Bhairav Sadhana

जल के ऊपर चलने का मंत्र

Jal Ke Upar Chalne Ka Mantra :
मंत्र : “ॐ नमो काला भैरू कालिका का पूत, पगों खड़ाऊ हाथ गुरु जी चलो मन प्रभात । आक तू अग्र सूं भरा तेरो न्योतो , मैं जहाँ करुँ पूजौ दिनसात । जो तू मन चिता कार्य कर दे मोह कुम कुम कस्तूरी केशर से पूजा करुँ तुम्हारी । मोर मन चीत्यो मेरा कार्य करहुं । गुरु गोरख नाथ की बाचा फुरे । शव्द साँचा पिण्ड काँचा । फुरो मंत्र ईश्वरो बाचा ।।”

Jal Ke Upar Chalne Ka Mantra Vidhi :

इस जल के ऊपर चलने का मंत्र (Jal Ke Upar Chalne Ka Mantra) की साधना इकतालिस दिनों की है ,श्री भैरब बिषयक नियमो का पालन करते हुए एक माला नित्य मंत्र जपें ब इक्तालिसबें दिन दशांश हबन करें । फिर प्रयोग के समय साधक शुद्ध होकर शनि पुष्या योग में सफ़ेद आक को आमंत्रित कर प्रातः रबिबार को घर लें आये । फिर दूध से, धोकर छाया में सुखा लें । उसका खडाऊ बनाकर पांब में पहने तो पानी में डूबे नहीं ।

नोट : आक के पेड़ को लोहे से न खोदे ।तथा यह सिद्धि सिर्फ पूर्ण ब्रह्मचर्यं ब्यक्ति ही करें। यह गृहस्थ ब्यक्ति को फलीभूत नहीं होगा ।

सर्बबाधा निबारक भैरब मंत्र

Sarvbadha Nibaarak Bhairav Mantra :
आप सबको कामख्या तंत्र ज्योतिष पर स्वागत है । आज के दिन कुछ ख़ास है , श्राबाण सोमबार पर आप सबके लिए कुछ ख़ास मंत्र की बारे में बताने जा रहा हूँ , जिसको आप अपना लाइफ में सदुपयोग करके जीबन में आने बाले दुःख कष्ट को लाघब कर के अपना चलापथ को कुसुमित कर सकते हो । आज में यंहा सर्बबाधा निबारक भैरब मंत्र और बिधि बिधान की बारे में डिटेल्स में बताने जा रहा हूँ ।
यह मंत्र का सबसे बड़ा खासियत ये है ….जो आदमी इसको नित्य धूप दीप जलाकर ह्रदय से १०८ बार पाठ करता है , कुछ ही दिन में उसका सोया हुआ भाग्य खोलने लगता है और जिस घर पर यह मंत्र पाठ होता है वंहा नकारात्मक शक्ति नहीं रहती है ।

JSarvbadha Nibaarak Bhairav Mantra :

मंत्र : “ॐ ह्रीं बटुक भैरब बालक केश, भगबान बेश, सब आपद को काल भक्त जनहट को पाल , करधरे शिरक़पाल दूजे करबाल त्रिशक्ति देबी को बाल भक्तजन मानस को भाल तैतीस कोटी मंत्र को जाल प्रत्यक्ष बटुक भैरब जानिये मेरी भक्ति गुरु की शक्ति । फुरो मंत्र इश्वरी बाचा ।”

Sarvbadha Nibaarak Bhairav Mantra Vidhi : होली , ग्रहण या दीपावली की रात्रि में उडद के बड़े बनाकर भैरब को भोग लगाबे । गुग्गल धुपादि देकर इस मंत्र की १० मालाए जपे तो सभी प्रकार की बाधाओ का निबारण होता है । भूत प्रेत पिशाचादि आत्माये बहां से भाग जाति है । साधक की मनोकामना पूर्ण होती है शत्रुओ का नाश होता है ।

