Apsara Sadhana
अप्सराओं को प्रसन्न करने का मंत्र उपाय

Apsaraon Ko Prasann Karne Ka Mantra Upay :
आपने अप्सराओं कि प्रसन्नता के उपायों के बारे में सुना होंगे ,लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण क्या हैं? सात्विक जीवनशैली और मन्त्रों (Apsaraon Ko Prasann Karne Ka Mantra) का उपयोग अपसराओं को प्रसन्न कर सकता है। आप अप्सराओं से अधिक समर्पित और संयमित रहेंगे, तो वे आपको अपने पास आकर्षित करेंगे। हमने इस लेख में अप्सराओं को प्रसन्न करने के लिए प्रमुख मंत्र उपाय (Apsaraon Ko Prasann Karne Ka Mantra) की बारे में चर्चा करेंगे । इन उपायों (Apsaraon Ko Prasann Karne Ka Mantra) का पालन करने से आप भी अप्सराओं को प्रसन्न कर सकते हैं।
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अप्सराओं के प्रसन्न होने के प्रमुख उपाय एक साधना का ही रुप है । वास्तव में साधना एक अनुशासित आध्यात्मिक अभ्यास होता है । अप्सरा साधना के लिए जपमाला, इत्र, मोगरे के फूल की माला, दो गुलाब, मिठाई और अप्सरा यंत्र की आवश्यकता होती है ।
यंत्र का मतलब विशेष देवीय अंक, अक्षर या चित्रों का किसी कागज, धातु, अष्टधातु के पत्र, पत्थर या सोने के पत्र पर लिखा जाना या उकेरा जाना। अप्सरा यंत्र किसी दक्ष तांत्रिक के पास उपलब्ध हो सकता है।
अप्सरा साधना किसी भी शुक्रवार की रात से शुरु की जा सकती है । सबसे पहले स्नान करें । पिताम्बरी यानि पीले वस्त्र पहनें । अप्सरा यंत्र पर गंध, पुष्प से पूजा करें । पांच घी के दीपक जलाएं। इसके बाद १०८ मनकों की अप्सरा जपमाला लेकर अप्सरा मंत्र (Apsaraon Ko Prasann Karne Ka Mantra) बोलकर प्रतिदिन १०१ माला फेरें । यह साधना ८० दिन तक करना चाहिए ।
Apsaraon Ko Prasann Karne Ka Mantra :
अप्सरा मंत्र है – {{ ओम रं क्षं रंभे आगच्छ आगच्छ क्षं रं ओम नम:}}
नियम संयम से साधना करने पर अप्सरा अपने पूर्ण सौंदर्य और स्वरुप में प्रगट होती है । उस समय साधक मोगरे के फूल की माला और मिठाई भेंट करे । वह उपहार में साधक को अपने परिधान भेंट करती है । उस समय साधक को चाहिए कि वह प्रार्थना करे कि जब वह चाहे अप्सरा प्रसन्न होकर प्रगट हो ।
दूसरा ध्यान देने बाले प्रमुख बात है , जो साधना की स्तर पर यह पालना अति जरुरी होता है :
पवित्रता का पालन करना और सात्विक जीवनशैली अपनाना: आप अप्सराओं को प्रसन्न कर सकते हैं अगर आप अपने व्यवहार में शुद्धता और सात्विकता बनाए रखेंगे तो ।
ध्यान और मेधा का अभ्यास जरुर करें: ध्यान और मेधा बढ़ाने वाले अभ्यास आपको अप्सराओं की कृपा मिल ने सहाय हो सकती है ।
संगीत का आनंद लें: महिलाओं को संगीत और नृत्य से बहुत प्यार होता है, इसलिए इसे अपने जीवन का एक हिस्सा बनाएं ।
योग्य व्यवहार करें: आप अप्सराओं की दृष्टि में आ सकते हैं अगर आप सभी जीवों को सम्मान और श्रद्धा से व्यवहार करेंगे तो ।
ध्यान और पूजा करना सीखें: अप्सराओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा और ध्यान की जरूरत होती है ।
दान करें: दान करने से आप अप्सराओं के आदर्श में आ सकते हैं और उनको खुश करने में एक कदम आगे बढ़ सकते हो ।
भगवान और देवताओं को पूजें: जब आप देवताओं और भगवानों का पूजन करते हैं, आप अप्सराओं के प्रति अपनी भक्ति को बढ़ा सकते हैं ।
जाने अप्सरा प्रत्यक्षीकरण साधना कैसे करें ?

