Bhoot Pret Sadhana
मसानी उच्चाटन मंत्र साधना

Masani Uchchatan Mantra Sadhana :
मंत्र : “कालीननागिन। शिर जटा,ब्रह्मा खोपड़ी हाथ ।मरी
मसानी न फिरे , गुरु हमारे साथ ।दुहाई ईश्वर महादेब –
गौरा पार्बती की ।दुहाई नैना योगिनी की ।।”
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Masani Uchchatan Mantra Sadhana Vidhi :
इस मसानी उच्चाटन मंत्र को ग्रहणकाल में लगातार जपते हुए सिद्ध करके फिर प्रयोग करें । जो ब्यक्ति इस रोग का शिकार होता है बह प्राय: गुमसुम रहता है तथा दिन प्रतिदिन बह सूखता चला जाता है । बह भयानक प्रयोग प्राय: स्त्रियों के प्रति किया करते हैं । आपके पास जब इस रोग से पीड़ित ब्यक्ति आए तब आप गाय के उपले की राख को कपडे से छानकर रख लें तथा इस मंत्र से इक्कीस बार अभिमंत्रित करके मसानी के रोगी को खिला दें तथा पेट पर लगा दें, ऐसा तीन बार करने से मसानी का उच्चाटन हो जाता है ।
प्रेतनी साधना मंत्र

Pretni Sadhana Mantra :
इसको डाकिनी साधना भी कहा जाता है । यह देबी छिन्मस्ता की साधना का ही एक अपभ्रश ग्रामीण रूप है ।
मंत्र : ॐ स्यार की सबासिनी ।
समन्दर पान धाई ।
आब, बैठी हो तो उठकर आओ ।
ठाडी हो तो ठाडी आओ ।
जलती आ ।
उछलती आ ।
न आये डाकिनी तो देबी छिन्मस्ता की आन ।
शव्द सांचा पिंड कांचा फुरे मंत्र ईश्वरो बाचा ।।
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यज्ञ सामग्री : मांस , मदिरा, पशुचर्बी, लाल आन ,पीली सरसों
Pretni Sadhana Mantra Vidhi :
किसी श्मशान भूमि में या अपने ही निर्जन आबास में /आबास की छत पर खुले में अर्धरात्रि के समय नग्न अबस्था में उतर दिशा की तरफ मुख करके बैठ जायें । चर्बी का दीपक जलाकर मदिरा –मांस का हब्य तैयार करें तथा बबूल की लकड़ी को जलाकर उसमें थोडा –थोडा डालते हुए एक हजार एक सौ अटठासी बार मंत्र का जप करें । फिर देबी छिन्मस्ता को प्रणाम करके पीली सरसों पर यही मंत्र (Pretni Sadhana Mantra) एक सौ आठ बार पढ़ना चाहिए और उस सरसों को चारो तरफ बिखरे दें ,तो आस-पास की सभी प्रेतनियां दौडी आ जायेंगी । उन्हें मांस –मदिरा अर्पित करें और बचनबद्ध कर लें ।
प्रेतनी साधना सिद्धि

