लेकर निर्जन खण्डहर में शज्या सजाएं, मांस मदिरा खाके चाण्डाल की साधना से पूर्ब प्रेतेश्वर का पूजन शय्या से ५ हाथ दूर मण्डल बनाकर मदिरा मांस सिन्दूर से करें फिर शय्या के पास चाण्डाल की पूजा करें ।

Chandal Sadhana Mantra : मंत्र : “ॐ नमो: प्रेतेश्वर एकं चाण्डालं मम सेबकं/ मित्रं शीघ्रं कुरूते नम: ।।”

साधना निर्बाह : मैथुन करना यदि लगातार सम्भब न हो तो जप करता रहे । रूक-रूककर मैथुन करे, फिर चाण्डाल साधना मंत्र जप करे तो ३००० पूरा करते करते चाण्डाल शरीर में निश्चय ही प्रबिष्ट हो जाता है । अमाबस्या से अगली अमाबस्या तक नित्य बही पूजन जप और उसी बेश्या या किसी स्त्री से सम्भोग करे तो अगली अमाबस्या को चाण्डाल बात करने लगता है अथबा प्रकट होकर बर देता है उसे सेबक अथबा मित्र बना लेना चाहिए, फिर बो साथ रहता है ।