ऋण मुक्ति भैरव साधना

Rin Mukti Bhairav Sadhana :
हर व्यक्ति के जीवन में ऋण एक अभिशाप है । एक वार व्यक्ति इस में फस गया तो धस्ता चला जाता है। कर्ज की चिंता धीरे धीरे मनुष्य पे हावी होती चली जाती है जिस का असर स्वस्थ पे होना भी स्वाभिक है। प्रत्येक मनुष्य के अपने कुंडली में बहुत सारा ऋण होता है जिस में पित्र ऋण ,मार्त ऋण, भूमि ऋण ,गुरु ऋण और भ्राता ऋण और ऋण जिसे ग्रह ऋण भी कहते है । संसारी ऋण (कर्ज )व्यक्ति की कमर तोड़ देता है मगर हजार परयत्न के बाद भी आदमी छुटकारा नहीं पाता तो ख़ुदकुशी तक सोच लेता है। यहाँ एक बहुत ही सरल अनुभूत भैरब साधना प्रयोग दे रहा हु आप निश्चित हो कर करे बहुत जल्द आप इस अभिशाप से मुक्ति पा लेंगे।

Rin Mukti Bhairav Sadhana Vidhi
शुभ दिन जिस दिन रवि पुष्य योग हो जा रवि वार हस्त नक्षत्र हो शूकल पक्ष हो तो इस भैरव साधना (Rin Mukti Bhairav Sadhana) को शुरू करे वस्त्र – लाल रंग की धोती पहन सकते है। माला – काले हकीक की ले। दिशा –दक्षिण। सामग्री – भैरव यन्त्र जा चित्र और हकीक माला काले रंग की। मंत्र संख्या – 12 माला 21 दिन करना है ।

पहले गुरु पूजन कर आज्ञा ले और फिर श्री गणेश जी का पंचौपचार पूजन करे तद पहश्चांत संकल्प ले । अपने जीवन में स्मस्थ ऋण मुक्ति के लिए यह भैरव साधना कर रहा हु हे भैरव देव मुझे ऋण मुक्ति दे । जमीन पे थोरा रेत विशा के उस उपर कुक्म से तिकोण बनाए उस में एक पलेट में स्वास्तिक लिख कर उस पे लाल रंग का फूल रखे उस पे भैरव यन्त्र की स्थापना करे उस यन्त्र का जा चित्र का पंचौपचार से पूजन करे तेल का दिया लगाए और भोग के लिए गुड रखे या लड्डू भी रख सकते है । मन को स्थिर रखते हुये मन ही मन ऋण मुक्ति के लिए पार्थना करे और ऋण मुक्ति भैरव साधना मंत्र (Rin Mukti Bhairav Sadhana Mantra) जप शुरू करे ।12 माला जप रोज करे इस प्रकार 21 दिन करे भैरव साधना के बाद माला यन्त्र और जो पूजन किया है वोह समान जल प्रवाह कर दे साधना के दोरान रवि वार या मंगल वार को छोटे बच्चो को मीठा भोजन आदि जरूर कराये । शीघ्र ही कर्ज से मुक्ति मिलेगी और कारोबार में प्रगति भी होगी।

Rin Mukti Bhairav Sadhana Mantra : मंत्र : “ॐ ऐं क्लीम ह्रीं भम भैरवाये मम ऋणविमोचनाये महां महा धन प्रदाय क्लीम स्वाहा ।।”

