Vastu Tips

जानें कैसे आपका एक सिग्नेचर आपका जीवन बदल सकता हैं ?

Jaane Kaise Aapka Ek Signature Aapka Jivan Badal Sakta Hai : Signature : एक सिग्नेचर का महत्व आपके जीवन में अत्यधिक होता है । यह आपकी पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है और आपके व्यक्तिगतिके तथा पेशेवर जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है । निम्नलिखित कुछ तरीके हैं जिनके माध्यम से आपका सिग्नेचर आपके जीवन को बदल सकता है :….
आज हम बात करेंगे कि कैसे आपका एक सिग्नेचर आपको फाइनेन्शियली स्ट्रांग बना सकता है । एक हस्ताक्षर पर आपके सारे काम टिके होते हैं । आपके वित्तीय मामलों में आपके हस्ताक्षर की भूमिका बेहद अहम है आपका एक गलत हस्ताक्षर आपका लाखों का नुकसान करा सकता है, जबकि एक सही हस्ताक्षर आपके भाग्य को मजबूत बनाता है ।

अगर आप भी वित्तीय समस्याओं से परेशान हैं तो , अपने हस्ताक्षर में कुछ बदलाव करके आप अपनी वित्तीय समस्याओं से आसानी से निजात पा सकते हैं ।
वास्तु के अनुसार, अगर आप खूब पैसा कमाते हैं लेकिन बचत एक रूपये की भी नहीं होती तो अपने हस्ताक्षर (signature) के नीचे एक सीधी लाइन बनाते हुए उसके नीचे दो बिंदु लगाने शुरू कर दीजिए और जैसे ही आपकी बचत होनी शुरू होने लगे तो अपने हस्ताक्षर के नीचे लगे बिंदुओं की संख्या एक-एक करके बढ़ाते जाएं । परंतु ध्यान रहे, ये बिंदु 6 से ज्यादा नहीं हो सकते ।

कुछ महत्वपूर्ण बास्तु टिप्स

Kuchh Mahatvapoorn Vastu Tips :
1) मकान बनाने के लिए भूखंड हमेशा समचौरस , समकोण ही रखें । त्रिकोण , गोल , कोना कटा हुआ या बढ़ा हुआ भूखण्ड बास्तुशास्त्र के लिहाज से उपयुक्त नहीं हैं ।
2 ) दक्षिण दिशा को अन्य दिशाओं से भारी रखें । इस दिशा को भारी करने के लिए पर्बत या पहाड़ के चित्र लगाएं । इस दिशा में अशोक व कदम्ब के बृक्ष भी लगा सकते हैं ।

3) घर के द्वार को साफ़ रखें , द्वार पर किसी भी प्रकार की अड़चन या रुकाबट नहीं होनी चाहिए । सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू नहीं लगाएं । जरूरी होने पर पोंछा लगाकर साफ़ कर सकते हैं ।
4) घर के ईशान कोण (उत्तर -पूर्ब दिशा ) व ब्रह्म स्थान (मध्य भाग ) को हमेशा पबित्र रखें । इन्हीं दिशाओं से घर के सदस्यों को ऊर्जा मिलती है । पूजा के लिए ईशान कोण सर्बोत्तम दिशा है ।
5) सीढ़ियां सदैब बाई तरफ होनी चाहिए। सीढ़ियों के नीचे पूजाघर नहीं बनाएं । प्रबेश द्वार के सामने सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए । सीढ़ियों की संख्या सदैब बिषम संख्या में होनी चाहिए , जैसे – 5 ,7 ,9 ,11 इत्यादि । सीढ़ियों की संख्या 13 भी नहीं होनी चाहिए ।
6) बास्तु टिप्स (vastu tips) के अनुसार तिजोरी हमेशा उत्तर दिशा में रखें , जिससे उसका मुंह दक्षिण दिशा में खुले ।
7) घर के अग्नि कोण (दक्षिण -पूर्ब दिशा ) में रसोई होनी चाहिए । रसोई में झरोखा या खिड़की अबश्य होनी चाहिए । एग्जॉस्ट फैन लगाकर बास्तु दोष को दूर किया जा सकता है। रसोई का बाताबरण साफ़ -सुथरा व शुद्ध होना चाहिए ।
8) बास्तु टिप्स (vastu tips) के अनुसार शयन कक्ष में दर्पण नहीं होना चाहिए । दर्पण यदि हो ,तो उसमें पलंग नहीं दिखना चाहिए । जिस समय दर्पण का इस्तेमाल नहीं हो रहा हो , तो उसे परदे से ढक कर रखें ।
9) बास्तु टिप्स (vastu tips) के अनुसार मुख्य द्वार से बड़ा कोई भी द्वार नहीं होना चाहिए । मुख्य द्वार के सामने भी कोई दरबाजा नहीं होना चाहिए , जिससे कोई भी बाहरी ब्यक्ति घर के अंदर की गतिबिधियाँ न देख सके ।