Apsara Pratyakshikaran Sadhana Kaise Kare ?
अप्सरा को सिद्ध करना कोई आसान कार्य नहीं है । मगर अप्सरा को सिद्ध करना भी बहुत आसान है । अप्सरा का अर्थ होता है कि सोलह वर्ष की चिर यौवन वती और वो निरंतर आपके सामने प्रत्यक्ष हो । और निरंतर जो भी आप उसे आज्ञा देंगे वो उस आज्ञा का भी पालन करेगी, सिर्फ पांच वर्षों तक । उसके बाद में इस मंत्र को वापिस सिद्ध करना पड़ेगा । अप्सरा को बुलाने के लिए 1 माला मंत्र जाप करने की जरूरत है । तो देर किस बात की जाने अप्सरा प्रत्यक्षीकरण साधना (Apsara Pratyakshikaran Sadhana) के बारे में .. साधना करने से पहले आप किसी सिद्ध गुरु की देख रेख में अप्सरा प्रत्यक्षीकरण (Apsara Pratyakshikaran Sadhana) करना चाहिए ।
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Apsara Pratyakshikaran Sadhana Ke Niyam
• कोई भी वस्त्र डाल कर अप्सरा प्रत्यक्षीकरण साधना (Apsara Pratyakshikaran Sadhana) कर सकते हैं । जरूरी नहीं है कि आप धोती और कुर्ता ही पहने ।
• अप्सरा प्रत्यक्षीकरण साधना (Apsara Pratyakshikaran Sadhana) में आप किसी भी प्रकार के वस्त्र पहन सकते हैं । वस्त्र शुध्द और दिव्य हों । पहनें हुए वस्त्र दुबारा नहीं पहन सकते ।
• गुलाब के पुष्प सामने रखेंगे ।
• यह रात्रि कालीन साधना है ।
• कमरे में दूसरे का प्रवेश वर्जित है ।
• अप्सरा माला से मंत्र का जाप करना है और माला को गले में धारण किए रहेंगे ।
• आप जो भी चाहें भोजन कर सकते हैं । मीट और मांस नहीं करेंगे ।
• रात्रि का मतलब है 9 बजे से 5 बजे तक ।
• शुक्रवार को प्रारंभ करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा ।
1. शशि अप्सरा साधना- इनकी साधना दुर्जट पर्वत शिखर पर होती है । 1 माह पूर्ण जप करना होता है। ये दिव्य रसायन प्रदान करती हैं जिससे व्यक्ति बली, निरोग व पूर्ण आयु प्राप्त करता है ।
मंत्र- ‘ॐ श्री शशि देव्या मा आगच्छागच्छ स्वाहा।’
2. तिलोत्तमा अप्सरा साधना- पर्वत शिखर पर साधन होता है तथा राज्य प्रदान करती है ।
मंत्र- ‘ॐ श्री तिलोत्तमे आगच्छागच्छ स्वाहा।’
3. कांचन माला अप्सरा साधना- नदी के संगम पर साधना करना पड़ती है तथा सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं ।
मंत्र- ‘ॐ श्री कांचन माले आगच्छागच्छ स्वाहा।’
4. कुंडला हारिणी अप्सरा साधना- धन व रसायन प्रदान करती हैं। साधना पर्वत शिखर पर की जाती है ।
मंत्र- ‘ॐ श्री ह्रीं कुंडला हारिणी आगच्छागच्छ स्वाहा।’
5. रत्नमाला अप्सरा साधना- सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं तथा मंदिर में साधन किया जाता है ।