काल भैरव मंत्र साधना विधि

Kaal Bhairav Mantra Sadhana Vidhi :
काल भैरब मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) साधना विधि एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमय बिधि है जो ब्यक्ति को अपने उदेश्यों और कार्यों में सफलता प्राप्त करने केलिए मार्गदर्शन करती है ।काल भैरब , भगबान शिब के एक अद्दितीय स्वरुप के रूप में पूजा जाते हैं और उनकी साधना से ब्यक्ति अपने जीबन में प्रगट बदलाब और सफलता प्राप्त कर सकता है ।
कार्य सिद्ध मंत्र साधना द्वारा ब्यक्ति अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक हो सकता है और अपने जीबन के बिभिन्न क्षेत्रों में सशक्त बन सकता है । इस साधना में काल भैरव मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) का बिशेष महत्व है ,जिन्हें सही तरीके से पढ़ा जाता है ताकि उनकी शक्ति पूरी तरह से अनुभूत हो सके।
साधना का प्रारम्भ करने से पहले ,ब्यक्ति को जोग्य गुरु का चयन करना चाहिए , जो उन्हें इस साधना में मार्गदर्शन कर सकते है । सही तरीके से ध्यान ,काल भैरव मंत्र जप और पूजा के माध्यम से ब्यक्ति काल भैरब के साथ साक्षातकार करता है और उनकी कृपा से सर्बाधिक फल प्राप्त कर सकता है ।
ध्यान, आध्यात्मिकता और साधना की माध्यम से ब्यक्ति काल भैरब मंत्र साधना (Kaal Bhairav Mantra) के माध्यम से अपने जीबन को प्रशांत , सफल और पूर्ण बना सकता है ।।

Kaal Bhairav Mantra :
मंत्र : “ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ गुरु ॐ-कार ! ॐ गुरु भु-मसान, ॐ गुरु सत्य गुरु, सत्य नाम काल भैरव कामरु जटा चार पहर खोले चोपटा, बैठे नगर में सुमरो तोय दृष्टि बाँध दे सबकी । मोय हनुमान बसे हथेली । भैरव बसे कपाल । नरसिंह जी की मोहिनी मोहे सकल संसार । भूत मोहूँ, प्रेत मोहूँ, जिन्द मोहूँ, मसान मोहूँ, घर का मोहूँ, बाहर का मोहूँ, बम-रक्कस मोहूँ, कोढ़ा मोहूँ, अघोरी मोहूँ, दूती मोहूँ, दुमनी मोहूँ, नगर मोहूँ, घेरा मोहूँ, जादू-टोना मोहूँ, डंकणी मोहूँ, संकणी मोहूँ, रात का बटोही मोहूँ, पनघट की पनिहारी मोहूँ, इन्द्र का इन्द्रासन मोहूँ, गद्दी बैठा राजा मोहूँ, गद्दी बैठा बणिया मोहूँ, आसन बैठा योगी मोहूँ, और को देखे जले-भुने मोय देखके पायन परे। जो कोई काटे मेरा वाचा अंधा कर, लूला कर, सिड़ी वोरा कर, अग्नि में जलाय दे, धरी को बताय दे, गढ़ी बताय दे, हाथ को बताय दे, गाँव को बताय दे, खोए को मिलाए दे, रुठे को मनाय दे, दुष्ट को सताय दे, मित्रों को बढ़ाए दे । वाचा छोड़ कुवाचा चले, माता क चोंखा दूध हराम करे । हनुमान की आण, गुरुन को प्रणाम । ब्रह्मा-विष्णु साख भरे, उनको भी सलाम । लोना चमारी की आण, माता गौरा पारवती महादेव जी की आण । गुरु गोरखनाथ की आण, सीता-रामचन्द्र की आण । मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति । गुरु के वचन से चले, तो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।”

Kaal Bhairav Mantra Sadhna Vidhi : रविवार को पीपल के नीचे अर्द्धरात्रि के समय जाना चाहिए, इस साधना में भयभीत हुए बिना साथ में उत्तम गुग्गुल, सिन्दूर, शुद्ध केसर, लौंग, शक्कर, पञ्चमेवा, शराब, सिन्दूर लपेटा नारियल, सवा गज लाल कपड़ा, आसन के लिये, चन्दन का बुरादा एवं लाल लूंगी आदि वस्तुएँ उक्त स्थान पर ले जानी हैं । लाल लूंगी अधोवस्त्र पहन कर पीपल के नीचे चौका लगाकर पूजा करें, चौका लगाने के बारे में कहा गया है, उसका अर्थ यह है कि पीली मिट्टी से चौके लगाओ । चार चौकियाँ अलग-अलग बनानी होती हैं । पहली धूनी गुरु की, फिर हनुमान की, फिर भैरव की, फिर नरसिंह की । यह चारों चौकों में कायम करो । आग रखकर चारों में हवन करें । गुरु की पूजा में गुग्गल नहीं डाले । नरसिंह की धूनी में नाहरी के फूल एवं शराब और भैरव की धूनी में केवल शराब डालें यही विधि होती है चौकों को लगाने की ।