घर में रंगों का चयन किस कमरे में कौन सा करें ?

Ghar Mein Rangon Ka Chayan Kis Kamre Mein Kaun sa Karein ? Rangon : बास्तु शास्त्र की मान्यता है कि यदि आंतरिक सज्जा हेतु प्रयुक्त रंगों (rangon) के बिभिन्न सयोंग ब्यक्ति बिशेष से जब तारतम्य जोड़ लेते है तो सौभाग्य तथा सुख –समृद्धि सुनिशिचत है । घर में रंगों (rangon) का चयन किस कमरे में कौन सा करें, इसका संक्षिप्त सार भी पाठकों के लाभार्थ लिख रहा हूँ ?

भबन के प्रबेश द्वार बाला भाग सफ़ेद, हल्का नीला अथबा हरा होना बहुत शुभ है । किसी भी दशा में यह भाग काले अथबा मटमैल रंग का नही होना चाहिए । रसोई घर के लिए बैसे तो सफ़ेद रंग सर्बश्रेष्ठ है तथापि हल्के रंगों का चयन भी उपयुक्त है । यंहा लाल रंग का प्रयोग सर्बथा बर्जित है ।

नब – बिबाहित जोड़े के कमरे का रंग हल्का पीलापन लिए सफ़ेद होने से दोनों में परस्पर प्रेम – स्नेह पनपता है । घर का बाताबरण सुखद रहता है ।

बच्चो के कमरे में गुलाबी अथबा क्रीम कलर सर्बश्रेष्ठ है । यंहा के परदे ,फर्नीचर आदि सफ़ेद रखने से बच्चो की एकाग्रता में बृद्धि होती है । यंहा लाल तथा काला रंग प्रयोग नही करना चाहिए । हाँ फर्नीचर का कुछ भाग अबश्य काला रखबाया जा सकता है । यंहा रहने बाले बच्चे शैतानी छोड़ देते है ।

खाने के कमरे का हरा अथबा नीला रंग पाचन क्रिया में बहुत उपयोगी सिद्ध होता है ।

पूजा गृह सफ़ेद अथबा हल्का पीलापन लिए हुए रख्बाना बहुत शुभ है ।

भबन में बिभिन्न रंगों (rangon) का सर्बाधिक प्रभाब मन:स्थिति को प्रभाबित करता इसीलिए कमरों में रंगाई के समय रंगों के प्रभाब का बिशेष ध्यान रखना चाहिए –

. नीला रंग सात्विकता तथा शक्ति का प्रतीक है । यह ब्यक्ति की सतोगुणी प्रबृति का प्रतिनिधित्व करता है ।

. हरा रंग काम के प्रति आसक्ति दर्शाता है । यह सक्रियता तथा गतिशीलता का प्रतीक है ।

. पीला रंग बिदूषक है । यह गुदगुदाने बाले गुण रखता है । यह रंग चिन्ता तथा बैमनस्य से दूर रखता है ।

