Child Birth/ Fertility
गर्भ-स्थापना हेतु कामाख्या मंत्र

Garbh Sthapna Hetu Kamakhya Mantra : मन्त्र: “ओम नमो कामरु कामाख्या देबी जल बांन्धु जलबाई बांन्धू बांन्धि देउ जल के तीर, पांचो कूत कलबा बांन्धु, बांन्धु हनुमत बीर ।सहदेब की धनुआ और अर्जुन का बाण, राबण रण को थाम ले नहीं तो हनुमन्त की आन,फुरो मंत्र ईश्वोर बाचा।”
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किसी कुमारी कन्या से सूत कतबाकर, सूत को स्त्री के सिर से पैर तक नाप लें और उप्युक्त मंत्र (Garbh Sthapna Hetu Kamakhya mantra) से उस धागे को अभिमंत्रित करके उस स्त्री को पहनाना चाहिये, जिसे गर्भ ना ठहरता हो। अपने इष्ट देबता का पुजन अर्चन करके सबा सेर रोट का भोग लगाना चाहिए।
गर्भकाकिणी की साधना सिद्धि

गर्भकाकिणी की साधना सिद्धि :
एक मिट्टी के घडे के पैदे की आद्दा निकाल दें । घर के आंगन के ईशान में (आंगन के मकान के नहीं ) या किसी स्वछ भुमि पर सबाहाथ लम्बाई, चौडाई और गहराई का गड्ढा खोदें । इसमे कुम्हार के चाक की मिट्टी लाकर भरें और घडे के पैदे के किनारों को चार अंगुल नीचे दबाकर घडे में भी कुम्हार के चाक की मिट्टी भर दे । इसमें शीर्ष पर आम का कलश डालकर गाय के घी का दीपक जलायें । हल्दी, चाबल, दही, बेसन और गाय के घी से इस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर इसके सामने हल्दी से भैरबी चक्र बनाकर उसके मध्य मे गाय के घी का दीपक रखें । स्वास्तिक के स्थान पर महालक्ष्मी गहबरचक्र बनाने से और उत्तम रह्ता है ।
हल्दी और कुम्हार की मिट्टी को बराबर मिलाकर रीढ की हड्डी में दुर्गा के उपर के उर्जा बिंन्दु पर लेप लगाकर भूकुटि पर इसी मिश्रण का तिलक लगायें , फिर उतर की और मुख करके भैरबी चक्र को सामने रखकर बैठें ।
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यह गर्भकाकिणी साधना 9 बजे से 12 बजे रात तक की जाति है । प्रथम रात्रि धूप दीप, पीले या नारंगी पुष्प से पुजा-अर्चना करके स्वास्तिक या लक्ष्मी चक्र के मध्य बिंन्दु मे ध्यान लगाकर मंत्र जाप करें ।
गर्भकाकिणी मंत्र : ओम ह्रीं श्रीं श्रीं त्रं फट् स्वाहा।
दूसरे दिन से इसे 108 मंत्र प्रतिदिन जाप करें । यह गर्भकाकिणी साधना किसी शुभ शुक्रबार से करनी चाहिए ।
गर्भकाकिणी की तामसी साधना –
क्रूष्ण्पख्य के शुक्रबार की रात 9 बजे किसी उर्ब्रर भूमिखण्ड में- जो सुद्ध हो-मिट्टी की एक सबाहाथ उंची पिण्डी बनायें । इसे सिंदूर ,महाबर, दूध, केसर एब गाय के घ्रुत से स्नान कराके इस पर हल्दी, केसर, सिंदुर, महाबर से अपने सामने भैरबी चक्र बनायें और इस पिण्डी को मध्य मे लेकर भी भैरबी चक्र बनायें । इस पर गाय के घी का दीपक जलाकर रखें और सामने उत्तर की और मुख करके बैठें ।
सबाहाथ गहराई, लम्बाई, चौडाई का हबनकुण्ड बनाकर गूलर, आम , कटहल, आक और कोम्हरे की जड की समिधा जलाकर इसमें गाय का घी, हल्दी, मेढक की चर्बी, उल्लू के पंख और जिमीकन्द के तुकुडों को होम करते हुए अर्धरात्रि तक जाप करें । यह साधना नग्न होकर की जाती है ।
ध्यान योग में गर्भकाकिणी :
इस बिंदु पर कुम्हार की मिट्टी एब हल्दी की बिन्दी इस उर्जा चक्र एब तिलक लगाकर ध्यान भूकुटियों के मध्य लगाकर पहले (ॐ) का जाप करें , फिर रीढ के बिंदु को ऊपर खींचें । प्रत्येक बार मंत्र जाप करें। यह 108 दिन मे सिद्ध होता है ।
सिद्धि लाभ :
1. स्त्रियो मे स्निग्धता, कोमलता, कांन्ति, स्वस्थता ,सुडौलता एब गर्भधारण की शक्ति में चमत्कारिक ब्रुधी होति है ।
2. इस शक्ति को सिद्ध करके दुर्गा की आराधना करने बाले पुरूष को धन,स्म्पति, आय का स्तोत्र प्रबल होता है । शरिर सवस्थ एब मांसल बनता है ।
3. स्त्रियों मे सन्मोहन एब बशिकरण शक्ति प्रबल रुप से उतपन्न होती है ।
4. खेत मे इसकी साधना करने से फसल एब बाग मे करने से फलों की फसल मे ब्रुधि होति है ।
5. ब्यबसाय और नौकरी में उन्नति होती है ।
अगर रात में बच्चा अचानक रोने लगता है तो …!!!