Pretni Sadhana Siddhi :
मंत्र : “ॐ श्रीं बं मुं भुतेश्वरी मम् बश्य कुरु कुरु स्वाहा ।”
Pretni Sadhana Siddhi Vidhi :
अपनी चौका में बचा हुआ जल मूल नक्षत्र के समय किसी निर्जन स्थान में खड़े बबूल के बृक्ष की जड़ में प्रतिदिन एक हजार एक सौ अठासी बार मंत्र जाप करके डालें । चालीस दिन निरंतर जल डालें तथा इकतालिसबें दिन बबूल की जड़ में जाकर एक हजार एक सौ अठासी मंत्रो का पाठ करें, परन्तु जल न डाले । प्रेत प्रकट होकर जल मांगने लगेगा । उससे बचन लेकर की बोले बह प्रत्येक आज्ञा का पालन करेगा , तब जाकर जल डालें। यह जल निरंतर प्रतिदिन डालना होता है । प्रेत आपकी प्रत्येक आज्ञा पालन करेगा ।
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Pretni Sadhana Mantra 2
मंत्र : “ॐ नमो कमाख्याये सर्बसिद्धि दाये कुरु कुरु स्वाहा ।”
Pretni Sadhana Vidhi :
इस मंत्र का जप प्रतिदिन अर्द्धरात्री में एक हजार एक सौ अठासी बार करे । इस समय आपका पूर्ण ध्यान देबी पर केन्द्रित होना चाहिये और बेल के पत्तों तथा तेल जौ आदि का हब्य रक्त चन्दन मिलाकर आहुति देते रहें । यह मंत्र इक्कीस दिन में सिद्ध होता है ।
चेताबनी :
भारतीय संस्कृति में मंत्र तंत्र यन्त्र साधना का बिशेष महत्व है । परन्तु यदि किसी साधक यंहा दी गयी साधना के प्रयोग में बिधिबत, बस्तुगत अशुद्धता अथबा त्रुटी के कारण किसी भी प्रकार की कलेश्जनक हानि होती है, अथबा कोई अनिष्ट होता है, तो इसका उत्तरदायित्व स्वयं उसी का होगा । उसके लिए उत्तरदायी हम नहीं होंगे ।अत: कोई भी प्रयोग योग्य ब्यक्ति या जानकरी बिद्वान से ही करे। यंहा हम सिर्फ जानकारी के लिए दिया हुं ।
अपराडाकिनी साधना

Apara Dakini Sadhana
अपराडाकिनी भी बिध्वसं की देबी हैं। यह बह शक्ति है, जो उर्जा सर्किट में प्रतिक्षण बिध्वसं करके स्थूलता को तोड़ती रहती है । इससे भी सम्पूर्ण क्रियायें चलती हैं और लक्ष्मी तथा बगलामुखी देबियों की तरंगे इससे नबीन निर्माण करती है। यह रूद्र यानी आज्ञाचक्र की तरंगों से क्रिया करती है , इसलिए इनको काल भैरब की शक्ति कहा जाता है।
यज्ञ सामग्री :
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मांस , मदिरा ,खोपड़ी ,पुष्प ,लाल चन्दन ,कपूर ,कपड़ा ,घृत ,दीपक ,लाल चन्दन आदि
दिशा : दक्षिण – पशिचम कोण
स्थान : श्मशान भूमि या निर्जन बन
समय : अर्द्धरात्रि
Apara Dakini Sadhana Mantra :
मंत्र : ॐ क्रीं क्लीं क्लीं ह्रीं श्रीं फट स्वाहा ।।
Apara Dakini Sadhana Vidhi :
डाकिनी साधना के समान । खोपड़ी के आज्ञाचक्र पर सिंदुर की दीपशिखा बनायें। पूजा अर्चना करें । पूजा –अर्चना के पश्चात्त् आज्ञाचक्र पर सिन्दूर का टिका लगायें ।
ध्यान लगायें और मूलमंत्र का जाप करें। एक सौ आठ मंत्र बढ़ायें । शेष सभी बाते डाकिनी साधना के सामान ।
चेताबनी : भारतीय संस्कृति में मंत्र तंत्र यन्त्र साधना का बिशेष महत्व है । परन्तु यदि किसी साधक यंहा दी गयी अपराडाकिनी साधना के प्रयोग में बिधिबत, बस्तुगत अशुद्धता अथबा त्रुटी के कारण किसी भी प्रकार की कलेश्जनक हानि होती है, अथबा कोई अनिष्ट होता है, तो इसका उत्तरदायित्व स्वयं उसी का होगा । उसके लिए उत्तरदायी हम नहीं होंगे । अत: कोई भी प्रयोग योग्य ब्यक्ति या जानकरी बिद्वान से ही करे । यंहा हम सिर्फ जानकारी के लिए दिया हुं ।
भूत प्रेत बाधा या औपारा निबारण