. जामुनी रंग अपरिपक्व मानसिकता का प्रतीक है ।
. कतथई रंग इन्द्रियलिप्सा तथा असंयमित जीबन की धोतक है ।
. भूरा रंग तटस्थ बनाता है ।
. काला रंग बिरोधाभास का कारक है ।
. सफ़ेद रंग शान्ति तथा स्वच्छता का प्रतीक है ।
. लाल रंग एकाग्रता देता है । इस रंग का सांस्कृतिक महत्व है । यह सौभाग्य का सूचक है ।
. जो ब्यक्ति काला रंग पसंद करते है बह निषेधात्मक चिन्तक होते है ।

बास्तु ज्योतिष में बिभिन्न रंग

Vastu Jyotish Mein Vibhinn Rang : Vastu Jyotish : अपने दुर्भाग्य को दूर करने के लिए शकुन, अन्धबिश्वास आदि जैसी बातों से अलग अनेक गुह्य बिद्याओं का सहारा लेना मनुष्य की प्रबृति है । इसके लिए उत्तर भारत के प्राचीन ग्रन्थो समरांगण सूत्रधार, बिश्वकर्मा बास्तुशास्त्र तथा दक्षिण भारत के ग्रन्थ मानसार आदि के अनुसार एक बिद्या “बास्तु ज्योतिष (vastu jyotish)” का पादुर्भाब हुआ । ज्योतिष के नियमों से अलग इनमे भबन निर्माण के लिए भूमि, मिट्टी परीक्षण, मुख्य द्वार की स्थापन आदि के लिए बास्तु ज्योतिष (vastu jyotish) नियम का पालन करने पर बल दिया गया है ।

सूर्य में सात रंग है । परन्तु वास्तब में तथा कुछेक बास्तु शास्त्री भी छह रंगों के अस्तित्व को मानते हैं – श्वेत, लाल, पीला, हरा, नीला तथा काला । बस्तुत: सात रंग अथबा नौ रंग इन छह रोंगों के मेल – मिलाप का ही परिणाम हैं । सुनकर आश्चर्य होगा की रंगों के मेल –मिलाप से दस लाख रंग बनाए जा सकता है ।
परन्तु इनमें से हम केबल तीन सौ अठहतर रंग ही देख पाते हैं । अपने दैनिक जीबन में नबरस तथा नबरंगों का अनोखा संबंध हम देखते हैं । बिडम्बना यही है कि रंगों के इन सयोंग का अपने जीबन में हम ठीक ठीक ताल- मेल नहीं बैठा पाते । इसीलिए दुर्भाग्य को निमंत्रण देते हैं । कभी अनुभब करें बिभिन्न रस यदि अपने अनुरूप रंग के साथ है तो आप कितना सुखद अनुभब करते हैं –
रंगों में तथा रंगों से लयबद्धता बनाकर बास्तुजनित दोषों को दूर करना ही योग्य बास्तुबिद की पहचान है । रस के समान बिभिन्न दिशा –बिदिशा में भी रंगों का आधिपत्य है तदनुसार योगदान और प्रभाब है । घर में पुताई अथबा डिस्टेम्पर दिशा अनुशार करबाने से बास्तु के अनुरूप सुप्रभाब मिलते हैं —
भबन के पूरब का भाग सफ़ेद रंग का रखे ।
भबन के पशिचम का भाग नीले रंग का रखे ।
भबन का उत्तर का भाग हरे रंग का रखे ।
भबन का दक्षिण का भाग लाल, गुलाबी रहे ।
भबन का दक्षिण – पूरब के भाग मटमैला करबाए ।
भबन के दक्षिण – पश्चिम के भाग हरा रंग रखें ।
भबन के उत्तर – पूरब के भाग का पीला रंग कराएँ तथा
भबन के उत्तर – पश्चिम के भाग सफ़ेद रंग रखे ।

बीमारियों के लिए लाभदायक रंग

Bimariyon Ke liye Labhdayak Rang बास्तु ज्योतिष में ग्रहों तथा बिभिन्न रंगों के तारतम्य हो जोड़ने पर बल दिया गया है क्योंकि इनमें हुआ असंतुलन ही बीमारियों (bimariyon) का मूल कारण है । .