अगर रात में बच्चा अचानक रोने लगता है तो …!!! वैसे तो बच्चों का रोना आम बात है लेकिन किसी दुष्ट व्यक्ति अथवा कुलटा नारी की बुरी नजर लगने पर या किसी छोटी मोटी ऊपरी बाधा के प्रभाव से बच्चो पर अनेकों प्रकार के प्रभाव जैसे की सोते-सोते डरकर चौंकना, चमक उठने और फिर अचानक से उठकर बुरी तरह से रोने लगता है । इसमें बच्चो की नींद उड़ जाती है साथ ही वो भूखे और प्यासे भी रहते है । इन लक्षणों को देखते हुए आप विशेष टोटका भी अवश्य करें ।
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तो करें ये टोटके:
# बच्चा अगर सोता नही है तो बकरी की मींगनी बच्चे के सिरहाने रख दे, जिससे रातभर बच्चा आराम से सोएगा और रोएगा भी नही और न ही बेवजह उठकर आपको परेशान करेगा ।
# कभी-कभी बच्चा स्वस्थ होने के बावजूद रोता रहता है और सोता भी नहीं है ऎसे में आप उसके सिर के ऊपर से थोडा सा दूध मिट्टी के किसी बर्तन में लेकर, सात बार उतारें और किसी चौराहे पर रख आएं ।
# कोई भी रविवार या मंगलवार के दिन नीलकंठ का पंख ले आये और बच्चे के सोने वाली चारपाई या पालने में लगा दें । जिससे उसका व्यर्थ का रोना बंद हो जाएगा ।
# यदि कोई बच्चा दिन में शांत रहता है और रात के समय रोता है तो बच्चे की माता को दिन में लालटेन अथवा चिराग लेकर अपने मुहल्ले में इस प्रकार घूमना चाहिए जैसे कुछ खोज रही हो । किसी के पूछने पर कहे कि रात रोवणी-दिन सोतणी ने जोऊ हूं ।
बन्ध्या स्त्री की चिकित्सा मंत्र कैसे करें ?