मंत्र- ‘ॐ श्री ह्रीं रत्नमाले आगच्छागच्छ स्वाहा।’
6. रंभा अप्सरा साधना- घर में एकांत कमरे में साधना की जाती है। धन, राज्य व रसायन प्रदान करती हैं ।
मंत्र- ‘ॐ स: रंभे आगच्छागच्छ स्वाहा।’
7. उर्वशी अप्सरा साधना- घर के एकांत कक्ष में साधना की जाती है। सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं ।
मंत्र- ‘ॐ श्री उर्वशी आगच्छागच्छ स्वाहा।’
यह यंत्र भोजपत्र पर बनाये और ५१ माला जप के के बाद जल यन्त्र पर दाल दे ! ये २१ रात्रि करे ! घी का दीपक जलाये और स्फटिक माला से जाप करे ।ये यन्त्र अष्टगंध से बनाये और कनेर की कलम से लिखे ।
8. भूषणि अप्सरा साधना- कहीं भी एकांत में साधन होता है तथा भोग व ऐश्वर्य प्रदान करती है ।
मंत्र- ‘ॐ वा: श्री वा: श्री भूषणि आगच्छागच्छ स्वाहा।’
उपरोक्त केवल परिचय मात्र है । यंत्र चित्र, आसन, वस्त्र, पूजन सामग्री, माला इत्यादि के प्रयोग देवता के स्वभाव के अनुरूप होते हैं जिनका प्रयोग सफलता प्रशस्त करता है । सिर्फ जानकारी के लिए साधना (Apsara Pratyakshikaran Sadhana) प्रस्तुत की गई है इसलिए किसी योग्य गुरु के सानिद्य में ही साधना संपन्न करे !
कामेच्छी अप्सरा साधना विधि

Kamechhi Apsara Sadhana Vidhi :
कामेच्छी अप्सरा साधना परिचय- अमराबती स्वर्गलोक के देबराज इन्द्र की राजधानी का ऐश्वर्य बहाँ की १६,१०८ अप्सराओं की कृपा का प्रसाद कहा जाता है । इन १६,१०८ में से १०८ अप्सराएं तो इन्द्र भगबान ने बेदों की १०८ ऋचाओं की साधना करके स्वयं प्रकट की थीं । इन १०८ की नायिका मेंनका और रम्भा आदि हैं । नर नारायण की तपस्या से डरकर इन्द्रदेब ने रम्भा, मेंनका आदि १६ प्रमुख अप्सराएं भेजीं । तब नर ने क्षुब्ध होकर अपनी दायीं जंघा पर हथेली मारकर उर्बशी आदि १६००० अप्सराएं उत्पन्न करके इन्द्र के पास भेज दीं ।
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कामेच्छी अप्सरा साधना महत्व : इन अप्सराओं की समृद्धि समर्थ समझकर अनेकों ऋषियों और राजाओं ने इनकी साधनाएं की अथबा ब्राह्मणों से कराई । जिसके कारण इनमें कई अप्सराएं धरा पर इन साधकों के पास अतुल बैभब के साथ दीर्घकाल तक रहीं । इनमें राजा पुरूरूबा और बिश्वामित्र के अपाख्यान लोक प्रसिद्ध हैं ।
कामेच्छी अप्सरा साधना बिशेष : इन १६,१०८ अप्सराओं में से कुछ ही ऐसी हैं जो सहजता से सिद्ध हो जाती हैं और साधक के साथ यथेष्टरूप में निबास करती हुई समृद्धि प्रदान करती हैं । यहाँ केबल कामेच्छी अप्सरा की साधना का बर्णन किया जा रहा है । यह कला क्षेत्र में बिशेष प्रगति के लिए अत्यन्त लाभकारी साधनाएं होती हैं ।
Kamechhi Apsara Sadhana Mantra :