वैसे तो रंग तथा बिभिन्न बीमारियों (bimariyon) पर उनका तरह –तरह से उपयोग ‘फोटो मेडिसन ’ के अंतर्गत आज सर्बबिदित है । परन्तु इनमें भी सबसे अधिक चर्चित, सर्बसुलभ तथा सस्ता बास्तु शास्त्र के अंतर्गत रंगों का चुनाब करना ही है । कुछ बीमारियों (bimariyon) के लिए लाभदायक रंग लिख रहा हूँ । इनका प्रयोग रंगाई – पुताई के साथ – साथ अपने नित्य प्रयोग होनेबाले कपड़ों आदि में भी कर सकते हैं ताकि अधिक से अधिक इन रंगों का समाबेश आपके भबन तथा शरीर पर हो सके और आप दुर्भाग्य को दूर भगा सके –

१. बैगनी रंग का प्रभाब सीधा दमे और अनिद्रा के रोगी पर पड़ता है । अर्थराईटिस, गाउट्स, ओंडिमा तथा प्रत्येक प्रकार के बीमारियों (bimariyon) में यह सहायक है । जहाँ मच्छरों का अधिक प्रकोप होता है बहाँ बैगनी रंग सहायक है । इसका सीधा प्रभाब शरीर में पोटोशियम की न्यूनता को दूर करता है ।
२. शरीर में शिथिलता -नपुसंकता बीमारियों (bimariyon) के लिए सिंदूरी रंग गुणकारी है ।
३. शरीर में त्वचा सम्बन्धी रंगों में नीला अथबा फिरोजी रंग अच्छा कार्य करता है ।
४. जो बच्चे पढाई से जी चुराते है अथबा अल्प बुद्धि के होते है उनके कमरे लाल अथबा गुलाबी रंग के करबाएं उनकी एकाग्रता बढ़ेगी तथा शैतानी कम होगी ।
५. पीला रंग ह्रदय संस्थान तथा स्नायु तंत्र को नियंत्रण करता है । तनाब, उन्माद, उदासी, मानसिकता दुर्बलता तथा अम्ल पित्त जनित रोगों में भी सहायक है । मस्तिष्क को सक्रिय करने का इस रंग में बिलक्षण गुण है । इसलिए बिद्यार्थी तथा बौद्धिक बर्ग के लोगों के कमरे पीले रंग के रखबाया करें ।
६. हरा रंग दृष्टिबर्द्धक है । उन्माद को दूर कर यह मानसिक शान्ति प्रदान करता है । घाब को भरने में यह जादू सा असर करता है परन्तु ऊतकों और पिट्यूटरी ग्रंथि पर इस रंग का प्रभाब बिपरीत भी हो सकता है ।
७. पेट से संबधित बीमारी के रोगी आसमानी रंग को जीबन में उतारे । ८. नारंगी रंग तिल्ली, फेफड़ों तथा नाडियों पर प्रभाब डालकर उन्हें सक्रीय बनाता है । यह रंग रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है ।
९. लाल रंग भूख बढाता है । सर्दी, जुकाम, रक्तचाप तथा गले के बीमारि में भी यह रंगों महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । १०. पक्षाघात बाले रोगियों को सफ़ेद पुते कमरे में रखनें तथा अधिकाधिक सफ़ेद परिधान प्रयोग करबाने से चमत्कारिक रूप से लाभ मिलता है ।
आज बिश्वब्यापी स्तर पर स्वीकार कर लिया गया है की रंगों में ‘ईथर’ की प्राणतत्व की ऐसी अनेकानेक सूक्ष्म शक्तियां सन्निहित है जिनका उपयोग कर हम स्वास्थ लाभ तो कर सकते हैं, अनन्त अन्य शक्तियों के स्वामी भी बन सकते हैं । आबश्यकता केबल रंग – बर्ण भेद को ठीक ठीक समझने की है, उनके समायोजन की बिधि -ब्यबस्था जानने की है और उन्हें अपने जीबन में उतारने की है ।