धूप देकर सब सामान देव को अर्पित करे । साथ में तलवार और लालटेन या प्रकाश की वस्तु रखनी चाहिए । प्रतिदिन १०८ बार ४१ दिन तक काल भैरव मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) जप करें । यदि कोई भयानक चीज दिखाई पड़े तो डरना नहीं चाहिए । काल भैरव मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) सिद्ध होने पर जब भी उपयोग में लाना हो, तब आग पर धूप डालकर तीन बार काल भैरव मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) पढ़ने से कार्य सिद्ध होंगे लेकिन प्रयोग को एकांत और स्थान पर करें ।मन्त्र का अनुष्ठान शनि या रविवार से प्रारम्भ करना चाहिए । एक पत्थर का तीन कोने वाला टुकड़ा लेकर उसे एकान्त में स्थापित करें । उसके ऊपर तेल-सिन्दूर का लेप करें यह भैरव जी हैं । पान और नारियल भेंट में चढ़ाए । नित्य सरसों के तेल का दीपक जलाए । दीपक अखण्ड जलते रहना चाहिए।

शत्रु-पीड़ा निबारक अचूक मंत्र

Shatru Pida Nivarak Achuk Mantra :
यह प्रमुख शत्रु-पीड़ा मंत्र भैरब जी की साधना से सम्बन्धित है , अत: साधक को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए भैरब जी के अनुष्ठानिक नियमों का पालन करते हुए निष्ठां पुर्बक भक्तिभाब से इस साधना को संपन्न करना चाहिए ! उसे हर प्रकार से सात्विक बिचारों में लीन और भैरब चिंतन करते रहना चाहिए ! आज के समय में यह मंत्र शत्रु नाश निमंते बिशेष फलप्रद साबित हुआ है !

Shatru Pida Nivarak Mantra :
मंत्र : “ओम ह्रीं बटुक-भैरब ! बालक केश ! भग्बान बेश !सब आपद को काल !भक्त-जन हट को पाल ! कर-धरे शिर-कपाल !दुजे करबाल !त्रि-शक्ति देवी को बाल !भक्त-जन-मानस को भाल !तैतीस कोटि मंत्र को जाल ! प्रत्ख्य बटुक-भैरब जानिये ! मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति ! फुरो मंत्र-इश्वरो बाचा !”

Shatru Pida Mantra Vidhan : उक्त शत्रु-पीड़ा मंत्र को सिद्ध करने हेतु किसी भि ग्रहण, होली की रत्रि , अमाबस्या की रात्र अथबा गंगा-स्नान (दशहरा) के दिन उडद के बडों क नैवेद्य बनाकर बटुक भैरब को भोग दे ! बटुक भैरब का सामान्य पूजा अर्चना करने के बाद गुगुल की धूप देकर इस मंत्र की दस माला जप करे ! पूजन के समय शुद्ध देशी घी अथबा सोरोस का तेल (कची घानी के तेल ) के दीपक जलाये ! फिर काले कम्बल के आसन पर बैठकर 10 माला उक्त मंत्र का जप करे !
इस प्रक्रिया से शत्रु-पीड़ा मंत्र सिद्ध हो जाता है ! प्रयोग के समय, अपनी कामना पुर्ति, भुत-प्रेत पिसाच आदि कि निब्रुति, शत्रु -भय का निबारण करने हेतु भगबान बटुक भैरब का ध्यान करते हुए उक्त मंत्र का 108 की संख्या मे जप करे ! इस अचूक प्रयोग से पूर्ब मे बर्णित कार्यो की सिद्धि निश्चित रुप से हो जाती है !