मंत्र : ॐ नमो काम कामेच्छायै स्वाहा।।
Kamechhi Apsara Sadhana Anusthan :
इस अप्सरा की कामेच्छा कभी शांत नहीं होती सदैब यह कामपीडित बनी रहती है इसीलिए इसका नाम कामेच्छी पडा है। इसका अनुष्ठान सरल है । सोमबार के कमलधारिणी देबी का चित्र ले। एकान्त स्थान पर रात्रि में उक्त मंत्र से पूजा कर ७ दिन तक हकीक माला से ११००० जप करे तो देबी सिद्ध हो जाती है प्रभाब स्वयं पता चलता है ।
Kamechhi Apsara Sadhana Effects :
इसके प्रभाब से पुरूष स्त्री कोई भी हो उसे काम युद्ध में कोई जीत नहीं सकता । यह देबी सुख- शान्ति और समृद्धि प्रदान करती है ।
कामिनी अप्सरा साधना विधि

Kamini Apsara Sadhna Vidhi :
कामिनी अप्सरा साधना परिचय – अमराबती स्वर्गलोक के देबराज इन्द्र की राजधानी का ऐश्वर्य बहाँ की १६,१०८ अप्सराओं की कृपा का प्रसाद कहा जाता है । इन १६,१०८ में से १०८ अप्सराएं तो इन्द्र भगबान ने बेदों की १०८ ऋचाओं की साधना करके स्वयं प्रकट की थीं । इन १०८ की नायिका मेंनका और रम्भा आदि हैं । नर नारायण की तपस्या से डरकर इन्द्रदेब ने रम्भा, मेंनका आदि १६ प्रमुख अप्सराएं भेजीं । तब नर ने क्षुब्ध होकर अपनी दायीं जंघा पर हथेली मारकर उर्बशी आदि १६००० अप्सराएं उत्पन्न करके इन्द्र के पास भेज दीं ।
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महत्व : इन अप्सराओं की समृद्धि समर्थ समझकर अनेकों ऋषियों और राजाओं ने इनकी साधनाएं की अथबा ब्राह्मणों से कराई । जिसके कारण इनमें कई अप्सराएं धरा पर इन साधकों के पास अतुल बैभब के साथ दीर्घकाल तक रहीं । इनमें राजा पुरूरूबा और बिश्वामित्र के अपाख्यान लोक प्रसिद्ध हैं ।
बिशेष : इन १६,१०८ अप्सराओं में से कुछ ही ऐसी हैं जो सहजता से सिद्ध हो जाती हैं और साधक के साथ यथेष्टरूप में निबास करती हुई समृद्धि प्रदान करती हैं । यहाँ केबल कामिनी अप्सरा की साधना का बर्णन किया जा रहा है । यह कला क्षेत्र में बिशेष प्रगति के लिए अत्यन्त लाभकारी साधनाएं होती हैं ।
Kamini Apsara Sadhna Mantra :
कामिनी अप्सरा मंत्र : “ॐ काम कामिन्यै स्वाहा ।।”
Kamini Apsara Sadhna Anusthan :
एकान्त कक्ष में कमल धारिणी का चित्र भोजपत्र पर बनाकर असकी पूजा करे फिर अमाबस्या से पूर्णिमा तक ५००० नित्य जप करे । तो देबी की कृपा स्वयं पता चलती है । धैर्य रखने पर ही कामिनी अप्सरा साधना अनुष्ठान पुर्ण होता है ।
Effects Of Kamini Apsara Sadhna :
यह देबी सांसारिक कामनाए देने के मामले में प्रबीण मानी गई है । जो लाभ कोई युद्ध करके न पा सका हो, उसे ये हाँसकर दे देती है ।
मोहिनी अप्सरा साधना कैसे करें ?