बन्ध्या स्त्री की चिकित्सा मंत्र कैसे करें ? बन्ध्या स्त्री केलिए कृष्ण मंत्र :
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ओम गुरुदेबाय नम: ।
ओम श्री कृष्णाये नम: ।
ओम श्री विष्णुयाये नम: ।
ओम श्री सूर्याय नम: ।
ओम श्री देबेन्द्राय नम: ।
ओम महादेबाय नम: ।
माही का कोठा, कोठे में नारी ।
नारी में नाडी, नाडी में प्राण ।
आंखों में चितबन, ओठों पै तान ।
नाडी में रास रचाबे किसन भगबान ।
सांस दे, शक्ति दे, प्रेम का बरदान दे ।
राख बीच बिष्णुरूप पुत्ररत्न दान दे ।
आ जा अब तन बीच, मन और प्राण बीच ।
हृदय बीच, गर्भ बीच, नाभि के प्राण बीच ।
मूल बीच आ के तू सिर में समाना ।
हृदय बीच आ के तू नाभी में आ जा ।
ओम नम: देब तुझे भक्ति की आन ।
गुरु की शक्ति और मन की शक्ति की आन ।
ओम लिं लिं लिं यं फट् स्वाहा ।
इस मंत्र की सिद्धि सबा लाख मंत्र जपने से होती है । यह श्रीकृष्ण का मंत्र है । बिष्णु कृपा से ही पुरुस में शुक्राणु एब स्त्री में डिम्ब का निर्माण होता है । बैज्ञानिक शव्दों में कहें, तो नाभिकीय कण सदा नाभिक से निकलता है । यदि नाभिक या अपने अन्दर के बिष्णु सश्क्त नहिं हुए , तो डिम्ब या शुक्राणु का बीज ही नहीं निकलेगा ।
स्त्रियों के लिए श्रीकृष्ण की पूजा- आरधना इसलिए उचित है कि राम में मर्यादा है, बिष्णु में श्रद्धा (आदरभाब) –ये दोनों भाब रतिक्रीडा में बाधक होते हैं । अत: श्रीकृष्ण का प्रेमी या मीत भाब ही उचित है । बाममार्ग में काली का आव्हान किया जाता है, जिसकी प्रचण्ड श्कति बिष्णु, अर्थात् ह्रदय केन्द्र को जबरदस्ति सश्क्त बनने पर बिबश कर देती है ।
इस मंत्र को 108 बार प्रतिदिन 21 दिन तक रात्रि में 9 से 12 (यह देख लेना चाहिए की यह क्रिया ऋतू के बाद की जाती है) तक की जाती है । इस 21 दिन तक बन्ध्या स्त्री को पूर्ण स्वच्छ, प्रसन्न और कृष्ण भाब में डूबना चाहिए । मंत्र पाठ के साथ गाय और बकरी का घी स्त्री के चांद पर डालते रहना चाहिए । कान और नाक में भी डालें (एक बार) ।
इस तंत्र क्रिया में बन्ध्या स्त्री को प्रतिदिन अपने हाथों से खीर बनाकर पहले श्रीकृष्ण, फिर गुरु, फिर पति को खिलाने चाहिए और इसके बाद स्वय भी खानी चाहिए । तंत्र क्रिया के बीच स्त्री को पति से अलग सोना चाहिए और घी, भात खाना चाहिए। दुध, हरी सब्जी अनुमेय है ।
यदि बन्ध्या स्त्री के बन्ध्यापन डिम्ब न बनने के कारण है या अंगदोष के अतिरिक्त कोइ कारण है, तो 100 प्रतिशत गारन्टी है कि बह सन्तानबती होगी ।
मृतवत्सा हनुमान मंत्र क्या है ?

मृतवत्सा हनुमान मंत्र क्या है ?
मृतवत्सा हनुमान मंत्र :
“छोटी-मोटी खप्पर।
तूं धरती कितना गुण ?
जिय के बल काट कू जान बिज्ञान
दाहिनी और हनुमान रटे।
बांयी और चील।
चहुं और रख्या करे बीर बानर नील।
नील बानर की भक्ति लखि न जाय।
जेहिकृपा मृतवत्सा दोष न आय।
आदेश कामरु कामाख्या भाई का।
आज्ञा हाडि दासि चण्डी की दुहाई ।।”
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यदि किसी बिबाहिता का गर्भ बार-बार गिर जाता है या मृतबच्चा उत्पन्न होता है, तो गर्भ से पूर्ब ही इस मृतवत्सा हनुमान मंत्र से 108 बार उसे अभिमंत्रित करके समस्त उदर नाभि में कुम्हार के चाक की मिट्टी मे नील मिलाकर मंत्र पाठ करते लेप करना चाहिए ।
उपर्युक्त बिधि शास्त्रीय बिधि है । इसमें पृथ्वी की तरंग और प्राणबायु को अभिमंत्रित किया जाता है । मैंने इस पर कुछ बिशिष्ट प्रयोग किये हैं; क्योंकि आज प्रदूषण इतना बढ गया है कि शास्त्रीय बिधियों से बांछित फल नहिं मिलता ।
इसके लिए नील और कुम्हार के चाक की मिट्टी का लेप सम्पूर्ण बदन पर लगाना और रात में नौ बजे के बाद मिट्टी पर नंगे तलबों से आधा घण्टा चलना अत्यन्त लाभकारी होता है । 100 प्रतिश्त सफलता मिलती है ।
परन्तु इस मृतवत्सा हनुमान मंत्र प्रयोग से जादू-टोना या किये-कराये के कारण होने बाला गर्भपात नहीं रोका जा सकता । इसमें प्राकूतिक काकबत्स्या या मृतवत्सा को ही फल मिलता है । प्राणायाम करना या तंत्र बिधि से चांद के बालों को खिंचकर बांधना भी लाभकारी होता है ।
कौन से ग्रह बनाते है पुत्र-पुत्री योग