भूमि भबन साधना

Bhumi Bhavan Sadhana : इस तेज रफ्तार जीबन के इस युग में हर किसी को भूमि -भबन की इच्छा और आबश्यकता है । इसके लिए कुच्छ बिशिष्ट देबताओं की संयोग अबश्य ही बन अथबा मिल जाते है की साधक की भूमि एबं भबन की इच्छा पूरी हो जाती है । इस प्रकार की इच्छापूर्ति के लिए इस आशय का संकल्प पढ़कर निम्न Bhumi Bhavan Sadhana करने से लाभ अबश्य होता है –

Ganapati Bhumi Bhavan Sadhana : शुद्ध निर्बिघ्न स्थल, नदी तट, देबालय, पर्बत, बन या गौशाला अथबा अपने स्थान में ही नया रक्तबर्ण आसन, गुड़हल पुष्प, गणपति की एक छोटी बारह अंगुल से छोटी काले रंग की पथर प्रतिमा जो बरद मुद्रा में हो । “ॐ भू गणपतये नम:”, मंत्र से जल, पुष्प, रक्त चन्दन, कुंकुम नामक इत्र, रक्त आसान, काठ का पीड़ा या पटरा, धूप, दीप, नैबेद्य, यज्ञोपबीत, पेयजल, दक्षिणा बस्त्र ताम्बूल, पूंगीफल (सुपारी) लड्डू का भोग तथा लाल फल मीठे ११ दिन तक प्रात:काल सूर्योदय के समय अर्पित करे । फिर ३३ माला जप उक्त मंत्र की करे और पूजनोपरान्त ११ बर्ष से कम आयु के बच्चों को एक एक लड्डू, एक एक फल बी एक एक रुपया दक्षिणा देबे । निशिचित रूप से अनुकूल परिणाम मिलता है ।

Prithwi Bhumi Bhavan Sadhana गणपति अनुष्ठान की भाँती पृथ्वी अनुष्ठान के लिए भी संकल्प पढ़कर गोबर (गाय का) से एक निर्बिघ्न स्थान जंहाँ पर २१ दिन तक दूसरा न जाये, शुभ मुहूर्त में लीपकर, शुद्ध हो शुद्ध आसन पर बैठकर “ॐ पृथिब्यै नम:” इस मंत्र से धूप, दीप, नैबेद्य, चाबल, कुंकुम, इत्र, बस्त्र, दक्षिणा, पान, सुपारी, इलायची, लौंग, फल, मिठाई, से पूजन करे अथबा योग्य ब्राहमण से कराए तथा उसी आसन पर स्थित रहकर २१ माला जप नित्य करे बाद में प्रसाद बच्चों में बाँट दे । २१ दिन अनुष्ठान करने से समस्या का हाल निश्चय ही होता है । कोई बिघ्न आ जाए तो धैर्यपूर्बक दुबारा यही अनुष्ठान करे । एक कार्य के लिए एक अनुष्ठान करना होता है ।

Barah Bhumi Bhavan Sadhana भूमि और भबन के कार्य रुके पड़े हों तो शुद्ध स्थान पर कची मिट्टी बाली जगह पर संकल्प पढ़कर ११ दिन तक निम्न मंत्र से – “ॐ नमो बाराहाय उद्धार्र्णाय नम:” जल, पुष्प, चाबल, चन्दन, धूप, दीप, नैबेद्य, आरती, बस्त्र, दक्षिणा, फल, पान सुपारी, से बाराह मूर्ति अथबा चित्र पर करके ११ माला जप नित्य सूर्योदय के समय करने से समस्या का समाधान जल्दी ही हो जाता है । प्रसाद नित्य बच्चों में बाँटे ।

यूँ बहुत से अन्य कारगर एबं प्रभाबी उपाय इस समस्या के निदान के लिए हैं किन्तु ये अनुष्ठान त्वरित कार्य सिद्धि के लिए बड़े उपयोगी और सरल है । एक बार में कार्य न होने पर दुबारा तिबारा भी कर सकते हैं ।